यूपी चुनाव 2017: दल तो मिल गए हैं लेकिन नहीं मिल रहे दिल
सपाई चाहते हैं कि उन्हें सम्मान से बुलाया जाए, वहीं कांग्रेसी उम्मीदवारों का कहना है कि हम जनता के बीच वोट मांगने जाएं या कार्यकर्ताओं के पीछे ही लगे रहें।
गाजियाबाद [जेएनएन]। मतदान में अब सिर्फ गिने-चुने दिन ही शेष रह गए हैं अब ऐसे में एक तरफ चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए हरसंभव प्रयास में जुटे हैं तो वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन के कार्यकर्ता कहीं भी एक साथ नजर नहीं आ रहे हैं।
हालांकि जिले से लेकर प्रदेश स्तर के नेता दावा कर रहे हैं कि दोनों दलों के कार्यकर्ता साथ-साथ जनसंपर्क कर रहे हैं, लेकिन अभी तक अधिकांश कार्यक्रमों में सपा-कांग्रेस गठबंधन के बाद भी कार्यकर्ता अलग-थलग ही दिखाई दे रहे हैं। सपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि अभी तो तालमेल बिठाया जा रहा है, वहीं कई पदाधिकारियों का कहना है कि बिन बुलाए मेहमान की तरह जाने का कोई औचित्य नहीं बनता है।
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बनी है दूरी
दल तो मिल गए हैं लेकिन दिलों की दूरी बनी हुई है। सपाई चाहते हैं कि उन्हें सम्मान से बुलाया जाए, वहीं कांग्रेसी उम्मीदवारों का कहना है कि हम जनता के बीच वोट मांगने जाएं या कार्यकर्ताओं के पीछे ही लगे रहें। हाल ही में सपा छोड़कर कांग्रेस का दामन वाले एक कार्यकर्ता इस समय एक प्रत्याशी के खर्च से लेकर पूरी व्यवस्था की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। पार्टी छोडऩे के दौरान उन्होंने कहा था कि सपा बंजर जमीन हो गई है। ऐसे में उनके द्वारा कांग्रेस प्रत्याशी की कमान संभाले जाने से भी सपाई दूरी बना रहे हैं।
प्रत्याशियों को जिताने के लिए एकजुट हैं
सपा प्रदेश सचिव इंद्रजीत सिंह टीटू का कहना है कि कार्यकर्ताओं को सम्मान मिलेगा तो अवश्य जाएगा और मेहनत कर प्रत्याशी को जीत भी दिलाएगा लेकिन कार्यकर्ता भी सम्मान का भूखा होता है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एवं संयोजक अजय वर्मा का कहना है कि हो सकता है कि कुछ व्यक्ति विशेष को लेकर आपसी मतभेद हो लेकिन दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता प्रत्याशियों को जिताने के लिए एकजुट हैं।
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