'अनोखा विश्वविद्यालय' बन जाएगा JNU, एक छात्र पर होंगे 3 से 4 टीचर: कोर्ट
पीठ ने जेएनयू से कहा कि गत वर्ष कुल 399 छात्रों ने इस कोर्स में दाखिला लिया, जबकि आपके पास 500 शिक्षक हैं। अगर यही हाल रहा तो भविष्य में एक छात्र पर तीन-चार टीचर रहेंगे।
नई दिल्ली [जेएनएन]। एमफिल और पीएचडी में दाखिले के नियमों को लेकर हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को तल्ख टिप्पणी की। न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट व न्यायमूर्ति एके चावला की पीठ ने जेएनयू से कहा कि अगर ऐसे ही नियम सख्त होते रहे तो आगामी दिनों में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) सबसे अनोखा विश्वविद्यालय होगा। जहां एक छात्र पर 3-4 शिक्षक होंगे।
एक छात्र पर तीन-चार टीचर रहेंगे
पीठ ने यह टिप्पणी स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ) की याचिका पर दी। याचिका में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के एमफिल और पीएचडी कोर्स में दाखिले के लिए निर्धारित नए नियमों पर सवाल उठाए गए हैं। पीठ ने जेएनयू से कहा कि गत वर्ष कुल 399 छात्रों ने इस कोर्स में दाखिला लिया, जबकि आपके पास 500 शिक्षक हैं। ऐसे में लगभग हर छात्र पर दो टीचर हैं। अगर यही हाल रहा तो भविष्य में एक छात्र पर तीन-चार टीचर रहेंगे।
शिक्षकों का आप क्या करेंगे
पीठ ने जेएनयू से पूछा कि शिक्षकों पर इतना क्यों खर्च कर रहे हैं? जब छात्र नहीं रहेंगे तो शिक्षकों का आप क्या करेंगे? जेएनयू की तरफ से अधिवक्ता मोनिका अरोरा ने कहा कि प्रोफेसर ज्यादा छात्रों को लेना नहीं चाहते हैं। इसपर पीठ ने कहा कि उन्हें क्यों बैठाया गया है? इसका ये कतई मतलब नहीं है कि यदि एक साल किसी कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन नहीं आए तो उसे बंद कर देना चाहिए।
आठ हजार में से 4500 छात्र एमफिल और पीएचडी के हैं
पीठ ने कहा कि एमफिल और पीएचडी के नियम कड़े करके आप आने वाले समय में शिक्षकों की कमी कर देंगे। जेएनयू ने पीठ को बताया कि मौजूदा समय में आठ हजार में से 4500 छात्र एमफिल और पीएचडी के हैं। इसपर पीठ ने विवि को सभी 13 स्कूलों में दाखिले के संबंध में दो सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देने का आदेश दिया।
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