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कभी-कभी असंतुष्ट पुलिस अधिकारियों द्वारा किया जाता है पुलिस शक्तियों का व्‍यापक दुरुपयोग: कोर्ट

पुलिस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने इसके साथ ही वर्ष 2019 को मजिस्ट्रियल कोर्ट के उस आदेश को भी रद कर दिया।जिसमें अदालत ने एक संतोष कुमार को कंपनी के मालिक को मारने की धमकी देने के लिए दोषी ठहराया गया था।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 07:04 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 07:04 PM (IST)
कभी-कभी असंतुष्ट पुलिस अधिकारियों द्वारा किया जाता है पुलिस शक्तियों का व्‍यापक दुरुपयोग: कोर्ट
झूठे मामले में फंसाने के दोषी दो अधिकारियों पर कार्रवाई करने तीस हजारी अदालत ने पुलिस आयुक्‍त को दिया आदेश।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। एक व्यक्ति को जबरन वसूली के मामले में झूठा फंसाने के मामले में तीस हजारी अदालत ने पुलिस आयुक्त को दो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ यह कहते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है कि अधिकारियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है। पुलिस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने इसके साथ ही वर्ष 2019 को मजिस्ट्रियल कोर्ट के उस आदेश को भी रद कर दिया। जिसमें अदालत ने एक संतोष कुमार को कंपनी के मालिक को मारने की धमकी देने और सितंबर 2008 में उससे 20 लाख की रंगदारी मांगने के लिए दोषी ठहराया गया था।

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अदालत ने कहा कि यह मामला उस तरीके का प्रतीक है जिसमें कभी-कभी असंतुष्ट पुलिस अधिकारियों द्वारा व्यापक पुलिस शक्तियों का दुरुपयोग किया जाता है। अदालत ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि वरिष्ठ अधिकारी ऐसे तथ्यों का संज्ञान लेने में विफल होते हैं और ऐसे असंतुष्ट पुलिस अधिकारियों को गरीब लोगों के जीवन व उनकी स्वतंत्रता के साथ खेलने की अनुमति देते हैं।

अभियोजन पक्ष के अनुसार कंपनी के मालिक गुलशन लांबा जबरन वसूली की शिकायत दी थी। इस शिकायत की जांच करते हुए पुलिस ने बुद्धा गार्डन के पास से कुमार को पकडा था। लंबी सुनवाई के बाद चीफ मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट ने वर्ष 2019 में जबरन वसूली के लिए कुमार को दोषी ठहराते हुए दो साल के जेल की सजा सुनाई। इस फैसले काे संतोष ने सत्र अदालत के समक्ष चुनौती दी थी।

सजा को रद करते हुए विशेष न्यायाधीश शर्मा ने कहा कि अपरिहार्य निष्कर्ष यह था कि कुमार को गिरफ्तार किया गया था और लांबा व पुलिस अधिकारियों ने मिलकर उसे धमकी भरा पत्र लिखने के लिए मजबूर किया गया था। न्यायाधीश ने कहा कि छापेमारी के लिए कीर्ति नगर पुलिस स्टेशन से न तो प्रस्थान प्रविष्टियां थीं और न ही किसी वरिष्ठ अधिकारी को इसके बारे में सूचित किया गया था। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष के दो गवाह अपनी जिरह में यह खुलासा करने में विफल रहे कि बुद्धा गार्डन के किस गेट पर रेड मारकर कुमार को पकड़ा गया था।

अपीलकर्ता को सहनी पड़ी अपूरणीय पीड़ा

अदालत ने यह भी कहा कि अपीलकर्ता कुमार को लगभग एक महीने तक जेल में रहने का अपमान सहना पड़ा और इससे उनके परिवार के सदस्यों को अपूरणीय पीड़ा हुई होगी। इसके अलावा समाज में उनकी गरिमा और कलंक की हानि हुई।


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