दिल्ली में भगवान भास्कर की ऊर्जा से रात में चमकने लगे मंदिर
बांबे सबअर्बन इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई (बीएसईएस) के बिजली वितरण क्षेत्र में कुल 40 हजार किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। आने वाले दिनों में इसमें और बढ़ोतरी होगी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। सौर ऊर्जा में स्कूल-कॉलेज और सरकारी इमारतों के साथ ही धार्मिक स्थलों की भी दिलचस्पी बढ़ी है। अक्षरधाम, लोट्स टेंपल, गुरुद्वारा बंगला साहिब सहित दिल्ली के कई मंदिर व गुरुद्वारे सौर ऊर्जा से रोशन होने लगे हैं। इसी तरह से घरेलू उपभोक्ता भी अपने मकान की छत पर सोलर पैनल लगवा रहे हैं, जिससे राजधानी दिल्ली में सौर ऊर्जा का उत्पादन बढ़ रहा है। बांबे सबअर्बन इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई (बीएसईएस) के बिजली वितरण क्षेत्र में कुल 40 हजार किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। आने वाले दिनों में इसमें और बढ़ोतरी होगी। इसके लिए बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) उपभोक्ताओं को जागरूक कर रही हैं।
प्रमुख धार्मिक स्थल जहां लगाए गए हैं सोलर पैनल
बीएसईएस के क्षेत्र में अक्षरधाम मंदिर, लोट्स टैंपल, अरबिंदो आश्रम, गीता कॉलोनी गुरुद्वारा, ईस्ट आजाद नगर गुरुद्वारा, मयूर विहार इमेनुअल सीएन चर्च, रामकृष्ण मिशन, करोलबाग आर्य समाज मंदिर, बालाजी महाराज मंदिर विवेक विहार, ऋषभदेव मंदिर कड़कडड़ूमा, लक्ष्मीनगर गुरुद्वारा सिंह सभा, सनातन धर्म मंदिर पटेल नगर आदि।
इसके साथ ही मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, मंडोली जेल, हजरत निजामुद्दीन स्टेशन, टेली, दिल्ली जल बोर्ड, सहित कई बड़े स्कूल और हाउसिंग सोसाइटी में सोलर पैनल लगाए गए हैं।
शैक्षणिक संस्थानों में हो रहा सबसे ज्यादा उत्पादन
बीएसईएस के बिजली वितरण क्षेत्र में सबसे ज्यादा सौर ऊर्जा का उत्पादन शैक्षणिक संस्थानों में हो रहा है। 178 शैक्षणिक संस्थानों में लगाए गए सोलर पैनल से 8600 किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। 604 घरेलू उपभोक्ताओं ने सोलर पैनल लगवाए हैं, जिससे 6200 किलोवाट बिजली मिल रही है। 262 व्यावसायिक उपभोक्ताओं द्वारा लगाए गए सोलर पैनल से 1800 किलोवाट हरित बिजली मिल रही है। इसी तरह से 17 औद्योगिक उपभोक्ताओं से 700 किलोवाट बिजली मिल रही है। वहीं, अन्य श्रेणियों के उपभोक्ता 9500 किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन बना रहे हैं।
छत पर 10 वर्गमीटर जगह में पैदा कर सकते हैं बिजली
एक किलोवाट क्षमता वाले सौर ऊर्जा प्लांट के लिए छत पर 10 वर्गमीटर जगह चाहिए। इसके लिए बैट्री खरीदने की भी जरूरत नहीं है क्योंकि नेट मीटरिंग के जरिये छत पर पैदा होने वाली बिजली सीधे ग्रिड में चली जाएगी। इस तरह से अपने उपयोग के बाद बची हुई बिजली बेचकर उपभोक्ता कमाई भी कर सकता है। बीएसईएस के प्रवक्ता का कहना है कि सौर ऊर्जा का बेहतर इस्तेमाल कर उपभोक्ता अपने बिजली बिल में भारी कमी ला सकते हैं। अबतक बीएसईएस के क्षेत्र में 1077 नेट मीटरिंग कनेक्शन बिजली ग्रिड से जोड़े गए हैैं। इसमें से 1 किलोवाट से 1600 किलोवॉट तक के सोलर प्लांट शामिल हैं। बिजली अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली में जिस तरह से बिजली की मांग बढ़ रही है, उसे ध्यान में रखते हुए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना जरूरी है। पर्यावरण संरक्षण में भी इससे मदद मिलेगी।