पीड़ितों के प्रति लोग ज्यादा संवेदनशील हुए हैं, मगर अभी और बदलाव की जरूरत : स्वरा भास्कर
पिछले एक दशक में समाज का स्वरूप बहुत बदला है। पीड़ितों के प्रति लोग ज्यादा संवेदनशील हुए हैं। हालांकि अभी और बदलाव की जरूरत है। यह कहना था अभिनेत्री स्वरा भास्कार का।
नई दिल्ली, जेएनएन। 'पिछले एक दशक में समाज का स्वरूप बहुत बदला है। पीड़ितों के प्रति लोग ज्यादा संवेदनशील हुए हैं। लोग चुप्पी तोड़कर आगे आ रहे हैं और अपनी बात रख रहे हैं। हालांकि अभी और बदलाव की जरूरत है।' यह कहना है अभिनेत्री स्वरा भास्कर का। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित कर रही थीं।
टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले एक शो के प्रमोशन के लिए पहुंचीं स्वरा भास्कर ने चार अन्य वक्ताओं के साथ सत्र 'डिकोडिंग जस्टिस' में भी हिस्सा लिया। इसमें सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकार्ड एसोसिएशन के संयुक्त सचिव विवेक नारायण शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता व परिवार न्यायालय सूरत में कार्यरत गीता श्रॉफ, अभिनेता विकास कुमार, स्वतंत्र विचारक रीना मुखर्जी ने हिस्सा लिया।
विद्यार्थियों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में स्वरा ने कहा कि एक नागरिक के तौर पर हमें न सिर्फ हमारे अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए, बल्कि समाज और देश के प्रति हमारे क्या कर्तव्य हैं इसकी भी समुचित जानकारी रखनी चाहिए।
विवेक नारायण शर्मा ने कहा कि कानून का निर्माण समय और परिवेश के हिसाब से लोगों को एक दिशा देने के लिए होता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं, जिसने आम नागरिक का कानून के प्रति भरोसा बढ़ाया है। अपनी जिंदगी से जुड़ी एक घटना का जिक्र करते हुए रीना मुखर्जी ने कहा कि सिस्टम पर भरोसा रखकर ही हम सशक्त समाज और देश का निर्माण कर सकते हैं।
हिंदू कॉलेज से रहा गहरा नाता स्वरा ने दिल्ली की यादें ताजा करते हुए कहा कि विद्यार्थी जीवन में उनका हिंदू कॉलेज से गहरा नाता रहा है, इसलिए कॉलेज परिसर में आना हमेशा गौरव का क्षण होता है।