यूपीः ग्रेटर नोएडा में दो इमारतें ढहने से 9 लोगों की मौत, जारी है राहत व बचाव कार्य
ग्रेटर नोएडा में निर्माणाधीन 6 मंजिला इमारत भरभराकर गिर गई। अब भी 45 से ज्यादा लोगों के दबे होने की आशंका है, इसके लिए बचाव कार्य गुरुवार को भी जारी है।
नोएडा (जेएनएन)। ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित शाहबेरी गांव में 17 जुलाई की रात करीब साढ़े नौ बजे धराशायी हुईं दो इमारतों के मलबे से बुधवार रात तक आठ शव निकाल लिए गए। छह शवों की शिनाख्त हो चुकी है। वहीं, समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है। अब भी 45 से ज्यादा लोगों के दबे होने की आशंका है, इसके लिए बचाव कार्य गुरुवार को भी जारी है। वहीं, बिसरख थाने में बिल्डर समेत 24 लोगों के खिलाफ नामजद व कुछ अन्य के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने गाजियाबाद निवासी आरोपित बिल्डर गंगा शरण द्विवेदी, ब्रोकर दिनेश व संजीव को गिरफ्तार कर लिया है। डीएम ने एडीएम प्रशासन कुमार विनीत को मजिस्ट्रेटी जांच की जिम्मेवारी सौंपकर 15 दिनों में रिपोर्ट मांगी है। शुरुआती जांच के अनुसार, दोनों इमारतें बिल्डर ने बनवाई थीं। एक इमारत पूरी तरह से बन चुकी थी, जिसमें लोग रह रहे थे, जबकि दूसरी बन रही थी।
हादसे का कारण निर्माण में इस्तेमाल घटिया सामग्री को माना जा रहा है। घटना की सूचना पर बुधवार सुबह एनडीआरएफ के डीजी संजय कुमार, मेरठ जोन एडीजी प्रशांत कुमार, आइजी राम कुमार सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंच गए।
आसपास के लोगों ने अवैध निर्माण की शिकायत अफसरों व सीएम पोर्टल पर की गई थी। महज छह माह में बिल्डर ने इमारत तैयार करवा दी थी, जिसमें दो कमरों के बीस फ्लैट थे। राहत कार्य धीमी गति से चलने के कारण उनके बचने की उम्मीदें लगातार कम होती जा रही हैं। मलबे के नीचे घुटती अपनों की सांसों को बचाने के लिए मौके पर मौजूद उनके रिश्तेदार तड़प रहे हैं।
छह मृतकों की पहचान
हादसे में मारे गए लोगों में से अब तक छह की पहचान हो सकी है। इनमें फैजाबाद, उप्र के शमशाद (25), पश्चिम बंगाल के रंजीत भीमाली (30), तथा उप्र के मैनपुरी की प्रियंका त्रिवेदी (26), राजकुमारी (50) व पंखुड़ी (14 माह) और शिव त्रिवेदी (28) शामिल हैं।
मजिस्ट्रेट जांच के आदेश
डीएम बीएन सिंह ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। एडीएम प्रशासन कुमार विनीत को यह जांच सौंपी गई है। उन्हें पंद्रह दिनों में जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रबंधक और सहायक प्रबंधक निलंबित, ओएसडी को हटाया
हादसे के बाद शासन ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट सर्किल का काम देख रहे प्रोजेक्ट विभाग के प्रबंधक वीपी सिंह व सहायक प्रबंधक अख्तर अब्बास जैदी को निलंबित कर दिया है। वहीं, अतिक्रमण हटाओ विभाग की प्रमुख व ओएसडी विभा चहल का तबादला कर दिया गया है। मेरठ मंडल की कमिश्नर अनीता मेश्रम को जांच सौंपी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
बीएन सिंह (जिलाधिकारी, गौतमबुद्ध नगर) ने बताया कि मामले की जांच के आदेश दिए गए है। आरोपित बिल्डर व उसके साथियों को गिरफ्तार किया गया है। राहत कार्य तेजी से किया जा रहा है।
वहीं, प्रशांत कुमार (एडीजी, मेरठ जोन) का कहना है कि तीन आरेापितों को गिरफ्तार कर लिया गया है। जिसके नाम पर जमीन है, वह भी पुलिस के कब्जे में है। पुलिस टीमें भी राहत कार्य में जुटी हैं।
की गई थी अवैध निर्माण की शिकायत
पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि इमारत बिल्डर के द्वारा बनाई गई थी। एक इमारत पूरी तरह से बन चुकी थी, जिसमें लोग रह रहे थे। दूसरी निर्माणाधीन थी। निर्माण में घटिया सामग्री हादसे का कारण मानी जा रही है। इमारत गिरने की सूचना पर एनडीआरएफ के डीजी संजय कुमार, मेरठ जोन एडीजी प्रशांत कुमार, आइजी राम कुमार सहित अन्य अधिकारी बुधवार सुबह घटनास्थल पर पहुंचे। मौके का जायजा लिया और लोगों से बातचीत की। आसपास के लोगों ने आरोप लगाया कि अवैध निर्माण की शिकायत बीते दिनों मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी की थी, लेकिन प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया। महज तीन से छह महीने के बीच आनन-फानन में बिल्डर ने इमारत बनाकर तैयार कर दी थी। जिसमें दो कमरों के बीस फ्लैट थे।
न नक्शा न आर्किटेक्ट का सत्यापन
शाहबेरी गांव का ग्रेटर नोएडा में अधिग्रहण प्राधिकरण क्षेत्र 2010 में रद हो गया था। इसके बाद गांव में बड़ी संख्या में कालोनाइजर सक्रिया हो गए। उन्होंने किसानों से सस्ती दर से जमीन खरीदकर ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी कर दीं। इन भवनों का न तो कहीं से नक्शा पास करया गया और न ही किसी आर्किटेक्ट से सत्यापित कराया गया। निर्माण सामग्री की गुणवत्ता एकदम घटिया है। कालोनाइजर सस्ती कीमत पर फ्लैट बनाकर ऊंची दरों में बेचकर गायब हो गए हैं। हादसे के बाद अब तक मलबे से छह लोगों के शव निकाले गए हैं। मौके पर पांच बुलडोजर व दो हाईड्रोलिक क्रेनों को लगाया गया है।
अप्रैल में कराई रजिस्ट्री
पुलिस जांच के दौरान पता चला है कि यहां फ्लैट खरीदने वाले निवेशकों ने अप्रैल में रजिस्ट्री कराई थी। जून में एक इमारत का काम पूरा हो गया था तो लोग यहां शिफ्ट होने लगे थे।
गुमराह करने के लिए रखा बिल्डर से मिलता जुलता नाम
लोगों को झांसे में लेने के लिए बिल्डर ने इमारत का नाम कासा विला रखा था। नाम के झांसे में आकर लोग उसके फ्लैट को खरीद लें। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में कासा नाम से अन्य बिल्डर का प्रोजेक्ट भी चल रहा है। पुलिस जांच में पता चला है कि बिल्डर ने फ्लैट को 12 से 15 लाख रुपये में बेचा था।
मुआवजे के लिए किया आग्रह
जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने इमारत गिरने से जान गंवाने वाले लोगों को मुआवजा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह किया है। विधायक ने कहा कि बिल्डर के अलावा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के उन अधिकारी व कर्मचारियों को भी मामले में आरोपी बनाना चाहिए, जिनकी लापरवाही प्रकाश में आई है।
यह टीमें लगी राहत कार्य में
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आइटीबीपी, आरएसएस, शाह सतनाम ग्रीन फोर्स
अधिकारियों के खिलाफ भी हो सख्त कार्रवाई
नोएडा के भाजपा विधायक पंकज सिंह ने कहा कि मामले में दोषियों के खिलाफ तो सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए। इसके अलावा जिम्मेदारी अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अवैध निर्माण पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए। इस तरह के निर्माण को नजर अंदाज करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
निर्माण कार्य पर रोक
बता दें कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने इस एरिया में निर्माण कार्य पर रोक लगाई हुई है। इसके बावजूद यहां बड़ी संख्या में अवैध निर्माण हो रहा है। यहां किसानों से जमीन लेकर कई-कई मंजिला इमारतें बना दी गई हैं। इन पर फ्लैट बनाकर लोगों को बेचा जा रहा है। फ्रॉड के भी कई मामले सामने आ चुके हैं।
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