Delhi: बहन ने लिवर और मां ने किडनी दान कर बचाई युवक की जान, दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से ग्रस्त था मरीज
22 साल की उम्र में दोहरे अंग प्रत्यारोपण की खबर सुनकर शायद आपको हैरानी हो लेकिन यह सच है कि एक दुर्लभ बीमारी की वजह से कम उम्र के मरीज को इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। उसकी बहन और मां ने लिवर और किडनी दान कर उसकी जान बचाई है।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। 22 साल की उम्र में दोहरे अंग प्रत्यारोपण की खबर सुनकर शायद आपको हैरानी हो लेकिन यह सच है कि एक दुर्लभ बीमारी की वजह से कम उम्र के मरीज को इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। उसकी 27 वर्षीय बहन और 46 वर्षीय मां ने लिवर और किडनी दान कर उसकी जान बचाई है।
मरीज का अंग प्रत्यारोपण इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में किया गया। अस्पताल के नेफ्रोलाजी और मल्टी आर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट के वरिष्ठ सलाहकार डा. कैलाश नाथ सिंह ने बताया कि मरीज को छह जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच करने पर पता चला कि मरीज सात वर्ष की उम्र से ऐसी दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी (प्राथमिक हाइपराक्सिल्यूरिया टाइप-1) से ग्रस्त था, जिसमें उसके लिवर में एंजाइम नहीं बनते थे और किडनी सहित दूसरे अंगों पर इसका बुरा असर पड़ रहा था।
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लीवर और किडनी को करता है प्रभावित
यह एक जीन दोष है, जिसमें जीन एजीएक्सटी में एक उत्परिवर्तन एंजाइमों का बनना कम होने लगता है और लिवर की क्षमता को प्रभावित करना शुरू कर देता है। मरीज को तत्काल संयुक्त किडनी और लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी की सिफारिश की गई।
इसके बाद उत्तराखंड निवासी मरीज को लिवर प्रत्यारोपण यूनिट के डा. नीरव गोयल व जीआइ सर्जरी व प्रत्यारोपण विभाग के डा. संदीप गुलेरिया ने 16 घंटे तक सर्जरी कर प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पूरी की। यह सर्जरी सात जून को हुई थी। डाक्टर ने बताया कि विभिन्न जांच के बाद मां की किडनी और बहन का लिवर परफेक्ट मैच मिला, जिसके बाद प्रत्यारोपण शुरू किया गया था।
आपरेशन के एक सप्ताह के अंदर ही बहन और मां को छुट्टी दे दी गई। मरीज की हालत और दिनचर्या ठीक रहने पर उसे 21 दिन बाद 28 जून को छुट्टी दे दी गई। यह बीमारी दुनिया भर में कुछ ही लोगों में होती है। इसका पहला लक्षण किडनी में पथरी होना है।