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खूनी बर्थडेः पांच तारीख, पांच बजे और पांच लोगों के कत्ल पर रिश्तेदारों का खुलासा

गाजियाबाद के न्यू शताब्दीपुरम में पत्नी व तीन बेटियों की हत्या के बाद खुदकशी कर चुके प्रदीप के परिवार में मातम पसरा हुआ है।

By Edited By: Published: Sat, 06 Jul 2019 09:00 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jul 2019 12:53 PM (IST)
खूनी बर्थडेः पांच तारीख, पांच बजे और पांच लोगों के कत्ल पर रिश्तेदारों का खुलासा
खूनी बर्थडेः पांच तारीख, पांच बजे और पांच लोगों के कत्ल पर रिश्तेदारों का खुलासा

गाजियाबाद, जेएनएन। मसूरी के न्यू शताब्दीपुरम में शुक्रवार की सुबह पांच बजे पत्नी व तीन बेटियों की हत्या के बाद खुदकशी कर चुके प्रदीप के परिवार में मातम छाया है। घर में जुटे रिश्तेदार भी इस घटना से हैरान हैं। बता दें कि प्रदीप ने पत्नी संगीता और बेटी मनस्वी (8), यशस्वी (5) व ओजस्वी (3) की हत्या के बाद खुदकशी कर ली थी। पत्नी के सिर पर हथौड़े से वार किए थे, जबकि बच्चों को जहर देकर प्रदीप ने खुद भी जहर खा लिया था। बाद में मुंह पर टेप भी लपेट ली थी। पिता फेरू और बहन रीना का रो-रोकर बुरा हाल है।

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रीना का कहना है कि शुक्रवार पांच जुलाई को उसका जन्मदिन था। ये कैसा बर्थडे था, कि पांच तारीख को पांच बजे मेरे घर से पांच लाशें एक साथ उठीं। बच्चों को करनी थी पार्टी तीनों बच्चे उनसे और वह बच्चों से बेहद प्यार करती थीं। इसीलिए बच्चों ने अपने दोस्तों को बुलाया था कि बुआ के जन्मदिन पर पार्टी करेंगे। केक के साथ कोल्ड्रिंक, चिप्स व कुरकुरे खाएंगे। रीना ने रोते हुए बताया कि मनस्वी ने कहा था कि वह बुआ के लिए बर्थडे कार्ड बनाएगी। तीन जुलाई की शाम को संगीता बेटियों के लिए 10 हजार रुपये की तीन साइकिलें लेकर आई थीं।

रीना ने तीनों को साइकिल चलवाई थी और तीनों ने बुआ से वादा लिया था कि अब रोज शाम को वह साइकिल चलवाएंगी। रीना बिलखते हुए कहती है कि कोई मेरे बच्चों को वापस ला दो। मुझे अपना वादा पूरा करना है। संगीता नहीं मनाती थी अपनी एनिवर्सरी लव मैरिज के बाद भी संगीता अपनी मैरिज एनीवर्सरी नहीं मनाती थी। प्रदीप का शराब पीना और काम के प्रति गंभीर न होने के कारण वह इस दिन को याद नहीं करना चाहती थी।

रीना कहती है कि भाभी ने कभी भी एनिवर्सरी नहीं मनाई। मैं ही हर बार 17 दिसंबर को उनके लिए केक लाती थी। क्योंकि इसी दिन भाभी से मेरा और पूरे परिवार का रिश्ता बना था। मेरा घर चलाने वाली को मार दिया प्रदीप के बुजुर्ग पिता फेरू चुप ही रहते हैं, क्योंकि मुंह से शब्द निकलने से पहले आंखों से आंसू गिरने लगते हैं। रोती आवाज में वह प्रदीप को कोसते हुए कहते हैं कि खुद तो गया, मेरे घर की फुलवारी मेरे बच्चे भी ले गया।

एम्स के नशा मुक्ति केंद्र में स्टाफ नर्स बहू संगीता के लिए कहते हैं कि उसके कंधों पर ही परिवार का दारोमदार था, लेकिन प्रदीप ने मेरा घर चलाने वाली को भी मार दिया। इस मकान के लिए लोन भी संगीता ने ही लिया था। पिता पेरू ने बताया कि इस घर का नाम उन्होंने शुभ रखा था लेकिन यहां अशुभ ही अशुभ हुआ अब वह इस मकान में नहीं रहेंगे और इसे बेंचकर वह मेरठ स्थित अपने गांव लौट जाएंगे।

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