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इंसानियत तार-तार: हादसे के बाद सड़क पर घायल गिन रहा था सांसें और पुलिस रुपये

आरोप है कि चार हजार रुपये लेने के बाद ही घायल को अस्पताल जाने दिया गया। इस बीच टेंपो चालक की मौत हो गई। परिजनों ने घटना की शिकायत पुलिस के उच्चाधिकारियों से की है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 08:22 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 09:34 AM (IST)
इंसानियत तार-तार: हादसे के बाद सड़क पर घायल गिन रहा था सांसें और पुलिस रुपये
इंसानियत तार-तार: हादसे के बाद सड़क पर घायल गिन रहा था सांसें और पुलिस रुपये

नई दिल्ली, जेएनएन। सड़क हादसे में घायल टेंपो चालक को पुलिसकर्मियों ने रिश्वत के लिए तीन घंटे उपचार नहीं मिलने दिया। यही नहीं इस दौरान घायल टेंपो चालक के साथ पुलिसकर्मियों ने मारपीट भी की। आरोप है कि चार हजार रुपये लेने के बाद ही घायल को अस्पताल जाने दिया गया। इस बीच टेंपो चालक की मौत हो गई। परिजनों ने घटना की शिकायत पुलिस के उच्चाधिकारियों से की है। इसके बाद रिश्वत लेने के आरोपित दोनों सिपाही निलंबित कर दिए गए हैं,जबकि होमगार्डो के खिलाफ कार्रवाई के लिए उनके विभाग को लिखा गया है।

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जानकारी के मुताबिक धर्मेंद्र सिंह (28 वर्ष) अपने परिवार के साथ आजादपुर के बड़ोला गांव में रहते थे। चार भाइयों में वह सबसे छोटे थे और 10 वर्ष से टेंपो चला रहे थे। परिजनों ने बताया कि 19 जनवरी की रात वह कोटला में सब्जी उतारकर खाली टेंपो लेकर वापस घर जा रहे थे।

रास्ते में कोतवाली थाना क्षेत्र में उनके टेंपो की टक्कर पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड से हो गई। इस पर वह गीता कालोनी की ओर भागे, इसी बीच कोतवाली थाने में तैनात दो सिपाही सहित चार लोगों ने दो अलग-अलग गाड़ी से टेंपो का पीछा करना शुरू कर दिया। इसी बीच रात करीब 12 बजे गीता कालोनी फ्लाईओवर पर टेंपो पलटने से धर्मेंद्र और उनका क्लीनर चंदन घायल हो गए।

चालक के सीने और पीठ पर गंभीर चोटें आई थीं। आरोप है कि पीछे से पहुंचे पुलिसकर्मियों ने दोनों घायलों को पीटना शुरू कर दिया। इसके बाद उनके परिजनों को घटनास्थल पर बुलाया। धर्मेंद्र की भतीजी कोमल राजपूत ने बताया कि रात करीब एक बजे जब वह पहुंचीं उस समय चाचा को पुलिस ने अपनी कार में लिटा रखा था। परिजन उन्हें अस्पताल ले जाना चाहते थे, लेकिन पुलिसकर्मियों ने कार्रवाई का भय दिखाकर दस हजार रुपये की रिश्वत मांगी।

परिजनों ने रुपये नहीं होने की बात कहकर घायलों को अस्पताल पहुंचाने की गुहार लगाई, लेकिन सिपाही अभद्रता पर उतर आए। यही नहीं परिजनों के पास मौजूद चार हजार रुपये लेने के बाद ही सिपाहियों ने उन्हें जाने दिया। इससे करीब चार बजे वह घायल धर्मेंद्र को लेकर वाल्मीकि अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। कोमल ने बताया कि चाचा की मौत के बाद भी पुलिसकर्मी धमकी देकर उन पर समझौते का दबाव बनाते रहे। लेकिन, उन्होंने पूरे मामले की जानकारी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी।

नूपुर प्रसाद (पुलिस उपायुक्त, उत्तरी जिला) ने बताया कि घटना की शिकायत मिलने पर सिपाही नवल और प्रभु को निलंबित कर दिया गया है। दोनों के खिलाफ जांच भी बैठा दी गई है। मामले में दो आरोपित होमगार्ड हैं, उन पर कार्रवाई के लिए उनके विभाग को लिख दिया गया है।

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