ड्रेनेज सिस्टम में सुधार करने के लिए किया गया अनुबंध, मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने दी जानकारी
एसवीआर ने बताया कि यमुना को गंदे पानी से बचाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण प्रयास है। नालों से गंदे पानी का कुछ भाग नजफगढ़ ड्रेन के रास्ते यमुना में गिरता है। ड्रेनेज सिस्टम में सुधार के बाद नजफगढ़ ड्रेन में छावनी परिषद का गंदा नहीं बल्कि साफ पानी गिरेगा।
पश्चिमी दिल्ली, जागरण संवाददाता। जीवनदायिनी यमुना को स्वच्छ रखने के लिए सबसे जरूरी है कि गंदे पानी की एक भी बूंद इसमें न पड़े। आइआइटी दिल्ली की ओर से दिसंबर 2016 में दिल्ली की जल निकास प्रणाली (ड्रेनेज सिस्टम) का अध्ययन कर मास्टर प्लान तैयार किया था। जारी की गई रिपोर्ट में दिए गए सुझाव के आधार पर जल निकास प्रणाली में सुधार किए जाने थे, ताकि उसे बेहतर बनाया जा सके। उन सुझावों को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली छावनी परिषद ने अपने 39 किलोमीटर के ड्रेनेज सिस्टम में सुधार करने के लिए आइआइटी दिल्ली की ही मदद ली है।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी एसवीआर चंद्रशेखर ने बताया कि छावनी परिषद ने आइआइटी दिल्ली के साथ अनुबंध किया है, जिसके तहत आइआइटी दिल्ली के प्रो. एके गोसाइर्ं ड्रेनेज सिस्टम का अध्ययन कर उसमें मास्टर प्लान के अनुसार क्या-क्या सुधार की आवश्यकता है, उसकी जानकारी छावनी परिषद को उपलब्ध कराएंगे। जानकारी मिलने के बाद छावनी परिषद दिए गए सुझावों पर अमल करेगी। प्रो. एके गोसाईं के साथ आनलाइन छावनी परिषद की पहली बैठक हो चुकी है। जल्द ही वे अपने काम को शुरू कर देंगे। एसवीआर चंद्रशेखर ने बताया कि यमुना को गंदे पानी से बचाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण प्रयास है। नालों से गंदे पानी का कुछ भाग नजफगढ़ ड्रेन के रास्ते यमुना में गिरता है।
ड्रेनेज सिस्टम में सुधार के बाद नजफगढ़ ड्रेन में छावनी परिषद का गंदा नहीं, बल्कि साफ पानी गिरेगा। यह न सिर्फ नजफगढ़ ड्रेन को साफ रखेगा, बल्कि अंत में यमुना को भी निर्मल बनाने में सहायक सिद्ध होगा। छावनी परिषद ने अपने ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए है।
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