दिल्ली समेत देशभर की गर्भवती महिलाओं को लेकर सामने आया चौंकाने वाला अध्ययन
Pollution in India स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 की अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 12.4 लाख प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं। गर्भवती महिलाओं के गर्भपात तक हो रहे हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। बिगड़ती आबोहवा से दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, बल्कि देश भर में लोगों की सेहत तेजी से बिगड़ रही है। महिलाएं, बुजुर्ग और जन्मे बच्चे ही नहीं, अजन्मे बच्चे भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं हैं। बहुत से बच्चे तो प्रदूषण की मार झेल ही नहीं पाते और मां की कोख में ही दम तोड़ देते हैं। महिलाओं में गर्भपात जैसी समस्याएं प्रदूषण के चलते ज्यादा बढ़ रही हैं।
भारत में हर साल 12.4 लाख प्रदूषण की चपेट
इसी को लेकर हाल ही में जारी स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 की अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल 12.4 लाख प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं। इस अध्ययन से यह बात साबित हो गई है कि बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से न केवल गर्भपात हो सकता है, बल्कि समय से पहले जन्म और जन्म के समय बच्चों में कम वजन के लिए भी प्रदूषण जिम्मेदार है।
28 महिलाओं पर हुआ शोध
यह पहला मौका है जब किसी शोध में यह पाया गया है कि मां की सांसों के जरिये शरीर में गए ब्लैक कार्बन के कण अजन्मे बच्चे के अंदर तक पहुंच सकते हैं। हालांकि शोधकर्ताओं ने इस बिंदु को लेकर बेल्जियम में अध्ययन किया था। इसमें 28 ऐसी गर्भवती महिलाओं को चुना गया, जो धूमपान नहीं करती थीं। एक हाई रिजोल्यूशन इमेजिंग तकनीक का प्रयोग किया गया। इस तकनीक की सहायता से गर्भनाल (प्लेसेंटा) के नमूनों को स्कैन किया जा सकता है। इस तरह कार्बन के कण चमकदार सफेद रोशनी में बदल जाते हैं जिन्हें मापा जा सकता है।
इसमें सभी महिलाओं में भ्रूण की तरफ काले कार्बन के कण मिले जो वायु प्रदूषण के असर को इंगित कर रहे थे। इनमें से 10 महिलाएं जो अत्यधिक व्यस्त सड़कों के पास रहती थीं, उनके प्लेसेंटा में कार्बन के कण अधिक मात्रा में पाए गए। वहीं, जो महिलाएं व्यस्त सड़कों से पांच सौ मीटर की दूरी पर रहती थीं, उनके प्लेसेंटा में कार्बन के कण कम पाए गए।
ब्लैक कार्बन पहुंचा रहे नुकसान
डॉ. नरेंद्र सैनी (पूर्व महासचिव, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए)) के मुताबिक, यह बिल्कुल सही है कि मां की सांसों और रक्त नलिकाओं के जरिये अजन्मे बच्चे पर भी प्रदूषण की मार पड़ती है। इसमें भी संदेह नहीं कि ब्लैक कार्बन के कण गर्भपात, समय पूर्व प्रसव और बच्चे की कमजोर सेहत का कारण बनते हैं। इस स्थिति में सुधार के लिए प्रदूषण की रोकथाम बहुत जरूरी हो गई है।
दिल्ली-NCR की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक