Move to Jagran APP

7वीं पीढ़ी के 'बहुरूपिया' शमशाद ने खोला राज, आखिर क्या है विष्णु से उनका रिश्ता

दिल्ली से सटे फरीदाबाद में चल रहा सूरजकुंड मेला बहुरूपिया शमशाद के लिए खास बन गया है। विष्णु से शुरू हुआ बहुरुपिया का यह सफर तकरीबन 100 साल बाद शमशाद तक जारी है।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 10 Feb 2019 06:59 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 03:14 PM (IST)
7वीं पीढ़ी के 'बहुरूपिया' शमशाद ने खोला राज, आखिर क्या है विष्णु से उनका रिश्ता
7वीं पीढ़ी के 'बहुरूपिया' शमशाद ने खोला राज, आखिर क्या है विष्णु से उनका रिश्ता

फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। दिल्ली से सटे हरियाणा के फरीदाबाद में सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला पिछले तीन दशक से आयोजित हो रहा है और यहां सैकड़ों कलाकार देश-प्रदेश और विदेश से आकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। मेला समाप्त होता है और ये कलाकार अपने घरों को लौट जाते हैं। अलग-अलग वेशभूषा व परंपरागत पोशाकों में इन कलाकारों को कई बार उनके मूल रूप में पहचानना भी मुश्किल हो जाता है, ऐसे में वो कोई खास पहचान नहीं बना पाते, पर इस बार का मेला बहुरूपिया शमशाद के लिए खास बन गया है। विष्णु से शुरू हुआ 'बहुरुपिया' का यह सफर तकरीबन 100 साल बाद शमशाद तक जारी है। अब तो पर्यटन निगम ने शमशाद के चेहरे को देश-विदेश में पहुंचा कर उसके रूप को और भी विराट बना दिया है।

loksabha election banner

राजस्थान के दौसा जिले के बांदीकुई निवासी 27 वर्षीय शमशाद के मनमोहनी सांवली सूरत वाले हाथों में बांसुरी, सिर पर मोर-मुकुट, गले में वैजयंती माला, घुंघराले बालों वाले श्रीकृष्ण रूप वाले चित्र कैलेंडर, होर्डिंग, आम और खास लोगों को भेजे जाने वाले निमंत्रण पत्र, लीफलेट मेला परिसर के हर ओर, पर्यटन निगम अधिकारियों के दफ्तरों में, विभिन्न स्टॉलों पर, मेला चौपाल की स्टेज के बैक ड्रॉप नजर आ रहे हैं। अतिथियों को स्मृति चिन्ह के रूप में जो सामग्री दी जा रही है, उसमें भी यह चित्र वाले बड़े कैलेंडर शामिल हैं। इससे शमशाद आम बहुरूपिया से खास बन गए हैं।

शमशाद को नहीं थी पहले से जानकारी

दैनिक जागरण से बातचीत में शमशाद ने बताया कि उसे पहले से कोई जानकारी नहीं थी कि हरियाणा पर्यटन निगम ऐसा कुछ करने जा रहा है। वो पिछले चार साल से मेले का हिस्सा है। भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप वाला यह चित्र गत वर्ष का है। अब तो उसे मेला शुरू होने से कुछ दिन पहले ही पर्यटन निगम अधिकारियों ने यह जानकारी देकर सरप्राइज दिया।

शमशाद कहते हैं कि अब प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया के जरिए देश-विदेशों तक भी पहुंच जाता है, ऐसे में यह उसके लिए सौभाग्य की बात है और वरना तो कई बहुरूपिये यहां अपनी कला दिखा ही रहे हैं। अब जब लोगों को पता चलता है कि मेरा ही चित्र अंकित है, तो फिर लोग मुझे सेलेब्रिटी का अहसास दिला कर फोटो करवाते हैं। हालांकि इसके लिए अलग से शमशाद को कोई भुगतान नहीं किया गया।

अपने खानदान की सातवीं पीढ़ी है शमशाद

शमशाद अपने खानदान की सातवीं पीढ़ी है, जो बहुरूपिया कला की परंपरा को आगे बढ़ा रही है। शमशाद के पिता शुभराती, दादा गफूर, परदादा भभूता, पर-परदादा पोतानी, पर-पर-परदादा ढोकल जी, पर-पर-पर-परदादा विष्णु भी राजा-महाराजाओं के दरबार में तरह-तरह की नकल करने के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। पिता शुभराती ने 26 जनवरी को राजपथ पर हुई परेड में अकबर के रूप में शिरकत की थी और राष्ट्रमंडल खेल-2010 का भी हिस्सा बने थे। 

मेले में राजस्थान के बादीकुई जिले के बहुरूपिया कलाकार भाइयों शमशाद, अब्दुल हमीद, नौशाद, सलीम और फरीद कमाल कर रहे हैं। नारद मुनि का रूप धरे शमशाद कहते हैं, 'पिछले कई दशकों से मेरा पूरा कुनबा परंपरागत बहुरूपिया कला को संजोए रखने का प्रयास कर रहा है। देशभर में आयोजित होने वाले सास्कृतिक मेलों में हम लोग बुलावे पर और नहीं बुलाने पर भी जीविकोपार्जन के लिए जाते रहते हैं।'

अकबर बने अब्दुल हमीद का कहना है, 'लोगों को हंसाने में मुझे आत्मसंतुष्टि मिलती है। यह किसी भी पारिश्रमिक से ज्यादा मूल्यवान है। मेरे मन में एक टीस है। हम लोग अपनी जिंदगी के गमों को सीने में दबाते हैं, विभिन्न मनोभावों और संवादों के माध्यम से हम लोगों को जीवन में एक बार फिर से खिलखिलाने का मौका देते हैं। हम बहुरूपिया कलाकारों के बारे में सरकार उम्मीद के हिसाब से ज्यादा कुछ नहीं करती। इसकी हमें तकलीफ है।

बीमार पिता का इलाज नहीं करा पा रहे
बहुरूपिया कलाकार शमशाद के अनुसार, उनके पिता शुभराति बहुरूपिया भी मेलों में विभिन्न देवताओं का रूप धरकर लोगों का मनोरंजन करते थे। आज वह बीमार हैं। डायलिसिस चल रही है। एक किडनी खराब हो चुकी है और दूसरी भी पूरी तरह से संक्रमित है। आय का कोई अन्य साधन नहीं है। उनका अच्छा उपचार कराने में हम अक्षम हैं। राजस्थान और दिल्ली में कुछ नेताओं और आला अफसरों के यहा आर्थिक मदद के लिए प्रार्थना पत्र दिया है मगर अब तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है।

बढ़ाया गया पारिश्रमिक है नाकाफी
बहुरूपिया कलाकार शमशाद ने बताया कि हरियाणा सरकार ने इस बार मेले में भाग लेने वाले लोक कलाकारों का पारिश्रमिक 250 रुपये बढ़ाया है। बढ़ती महंगाई और ड्रेस-मेकअप खर्चे के लिहाज से यह काफी कम है। पहले कलाकारों को 500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता था मगर मनोहर लाल सरकार अब मेले में आए लोक कलाकारों को 750 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करेगी। इन कलाकारों ने प्रतिदिन एक हजार रुपये भुगतान की माग उठाई है।


दिल्ली-एनसीआर की महत्वपूर्ण खबरों को पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.