तिहाड़ जेल में नया पैंतरा अपना रहे हैं अलगाववादी, हर वक्त करते हैं बस यही काम
अलगाववादी खुद अपने जीवन में डरपोक, आरामपसंद व स्वार्थी हैं। कभी फर्श खराब होने तो कभी दीवार में सीलन होने की शिकायत करते हैं।
नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। देश से अलग होने की बात करने वाले अलगाववादियों को तिहाड़ में हाई रिस्क वार्ड रास नहीं आ रहा है। तिहाड़ के विभिन्न जेलों में बंद अलगाववादी हमेशा इस कोशिश में रहते हैं कि उन्हें हाई सिक्योरिटी वार्ड से हटाकर आम कैदियों के बीच रखा जाए।
अलगाववादी जेल प्रशासन से हमेशा इस बात का आग्रह करते हैं कि उन्हें साधारण बैरकों में रखा जाए। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से जेल प्रशासन ऐसा नहीं कर सकता। तिहाड़ के हाई सिक्योरिटी वार्ड में आतंकवादी, अलगाववादी व कुख्यात अपराधी रहते हैं। इनमें कई जम्मू-कश्मीर के तो कई पाकिस्तान के भी हैं। गैंगस्टर छोटा राजन को भी हाई सिक्योरिटी वार्ड में ही रखा गया है।
अकेले नहीं लगता मन
अलगाववादियों को जब जेल की दुनिया में दूसरों से अलग रखा जाता है तो वे खुद भीड़ से अलग होना नहीं चाहते हैं। वे यहां से निकलने के लिए कई पैंतरे अपनाते हैं। पहले तो जेल प्रशासन से शिकायत करते हैं कि यहां इंतजाम सही नहीं हैं। कभी फर्श खराब होने तो कभी दीवार में सीलन होने की शिकायत करते हैं। जब ये छोटी शिकायतें दूर कर दी जाती हैं तो कभी खुद को बीमार बताकर अस्पताल में शिफ्ट करने तो कभी भोजन की शिकायत करते हैं। जब सारे दांव विफल हो जाते है तो अंत में कोर्ट में भी जेल प्रशासन के खिलाफ शिकायत करने से नहीं हिचकते।
क्यों नहीं रहना चाहते हाई सिक्योरिटी वार्ड में
दूसरों को बर्बादी की राह पर ले जाने वाले अलगाववादी खुद अपने जीवन में डरपोक, आरामपसंद व स्वार्थी हैं। जेल सूत्रों के अनुसार हाई सिक्योरिटी वार्ड के कैदियों को सुरक्षा की दृष्टि से आम कैदियों से दूर एक कमरे में रखा जाता है। जहां तीन स्तर का सुरक्षा घेरा चौबीसो घंटे रहता है। सुबह व शाम के समय कुछ घंटे के लिए उन्हें बाहर निकाला जाता है। कैदी चाहते हैं कि उन्हें कुछ घंटों के बजाय हमेशा परिसर में घूमने की आजादी मिले। कड़ी निगरानी के कारण ये जेल में मनमानी नहीं कर पाते। इन्हें सख्त अनुशासन में रखा जाता है।
कहीं अन्य कैदियों को अलगाव के रास्ते पर तो नहीं ले जाना चाहते
इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं ये अन्य कैदियों के साथ घुल-मिलकर उनका ब्रेनवॉश करने की फिराक में तो नहीं है। ये हाई रिस्क वार्ड में रहते हुए अपने नापाक मंसूबों को अंजाम नहीं दे पाते हैं, शायद इसीलिए बाहर रहते हुए अन्य कैदियों के मन में जम्मू-कश्मीर के अलगाव की भावना पैदा कर सकें।
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