देश के निर्माता, भविष्य के कातिलः होनहार ने कभी कहा था- मां! मुझे उस गंदे शिक्षक से बचा लो
छात्रा तो इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन उसकी गुहार आज भी मां के कानों में गूंज रही है।
नई दिल्ली (शुजाउद्दीन)। शिक्षक को देश का निर्माता और बच्चों/युवाओं को देश का भविष्य कहा जाता है, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली के नामी स्कूल की छात्रा की खुदकुशी ने शिक्षकों की भूमिका पर कुछ सवाल उठाए हैं। दरअसल, दिल्ली के एल्कॉन पब्लिक स्कूल की छात्रा ने मजबूरी में खुदकुशी कर ली, क्योंकि कुछ शिक्षक उसे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान कर रहे थे।
...क्योंकि, मैं लड़की हूं ना
'मां! मुझे उस गंदे शिक्षक से बचा लो..। वह हर रोज अलग-अलग तरीके से परेशान करता है। मैं गलत नहीं हूं, लेकिन सोशल साइंस का शिक्षक मेरे साथ जो करता है, अगर दुनिया वालों को पता चल गया तो वे मुझे ही गलत समझेंगे। क्योंकि, मैं लड़की हूं ना ..। क्या इस देश में लड़की होना पाप है..। मैं तुमसे अपना दर्द बांट रहा हूं पर तुम शिक्षक की गंदी हरकतों के बारे में किसी को मत बताना, क्योंकि मैं बदनामी सहन नहीं कर सकती'। ये दर्द भरे अल्फाज थे मयूर विहार फेस-1 स्थित एल्कॉन पब्लिक स्कूल की नौवीं की छात्रा के, जिसने नवंबर-2017 में ही अपनी मां के सामने आपबीती बयां की थी और उसी विषय में फेल होने पर गत मंगलवार को मौत को गले लगा लिया।
लोकलाज के कारण मां तो बेटी की व्यथा किसी को नहीं बता सकी, लेकिन परिणाम आने के बाद छात्रा इतनी टूट गई थी कि जीने की हसरत ही छोड़ दी। अब वह छात्रा तो इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन उसकी गुहार आज भी मां के कानों में गूंज रही है।
बेटी को न्याय दिलाने के लिए बृहस्पतिवार को सड़क पर उतरी मां बीते दिनों को याद करके फूट-फूटकर रो पड़ीं। वह पल्लू फैलाकर न्याय की गुहार लगा रही थीं, लेकिन एक बेबस मां को स्कूल के अंदर नहीं जाने दिया गया। नवंबर में ही कहा था, मेरा स्कूल बदलवा दो...।
जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि नवंबर 2017 में ही उनकी बेटी ने प्रताड़ना के बारे में बताया था। कहती थी कि मेरा स्कूल बदलवा दो, वरना विज्ञान और सोशल साइंस के शिक्षक उसे किसी कीमत पर पास नहीं होने देंगे।
इस पर वह उसे यही कहकर दिलासा दिलाती रहीं कि नौवीं कक्षा यहां से पास कर लो, फिर दूसरे स्कूल में दाखिला दिला दूंगी। क्योंकि, तब उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि कोई शिक्षक भी ऐसी हरकत कर सकता है। फिर भी बेटी की पीड़ा देखकर वह दो दिन बाद स्कूल गई, लेकिन प्रधानाचार्य धर्मेंद्र गोयल ने मिलने से इन्कार कर दिया।
इसके बाद भी वह दो बार वहां गई, लेकिन प्रधानाचार्य नहीं मिले। आखिरकार, परिणाम आने के बाद बेटी ने मौत को गले लगा लिया। अब तो हमेशा सोना ही है.. छात्रा की मां ने बताया कि मंगलवार को जिस दिन बेटी ने मौत को गले लगाया, उस सुबह वह देर से जागी।
वजह पूछने पर कहा-मां, अब तो हमेशा सोना ही है, क्योंकि यह दुनिया रहने लायक नहीं है। मालूम हो कि छात्रा की खुदकशी के मामले में स्कूल के सोशल साइंस के शिक्षक राजेश सहगल और साइंस की शिक्षिका नीरज आनंद आरोपित हैं।