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Kisan Andolan: सरकार के भेजे प्रस्ताव पर तैयार हुए किसान, कल की बैठक में लेंगे निर्णय

Kisan Andolan दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर बुधवार दोपहर में संयुक्त किसान मोर्चा की एक अहम बैठक होने जा रही है। इसमें आंदोलन खत्म करने अथवा आंदोलन की दिशा के साथ आंदोलन का स्वरूप तय करने पर भी चर्चा होगी।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 07:48 AM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 06:01 PM (IST)
Kisan Andolan: सरकार के भेजे प्रस्ताव पर तैयार हुए किसान, कल की बैठक में लेंगे निर्णय
Kisan Andolan LIVE: संयुक्त किसान मोर्चा की 5 सदस्यीय समिति की बैठक खत्म। कल होगा निर्णय।

नई दिल्ली/सोनीपत, आनलाइन डेस्क। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद किसानों के धरना प्रदर्शन खत्म करने को लेकर नया मोड़ आ गया है। जहां एक केंद्र सरकार ने आंदोलन खत्म करने पर मांगें मानने का आश्वासन दिया है तो किसान संगठनों का कहना है कि पहले सरकार हमारी सभी बातें मानें। इस पर मामला अटक गया है। बहरहाल दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर बुधवार दोपहर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक शुरू हुई, फिर उसे दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित किया गया। इसके बाद फिर शाम को बैठक शुरू हुई।संयुक्त मोर्चा की बुधवार की बैठक में आंदोलन समाप्त करने पर निर्णय नहीं हुआ। कल फिर मोर्चा की बैठक होगी। किसान मोर्चा से जुड़े युद्धवीर सिंह ने कहा, अभी जो संशोधित ड्राफ्ट हमारे सामने आया है, उस पर सहमति बन गई है। कल अधिकारिक तौर पर लिखित में ड्राफ्ट आने पर मोर्चा की बैठक फिर होगी और उसमें कोई निर्णय लिया जाएगा। आंदोलन खत्म करने अथवा आंदोलन की दिशा के साथ आंदोलन का स्वरूप तय करने पर भी चर्चा की जानी थी।

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Highlights

  • जानकारी सामने आ रही है कि संयुक्त किसान मोर्चा की 5 सदस्यीय समिति ने बुधवार सुबह 10 बजे नई दिल्ली में एक बैठक हुई।
  • कुंडली बार्डर पर दोपहर दो बजे संयुक्त किसान मोर्चा के सभी नेताओं की होगी अहम बैठक
  • बैठक से पूर्व मोर्चा की पांच सदस्यीय कमेटी से सरकार के प्रतिनिधियों की हो सकती है मुलाकात
  • आंदोलन समाप्त करने में केस वापसी पर फंसा है पेंच, अन्य मांगों पर लगभग बन चुकी है सहमति

इससे पहले किसान संगठनों को पत्र लिखकर केंद्र सरकार ने पुन: घर लौटने की अपील की और विस्तार से बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चर्चा के लिए प्रस्तावित समिति में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के सदस्य भी होंगे। आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर भी राज्य सरकारें सहमत हैं। पराली के मुद्दे पर किसानों को पहले ही राहत दे दी गई है, जबकि विद्युत संशोधन विधेयक चर्चा के बाद ही संसद में पेश होगा। केंद्र की नरमी के बावजूद किसान संगठनों को एमएसपी समिति और मुकदमा वापसी वाले ¨बदुओं की भाषा पर संदेह है, जिस पर उन्होंने बुधवार तक सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। बुधवार दोपहर दो बजे एसकेएम फिर बैठक करेगा। गतिरोध के बावजूद माना जा रहा है कि अब आंदोलन खत्म हो सकता है।

किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि अधिकांश किसान संगठनों में सहमति है और सरकार ने हमारी अधिकांश मांगें मान ली हैं। फैसले की आधिकारिक घोषणा बुधवार की बैठक के बाद हो सकती है। एसकेएम से जुड़े एक अन्य किसान नेता ने भी कहा कि बुधवार को आंदोलन खत्म होने की संभावना है।

सरकार से चाहिए स्पष्टीकरण: पत्रकारों से बातचीत में एसकेएम के वरिष्ठ नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि एमएसपी पर पहले प्रधानमंत्री ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने भी समिति बनाने की घोषणा की है। इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार, किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि विज्ञानियों के शामिल होने की बात कही गई है। मोर्चा चाहता है कि समिति में शामिल लोगों के नाम स्पष्ट किए जाएं। ऐसे लोग समिति में नहीं होने चाहिए, जो सरकार के साथ कानून बनाने में भी शामिल रहे थे। उम्मीद जताई कि बुधवार तक सरकार की ओर से इसे स्पष्ट कर दिया जाएगा। विद्युत संशोधन विधेयक पर भी किसान संगठन सहमत नहीं हैं। यह विधेयक राज्य बिजली नियामक आयोग की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय चयन समिति का प्रस्ताव करता है। बिजली सब्सिडी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के तौर पर देने का भी प्रस्ताव है।

ठोस आश्वासन की मांग

सरकार के प्रतिनिधियों ने कुंडली बार्डर पर एसकेएम की तरफ से केंद्र से बातचीत के लिए नामित समिति के सभी सदस्यों के साथ बैठक की। बाद में इन सदस्यों ने सरकार के प्रस्ताव एसकेएम की बैठक में रखे। बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार ने मुकदमे वापस लेने के लिए जो शर्त रखी है, वह हमें मंजूर नहीं है। प्रेट्र के अनुसार, एसकेएम ने इन मुकदमों में इस साल 26 जनवरी की ¨हसा से जुड़े मामलों को भी शामिल किया है। शिवकुमार कक्का ने कहा, हम गृह मंत्रलय के लेटर हेड पर पत्र चाहते हैं जिस पर गृह मंत्री के हस्ताक्षर भी हों। आंदोलन में शामिल हरियाणा के किसान संगठनों ने कहा कि अगर बिना मुकदमा वापसी के आंदोलन खत्म करने का एलान किया तो वे जाट आंदोलन की तरह फंस जाएंगे।


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