Sanskarshala 2022: डिजिटल मीडिया पर सलाह और सलाहकारों के चयन में बरतें सावधानी
सुबह जब स्कूल जाने के लिए तैयार होकर नाश्ते की टेबल पर पहुंचा तो मम्मी ने जो गर्मार्गम नाश्ता तैयार कर रखा था उसे खाया। गिलास भर दूध पिया और स्कूल चला गया। आशीष की मम्मी के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई।
क्षमा शर्मा। आशीष के पड़ोस में रहने वाला दीपू 10वीं क्लास में पढ़ता था। दीपू बाडीबिल्डर बनना चाहता था। एक बार आशीष ने दीपू से पूछा कि क्या जिम जाने से बाडी बन जाती है। तो वह हंसकर बोला-अरे भाई नहीं,अपने खाने-पीने का भी ध्यान रखना पड़ता है। -क्या खाते हैं आप। किसी खान-पान विशेषज्ञ से सलाह लेते हैं। नहीं, आजकल तो इंटरनेट है न, क्यों किसी डाइटीशियन के पास जाकर पैसे खर्च करूं। मैं यू ट्यूब तथा अन्य जगहों पर देखता रहता हूं कि लड़के कैसे बाडी बनाते हैं। क्या खाते हैं?–आशीष ने पूछा। -अब सारी बातें तो क्या बताऊं। जाकर खुद इंटरनेट पर देख ले। उसकी बातें सुनकर आशीष सोच में पड़ गया। उसको सोचता देख दीपू बोला मैं तो बस उतना ही खाता हूं, जितनी जरूरत हो। रात के खाने में सिर्फ सलाद और सवेरे उठकर नारियल पानी। -तो क्या आप रोटी, चावल पूरी-परांठा कुछ नहीं खाते?
नहीं, कुछ भी तो नहीं। अगर ये खाऊंगा तो मोटा हो जाऊंगा। ये तो इंस्टा पर भी जाकर देख सकता है।
दोस्त से हुआ प्रभावित
दीपू की बातें सुनकर आशीष बहुत प्रभावित हुआ। उसे लगा, वह भी उसी की तरह बाडी बनाएगा। अब तो आशीष के सर पर भूत सवार हो गया और वह दिनभर इंटरनेट मीडिया के विभिन्न साइट्स और प्लेटफार्म्स पर बाडी बिल्डिंग के वीडियोज देखने लगा। तरह-तरह के वीडियोज दिखाई देते, जहां अलग-अलग तरह की बातें कही जातीं। मशहूर जिम और बाडी बिल्डर्स के बारे में भी तमाम वीडियोज और जानकारी थी। एक दिन उसने अपनी मम्मी से कहा कि वह भी जिम जाना चाहता है। -जिम क्यों?
-क्योंकि मैं नहीं चाहता कि वजन बढ़े। मैं बड़े होकर अमरीकी अभिनेता स्वार्जनेगर जैसा बनना चाहता हूं। -पहले पढ़-लिख लो,तब ऐसा सोचना। -नहीं कोशिश तो अभी से करनी चाहिए। कल से मैं न नाश्ता करूंगा, न खाना खाऊंगा। आशीष की मम्मी परेशान। वे सोचने लगी कि कहीं कोई दोस्त तो उसे ऐसा नहीं सिखा रहा। उन्होंने देखा कि उनका बेटा देर रात तक आनलाइन सर्च करता रहता है। वीडियोज देखता रहता है। एक दिन जब आशीष स्कूल से लौटा तो मम्मी जिद करके खाना खिलाने लगीं, वह मना कर रहा था उसने कहा कि सुबह प्रोटीन पाउडर घोलकर पी लिया है।
हादसे से सबक
तभी लैंडलाइन फोन की घंटी बजी। मम्मी ने फोन उठाया और बात सुनकर चिंता से कहा- कोई बात नहीं, अभी वह लौटे नहीं हैं। मैं उनका नंबर देती हूं। उन्हें फोन भी कर देती हूं। मम्मी ने पापा से जो कहा तो आशीष के होश उड़ गए। दीपू के पापा का फोन था। आज स्कूल में वह बेहोश हो कर गिर पड़ा। उसे अस्पताल ले जाना था। पापा देर से लौटे। मम्मी ने दीपू के बारे में पूछा। वह बोले- अब ठीक है, लेकिन कई दिन तक उसे अस्पताल में रहना होगा। उसने कई महीनों से ठीक से कुछ नहीं खाया। कमजोरी इतनी आ गई कि स्कूल में ही तबियत खराब हो गई। वर्मा जी और उनकी पत्नी रोकर कह रहे थे कि क्या करें, आजकल बच्चे मानते ही नहीं। इंटरनेट पर जो दिखता है, उसको ही सच मान लेते हैं। इंस्टा को ही अपना जीवन मान बैठे हैं। फिर पापा हंसकर बोले-अगर गूगल ही डाक्टर है, तो हम डाक्टरों की भला क्या जरूरत है। मम्मी ने चिंता से पूछा-अब तो ठीक है।
-हां, लेकिन उसे अपनी आदतें बदलनी होंगी। वजन को काबू में रखना, स्वस्थ रहना एक बात है और बिल्कुल कुछ न खाना, दूसरी बात।
इंटरनेट पर सबकुछ नहीं होता सही
मम्मी ने आशीष की तरफ देखा। उसने आंख के इशारे से चुप रहने को कहा। आशीष सोच में पड़ गया था कि अब वह क्या करे। देर रात मम्मी उसके कमरे में आईं और आशीष को समझाया कि इंटरनेट पर सबकुछ सही नहीं होता है। उसको सत्य मानने के पहले उसके बारे में पता करना चाहिए। विशेषज्ञों के राइटअप आदि पढ़ने चाहिए। इंटरनेट पर बताए गए नुस्खे पर विचार करना चाहिए। इसका ध्यान रखना चहिए कि फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम आदि पर ढेर सारे फेक अकाउंट भी होते हैं, जो गलत जानकारियों से बच्चों को बरगलाते हैं। अगर इंटरनेट पर कुछ आकर्षक दिखे तो अपने मम्मी-पापा से चर्चा करो और फिर उसको अपनाने के बारे में सोचो। आशीष चुपचाप अपनी मम्मी की बातें सुन रहा था। जब मम्मी उसके कमरे से चली गईं तो उसने अपना मोबाइल खोला और उसमें बाडी बिल्डिंग के जिन साइट्स को फेवरिट में डाल रखा था, उन सबको डिलीट कर दिया। अगले दिन सुबह जब स्कूल जाने के लिए तैयार होकर नाश्ते की टेबल पर पहुंचा तो मम्मी ने जो गर्मार्गम नाश्ता तैयार कर रखा था, उसे खाया। गिलास भर दूध पिया और स्कूल चला गया। आशीष की मम्मी के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई।