मोदी सरकार में छोटे कस्बे में रहने वालों को भी मिल रहा सम्मान : जितेंद्र सिंह
पर्यावरण को बचाने के लिए एक अभियान शुरू किया गया है जिसके तहत नागरिक बिना किसी विशेष प्रयासों के इसमें सहयोग दे सकते हैं। बस नागरिकों को अपने व्यवहार को पर्यावरण हितैषी बनाना है।
नई दिल्ली, जेएनएन। देश में पहले पद्म और पद्मश्री जैसे सम्मान राज्यपाल और केंद्रीय मंत्रियों की सिफारिश से दिए जाते थे, लेकिन केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद यह प्रचलन बदला है। अब बिना सिफारिश के समाज द्वारा खोजे गए लोगों को यह सम्मान मिलते हैं। उक्त बातें केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एनडीएमसी कंवेंशन सेटर में सेवा भारती के सहयोग से संत ईश्वर फाउंडेशन द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में कहीं।
छोटे कस्बे में रहने वालों को भी मिल रहा सम्मान
उन्होंने कहा कि अब भारत के आदिवासी क्षेत्रों के अलावा छोटे-छोटे कस्बों में रहने वाले लोगों को भी पद्म श्री के सम्मान दिए जा रहे हैं। ऐसा ही कार्य संत ईश्वर फाउंडेशन ने भी किया है। देश में निष्काम सेवा से कार्य करने वाले लोगों को ढूंढकर सम्मानित किया है, जो काफी सराहनीय है।
जयवायु परिवर्तन बनी गंभीर समस्या
इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सम्मानित लोगों को बधाई देते हुए कहा कि आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में समस्त विश्व भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है, क्योंकि भारत का डीएनए ही पर्यावरण को बचा सकता है।
पर्यावरण को बचाने के लिए शुरू हुआ अभियान
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए एक अभियान शुरू किया गया है जिसके तहत नागरिक बिना किसी विशेष प्रयासों के इसमें सहयोग दे सकते हैं। बस नागरिकों को अपने व्यवहार को पर्यावरण हितैषी बनाना है। संत ईश्वर सम्मान समिति के चेयरमैन कपिल खन्ना ने बताया कि इस सम्मान समारोह में पर्यावरण, शिक्षा और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया है।
इन्हें मिला सम्मान
इसमें बाबा बलवीर सिंह सीचेवाल (पंजाब) को पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य हेतु सम्मानित किया गया है। इसके अलावा जालेश्वर ब्रह्मा (गुवाहाटी), शिवगंगा विकास जतन (मध्य प्रदेश), सिद्धेश्वरी सेवा मिशन (त्रिपुरा), सनातन संत समाज गहिरा (छत्तीसगढ़), नवजागृति समिति (झारखंड), नव प्रभात पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट (ओडिशा), निरामय बहुउद्देशीय सेवा संस्था (महाराष्ट्र), दीपक उपाध्याय (देहरादून), बुधरीताती (छत्तीसगढ़), अबलाश्रम (कर्नाटक), विवेकानंद समिति (उत्तर प्रदेश), केशव सेवा साधना (गोवा), संवेदना सेरेबल पाल्सी विकसन केंद्र (महाराष्ट्र), एम मुथु सेल्वी (तमिलनाडु), वंदेमातरम फाउंडेशन (तेलंगाना), शिवांगी पाठक (हरियाणा) को सम्मानित किया गया।