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1984 सिख दंगा : सज्जन को HC से एक और झटका, 31 दिसंबर तक करना ही होगा सरेंडर

पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने नाती-पोतों का हवाला देते हुए समर्पण करने के लिए 30 दिन की मोहलत देने की दिल्ली हाई कोर्ट से मांग की थी, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 12:40 PM (IST)Updated: Fri, 21 Dec 2018 11:39 AM (IST)
1984 सिख दंगा : सज्जन को HC से एक और झटका, 31 दिसंबर तक करना ही होगा सरेंडर
1984 सिख दंगा : सज्जन को HC से एक और झटका, 31 दिसंबर तक करना ही होगा सरेंडर

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने नाती-पोतों का हवाला देते हुए समर्पण करने के लिए 30 दिन की मोहलत देने की दिल्ली हाई कोर्ट से मांग की थी, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बड़ा झटका देते हुए सज्जन कुमार की सरेंडर के लिए एक महीने की मोहलत देने की मांग खारिज कर दी है। ऐसे में अब सज्जन को 31 दिसंबर तक कोर्ट में सरेंडर करना ही होगा। 

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बता दें कि बृहस्पतिवार को दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल किए गए अपने आवेदन में सज्जन कुमार (73) ने कहा था कि उनकी पत्नी समेत एक बड़ा परिवार है। उनके तीन बच्चे, एक भाई और तीन बहनें हैं। इसके अलावा पांच साल से लेकर 25 साल के उनके आठ नाती-पोते हैं। साथ ही सज्जन कुमार ने कहा कि उनका बड़ा परिवार है और उन्हें संपत्ति और पारिवारिक मामलों को सुलझाना है। ऐसे में हाई कोर्ट द्वारा दी गई 31 दिसंबर तक समर्पण करने की अवधि को बढ़ाकर 30 जनवरी 2019 तक की जाए।

आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने पर सज्जन कुमार ने कहा था कि वर्तमान स्थिति के हिसाब से हाई कोर्ट द्वारा दिए गए समय में वह परिवार के मामलों को नहीं निपटा सकते। उन्होंने यह भी कहा कि मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करना उनका अधिकार है और वर्तमान समय में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के अवकाश पर होने के कारण वह अपील नहीं दायर कर सकते। सज्जन कुमार ने कहा था कि वही मामले में अपने अधिवक्ता को सही तथ्य बता सकते हैं। ऐसे में उन्हें 30 दिन की मोहलत दी जाए। सज्जन कुमार ने कहा कि उन्होंने जांच एजेंसियों का हमेशा सहयोग किया है और कभी कोई अवहेलना नहीं की।

हाई कोर्ट ने सुनाई थी आजीवन कारावास की सजा
1984 सिख विरोध दंगा मामले में 17 दिसंबर को न्यायमूर्ति एस मुरलीधर व न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने सज्जन कुमार को साजिश रचने, आगजनी समेत कई अन्य धाराओं में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही उन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए उन्हें 31 दिसंबर तक समर्पण करने के आदेश दिए थे।

सज्जन कुमार के अलावा हाई कोर्ट ने बलवान खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल को उम्रकैद और पूर्व विधायक महेंद्र यादव व किशन खोखर को निचली अदालत से मिली तीन-तीन साल की सजा को बढ़ाकर 10-10 साल कर दिया था।

वहीं, सजा पाए सज्जन कुमार द्वारा राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में संभावित अपील के मद्देनजर एक गवाह ने अभी से ही कोर्ट का रुख कर दिया है। इस गवाह ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर मांग की है कि किसी भी सुनवाई से पहले  उनका  पक्ष सुना जाए।

यहां पर बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार (17 दिसंबर) को कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और उन्हें 31 दिसंबर तक सरेंडर करने का आदेश दिया गया था। सज्जन को आपराधिक साजिश और दंगा भड़काने का दोषी पाया गया था, जबकि इससे पहले निचली अदालत ने 30 अप्रैल 2013 को उन्हें बरी कर दिया था।

सज्जन को गवाह ने पहचान लिया था

इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट में मामले की एक गवाह चाम कौर ने सज्जन को पहचान लिया था। चाम ने बयान दिया था- घटनास्थल पर मौजूद सज्जन ने वहां मौजूद दंगाइयों से कहा था कि सिखों ने हमारी मां (इंदिरा गांधी) का कत्ल किया है, इसलिए इन्हें नहीं छोड़ना। भीड़ ने उकसावे में आकर मेरे बेटे और पिता की हत्या करवाई।

5 सिखों की हत्या के मामले में हुई सजा

बता दें कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे फैले थे। इस दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर में पांच सिखों- केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या हुई थी। इस मामले में केहर सिंह की विधवा और गुरप्रीत सिंह की मां जगदीश कौर ने शिकायत दर्ज कराई थी।


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