RTI : पांच वर्षों में दिल्ली के किसानों से नहीं हुई खरीफ फसल की खरीदारी
वर्षों से दिल्ली के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग करते आए हैं। दिल्ली के मुंडका गांव में दिल्ली देहात संगठन के बैनर तले किसानों व ग्रामीणों ने विभिन्न मुद्दे को लेकर बैठक की थी। देशभर के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मिले इसपर चर्चा हुई।
शिप्रा सुमन, बाहरी दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम द्वारा दिल्ली के किसानों से खरीफ फसलों की खरीदारी बहुत कम होती है। इसे प्रमाणित करता है पिछले पांच वर्षों का ब्योरा जिसमें स्पष्ट तौर पर यह उल्लेख किया गया है कि पांच वर्षों में केवल दो बार ही यह खरीदारी हुई है जिसका नुकसान किसानों को झेलना पड़ रहा है।
सूचना का अधिकार के अंतर्गत फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली के किसानों से सिर्फ दो बार गेहूं खरीदा है और खरीफ की फसल (धान) एक बार भी नहीं खरीदी गई है। इसलिए इन हालातों में दिल्ली के किसान अपनी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम दामों पर बेचने को मजबूर हैं। वर्षों से दिल्ली के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग करते आए हैं। हाल ही में दिल्ली के मुंडका गांव में दिल्ली देहात संगठन के बैनर तले किसानों व ग्रामीणों ने विभिन्न मुद्दे को लेकर बैठक की थी। इसमें दिल्ली के किसानों समेत देशभर के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मिले, इस पर चर्चा हुई।
आरटीआई से जानकारी जुटाने वाले कंझावला के आरटीआई कार्यकर्ता संजय डबास ने बताया कि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने बताया कि 2015 से 2020 तक भारतीय खाद्य निगम दिल्ली क्षेत्र में कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) की खरीद नहीं हुई है। जबकि 2015 से 2020 तक रबी विपणन वर्ष के दौरान भारतीय खाद्य निगम दिल्ली क्षेत्र में गेहूं की खरीदारी दो बार की गई। संजय के मुताबिक आज भी दिल्ली के 360 गांवों में से करीब 150 गांवों में किसान खेती करते हैं। वह कृषि पर ही निर्भर हैं लेकिन उन्हें सब्सिटी और दूसरी सुविधाएं नहीं मिलती।
जौंति गांव के संत राम बताते हैं कि दी गई सूचना से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली के किसानों को अपनी फसल गेहूं व चावल की एमएसपी से कम दामों पर मजबूरी में बेचनी पड़ रही है।
पांच वर्षों की खरीदारी का ब्योरा :
रबी विपणन वर्ष खरीद
2015-16 1787 मैट्रिक टन
2016-17 शून्य
2017-18 शून्य
2018-19 शून्य
2019-20 शून्य
2020-21 27.6 मैट्रिक टन
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