दिल्ली की स्लम बस्तियों में स्वरोजगार का मार्ग सुलभ कर रही है सेवा भारती, कई लोगों को मिला लाभ
सेवा भारती का कहना है कि व्यक्ति स्वावलंबी बने स्वयं नौकरी के लिए भटकने से अच्छा है वह इस योजना का लाभ लेकर खुद का व्यवसाय करे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हम नौकरी मांगने की अपेक्षा नौकरी देने वाले बनें, तभी देश में आर्थिक समानता व समरसता आएगी। सेवा भारती के स्वयंसेवक बेरोजगार युवाओं को स्वावलंबी बनने को प्रेरित करते हुए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का यह लक्ष्य बता रहे हैं। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का सेवा का आयाम 'सेवा भारती दिल्ली प्रान्त' दिल्ली के स्लम व जेजे क्लस्टर के बेरोजगार युवाओं व महिलाओं को स्वरोजगार के लिए जागरूक कर रहा है।
स्वयंसेवक इन बस्तियों में घर-घर जाकर प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की जानकारियां दे रहे हैं। उनसे कहा जा रहा है कि स्वावलंबी बनें। नौकरी के लिए भटकने से अच्छा है, इस योजना का लाभ लेकर स्वयं का उद्यम स्थापित कर, अपने साथ चार और लोगों को रोजगार दें। इससे अपना विकास तो होगा ही साथ ही समाज और देश का विकास भी होगा और मान सम्मान भी बढ़ेगा।
सेवा भारती के सेवा बस्तियों (जेजे क्लस्टर) में इस स्वरोजगार जागरण अभियान के दौरान लोगों ने बताया कि इससे पहले बैंक ने उन्हें कभी भी ऋण नहीं दिया था और न ही बस्ती के लोगों की बैंक जाने की हिम्मत हुई। सेवा भारती ने प्रयोग के रूप में बस्तियों से फॉर्म इकठ्ठा करके पिछले साल 250 लोगों को ऋण दिलवा कर उनका रोजगार शुरू करने के लिए कौशल विकास किया। वर्तमान में कोरोना महामारी के बावजूद सेवा भारती ने केशवपुरम और उत्तर पूर्व दिल्ली की स्लम बस्तियों में जाकर 101 फॉर्म इकठ्ठा किए हैं, जिसमें से 60 को स्वरोजगार के लिए ऋण की मंजूरी मिल चुकी हैं और 35 लोगों को लोन का भुगतान भी हो गया है।
स्वरोजगार के इस अभियान के अंतर्गत स्लम बस्तियों में कौशल विकास के लिए 19 सितंबर दिलशाद गार्डन के 'अर्वाचीन इंटरनेशनल स्कूल में सेवा भारती व युनियन बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों के साथ एक कार्यक्रम करने जा रहे हैं, जिसमें स्लम बस्तियों के विकास समेत कुछ अन्य योजनाओं पर चर्चा होगी। यह प्रयोग जल्द ही दिल्ली के बाद पूरे देश में चलाया जाएगा।
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