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पुस्तकों के जरिए धार्मिक सद्भाव पर नया विमर्श खड़ा करेगा संघ

सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा तीन जुलाई को डा ख्वाजा इफ्तिखार अहमद की पुस्तक वैचारिक समन्वय-एक व्यवहारिक पहल का विमोचन किया जाएगा। कुल 454 पृष्ठ की इस पुस्तक में संघ-मुसलमान मुसलमान-राजनीतिक दल अयोध्या विवाद समेत मुस्लिम समाज की राजनीतिक सामाजिक समेत हर पहलू को छुने की कोशिश हुई है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 07:10 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 09:00 AM (IST)
पुस्तकों के जरिए धार्मिक सद्भाव पर नया विमर्श खड़ा करेगा संघ
वैचारिक समन्वय-एक व्यवहारिक पहल'' का विमोचन करेंगे सरसंघचालक मोहन भागवत।

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। मुस्लिम समाज के एक तबके में खुद के प्रति दुराग्रह को दूर करते हुए उन्हें साथ लेकर भविष्य के भारत के निर्माण की मुहिम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पुस्तकों के जरिए एक नया विमर्श खड़ा करने की तैयारी की है। इसी क्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा तीन जुलाई को डा ख्वाजा इफ्तिखार अहमद की पुस्तक "वैचारिक समन्वय-एक व्यवहारिक पहल'' का विमोचन किया जाएगा। कुल 454 पृष्ठ की इस पुस्तक में संघ-मुसलमान, मुसलमान-राजनीतिक दल, अयोध्या विवाद समेत मुस्लिम समाज की राजनीतिक, सामाजिक समेत हर पहलू को छुने की कोशिश हुई है।

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पुस्तक में संघ परिवार-एक सामाजिक-राजनीतिक राष्ट्रवादी पहचान, इस्लाम और मुसलमानों के प्रति समझ, जिहाद- सबसे गलत समझा गया शब्द, मातृभूमि के प्रति वफादारी, अयोध्या एक सामान्य सूत्र, संघ परिवार को समझना, उर्दू मीडिया परिवार विरोधी, भाजपा वृहद राजनीतिक विश्लेषण का भाग, धर्मनिरपेक्ष दल और भारतीय मुसलमान व बाबरी मस्जिद-एक दोषपूर्ण मुस्लिम रणनीति जैसे विषयोें पर आलेख हैं।

बता दें कि पुस्तक के लेखक इफ्तिखार अहमद पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के सलाहकार रहे हैं। वहीं अयोध्या राम मंदिर विवाद में अटल हिमायत कमेटी के महत्वपूर्ण सदस्य भी रहे हैं। अभी संघ व संघ के करीबी संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से इनकी नजदीकी है। इसके पहले इन्होंने संघ परिवार एंड द इंडियन ए मुस्लिम्स प परस्पेक्टिव पुस्तक लिखी थी। वैसे इस पुस्तक का विमोचन अप्रैल माह में ही विज्ञान भवन में तय था, लेकिन दिल्ली में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए उसे टाल दिया गया। अब इसका विमोचन जुलाई में कराने की तैयारी है। हालांकि, संघ के एक पदाधिकारी के मुताबिक अभी विमोचन स्थल तय नहीं है। उस समय कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखा जाएगा। अन्यथा आनलाइन प्लेटफार्म पर इसका विमोचन होगा।

वैसे, विमोचन से पहले ही यह देशभर के 500 धर्मगुरुओं, शिक्षाविदों और प्रभावी मुस्लिम समाज तक पहुंच गया है। संघ पदाधिकारी के मुताबिक इस पुस्तक को मुस्लिम समाज के हर प्रभावी लोग तक पहुंचाने की कोशिश होगी। इसमें संघ की करीबी संस्था मुस्लिम राष्ट्रीय मंच समेत अन्य संस्थाएं सक्रिय होंगी। इसके पहले वर्ष 2018 में विज्ञान भवन में तीन दिवसीय भविष्य का भारत व्याख्यानमाला में मोहन भागवत के संबोधन के संकलन का उर्दू अनुवाद का विमोचन अप्रैल माह में ही संघ के सह सरकार्यवाह डा कृष्ण गोपाल द्वारा किया गया था।

संघ की कोशिश है कि मुस्लिम समाज में उसके प्रति बने दुराग्रह को खत्म करते हुए मिलकर भविष्य के भारत की नींव रखी जाएं। इसलिए उसके द्वारा संघ से सीधे संवाद पर जोर दिया जा रहा है। उस कार्यक्रम में डा कृष्ण गोपाल ने कहा था कि कोई भ्रम है तो मिल बैठकर दूर करें। इस पुस्तक में संघ के वर्तमान राष्ट्रीय पदाधिकारियों के संवादों का भी जिक्र है। वहीं, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता डा कर्ण सिंह, जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद, इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी समेत मुस्लिम समाज के कई प्रतिष्ठित लोगों की टिप्पणियां है।


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