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दिल्ली में फिर मिला सड़ा अनाज, दुकानदार सरकार से पत्र लिख कर की हैं ले जाने मांग

राशन दुकानदार दिल्ली सरकार से इस अनाज को बंटवाने या उठाने की गुहार लगा रहे हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। वहीं खाद्य आपूर्ति विभाग यह कहते हुए पल्ला झाड़ रहा है कि प्रवासी कामगारों का अब कोई राशन बचा हुआ नहीं है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 10:41 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 10:41 AM (IST)
दिल्ली में फिर मिला सड़ा अनाज, दुकानदार सरकार से पत्र लिख कर की हैं ले जाने मांग
अनाज का बचा हुआ स्टाक बहुत से राशन दुकानदारों के यहां अभी तक पड़ा हुआ है।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। राजधानी के स्कूलों में गरीबों को बांटने के लिए रखे गए हजारों टन अनाज सड़ने के मामले के बीच एक और अनाज बर्बादी का मामला सामने आया है। घर-घर राशन योजना का नारा लगाने वाली दिल्ली सरकार की अनदेखी से हजारों क्विंटल अनाज खराब हो रहा है। गत वर्ष लाकडाउन के बीच दिल्ली छोड़कर जा रहे प्रवासी कामगारों को बांटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए इस अनाज का बचा हुआ स्टाक बहुत से राशन दुकानदारों के यहां अभी तक पड़ा हुआ है। अब इसमें घुन और कीड़े भी लग गए हैं।

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विंडबना यह कि राशन दुकानदार दिल्ली सरकार से इस अनाज को बंटवाने या उठाने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। वहीं खाद्य आपूर्ति विभाग यह कहते हुए पल्ला झाड़ रहा है कि प्रवासी कामगारों का अब कोई राशन बचा हुआ नहीं है। वर्ष 2020 में जब लाकडाउन लंबा खिंचने लगा तो देश के अनेक हिस्सों से प्रवासी कामगारों ने अपने गृह प्रदेश की ओर रुख करना शुरू कर दिया था। ऐसे में जो कामगार जहां है, उसे वहीं रोके रखने के लिए केंद्र सरकार ने हर राज्य को आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत राशन दिया।

यह राशन किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के कुल राशन लाभार्थियों की संख्या के 10 फीसद की दर से दिया गया था। दिल्ली में राशन लाभार्थी 72 लाख हैं, लिहाजा यहां सात लाख 20 हजार लोगों का राशन दिया गया। इस राशन में प्रति व्यक्ति चार किलो गेहूं, एक किलो चावल और प्रति परिवार एक किलो चना शामिल था। इस हिसाब से दिल्ली को करीब 3,600 टन राशन मिला।

बताया जाता है कि दिल्ली सरकार ने इसे राशन दुकानदारों के जरिये ही बंटवाया। लेकिन, बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार चूंकि दिल्ली छोड़ चुके थे। ऐसे में बहुत सारा अनाज बच गया। बचा हुआ यह अनाज दुकानदारों के लिए परेशानी का सबब बनने लगा। तब इस डर से कि कहीं अनाज खराब न हो जाए, दुकानदारों ने सरकार से इसके निपटान की गुहार लगाई। इस पर कुछ अनाज नवंबर 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना-दो के साथ बांटा भी गया, लेकिन हजारों क्विंटल तब भी बच गया। इसके बाद सरकार ने जहां इसे लेकर आंख बंद ली वहीं विभाग भी निश्चिंत होकर बैठ गया। दूसरी तरफ जिन दुकानदारों के पास यह अनाज बचा हुआ है, वह अब खराब होने लगा है और उसे रखने के लिए गोदाम का किराया भी वहन करना पड़ रहा है।

17 मई को दिल्ली सरकारी राशन डीलर संघ के अध्यक्ष शिव कुमार गर्ग ने भी दिल्ली के खाद्य आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन को एक पत्र लिखकर इस अनाज को जल्द से जल्द बंटवाने या उठाने की गुहार लगाई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

मेरे पास अप्रैल 2020 में आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत 733 लोगों का राशन आया था। इसमें से 29 क्विंटल 80 किलो गेहूं, सात क्विंटल 45 किलो चावल और चार क्विंटल 69 किलो चना अभी भी बचा हुआ है। इसमें से काफी अनाज खराब हो चुका है। इस अनाज को रखने के लिए मैंने अलग से गोदाम लिया हुआ है, जिसका किराया मुझे अपनी जेब से भरना पड़ रहा है। सरकार से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि इस अनाज को उठवा लिया जाए।

महेश अग्रवाल, राशन दुकानदार, मंडल संख्या 24, नेहरू नगर

हमारे बहुत से राशन दुकानदारों के पास आत्मनिर्भर भारत योजना का हजारों क्विंटल अनाज बचा हुआ है। काफी खराब भी हो चुका है। दुकानदारों को यह बचा अनाज रखने के लिए अलग से गोदाम का किराया तक देना पड़ रहा है। हमने खाद्य आपूर्ति मंत्री को एक माह पहले पत्र भी लिखा था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

शिव कुमार गर्ग, अध्यक्ष, दिल्ली सरकारी राशन डीलर संघ

आत्मनिर्भर भारत योजना का जो अनाज हमारे पास आया था, सारा बंटवा दिया गया है। जो बचा हुआ स्टाक था, वह भी नवंबर में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना-दो के साथ बांट दिया गया। अब इस योजना का कोई अनाज नहीं बचा है।

देशराज, सहायक आयुक्त (वितरण), खाद्य आपूर्ति विभाग, दिल्ली सरकार


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