बांग्लादेश से बंगाल होते हुए दिल्ली पहुंच रहे रोहिंग्या शरणार्थी, यमुना खादर में जमीन पर कर रहे कब्जा
पकड़े जाने पर ये अपनी पहचान बंगाल के 24 परगना निवासी बांग्लादेशी के रूप में बताते हैं। ज्यादातर के पास बंगाल का आधार कार्ड वोटर कार्ड तक मिलता है। माना जा रहा है कि वहां पर पहले इन्हें गलत तरीके से दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। दिल्ली के विभिन्न इलाकों में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थी राजधानी की कानून-व्यवस्था के लिए समस्या बनते रहे हैं। स्थानीय लोगों द्वारा बार-बार शिकायत किए जाने के बाद भी इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है। दक्षिणी दिल्ली में ओखला के शाहीन बाग स्थित श्रम विहार व कालिंदी कुंज में म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थियों को रखा गया है। दिल्ली पुलिस सूत्रों की मानें तो ये लोग चोरी, डकैती से लेकर झपटमारी तक की वारदात में शामिल पाए गए हैं। ठक-ठक गैंग व गुलेल गैंग जैसे स्ट्रीट क्राइम करने वाले गिरोह में भी ये शामिल रहते हैं।
पकड़े जाने पर ये अपनी पहचान बंगाल के 24 परगना निवासी बांग्लादेशी के रूप में बताते हैं। ज्यादातर के पास बंगाल का आधार कार्ड, वोटर कार्ड तक मिलता है। माना जा रहा है कि वहां पर पहले इन्हें गलत तरीके से दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं। उसके बाद ये देश के अलग-अलग इलाकों में जाकर बस जाते हैं।
ज्यादातर के पास संयुक्त राष्ट्र हाई कमिश्नर फार रिफ्यूजी (यूएनएचसीआर) से जारी पहचान पत्र भी होता है। लेकिन, इस पहचान पत्र को ये वहीं दिखाते हैं जहां इससे कोई फायदा मिलने वाला हो। आपराधिक गतिविधियों में पकड़े जाने पर ये लोग यूएनएचसीआर पहचान पत्र की बजाय आधार कार्ड, वोटर कार्ड दिखाते हैं। सबकुछ जानने के बाद भी पुलिस इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाती है, क्योंकि इनके पास वैध दस्तावेज होते हैं।
सियासी फायदे के लिए स्थानीय नेताओं की मदद से इनके राशन कार्ड, वोटर कार्ड व आधार कार्ड बन जाते हैं। इसलिए इन लोगों के खिलाफ नागरिकता कानून के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई नहीं हो पाती है। चुनावों में रोहिंग्या मुसलमानों को वोटबैंक की तरह इस्तेमाल करने के लिए कुछ राजनीतिक दल इन्हें खूब दुलराते हैं। यही कराण है कि देश के सभी राज्यों में इन्हें फ्री भोजन, पानी मिल रहा है। बंगाल में तो इन्हें बाकायदा वैध दस्तावेज (वोटर, आधार कार्ड आदि) मुहैया कराया जाता है। इसके बदले इन्हें विभिन्न देश विरोधी गतिविधियों में भी शामिल कराया जाता है। पिछले साल दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों में इन्हें भीड़ की तरह इस्तेमाल किया गया।
सीएए-एनआरसी से बचने के लिए बन रहे ईसाई
सीएए और एनआरसी से बचने व भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए राजधानी में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थी अब ईसाई धर्म भी अपनाने लगे हैं। इस बात का पता तब चला जब पिछले साल विदेश क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) ने 25 वीजा आवेदन निरस्त कर दिए थे। सूत्रों के अनुसार, ये लोग चर्चाें में जाकर ईसाई धर्म अपना लेते हैं। ईसाई धर्म इसलिए भी अपनाते हैं ताकि उन्हें किसी अन्य देश में जाने के लिए आसानी से वीजा मिल सके। जिन्हें वीजा मिल जाता है वे चले जाते हैं और जिन्हें वीजा नहीं मिलता है वे फिर से इस्लाम धर्म में वापस आ जाते हैं।
यमुना खादर में जमीन पर कर रहे कब्जा
कालिंदी कुंज इलाके में स्थानीय लोगों के विरोध के वावजूद कुछ नेताओं की शह पर रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए सरकारी जमीन पर मस्जिद तक बनवा दी गई। रोहिंग्या शरणार्थी यहां के यमुना खादर में खाली पड़ी जमीनों पर कब्जा करते जा रहे हैं और उन पर कच्चे-पक्के निर्माण भी कर रहे हैं, लेकिन ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है।