दोपहिया वाहनों से होते हैं सर्वाधिक हादसे, फिटनेस जांच केंद्रों की कमी भी बड़ी वजह
Road Safety In Delhi NCR कोरोना संकट के कारण फिलहाल दिल्ली में सरकार की ओर से दिसंबर तक सभी वाहनों के पुराने फिटनेस प्रमाण पत्र को मान्य किया गया है। इसलिए फिलहाल फिटनेस जांच केंद्रों पर अभी कोई मारामारी नहीं है।
राहुल चौहान, नई दिल्ली। Road Safety In Delhi NCR दिल्ली में पुराने और जर्जर वाहनों से होने वाले सड़क हादसों की संख्या कम और नए वाहनों से होने वाले हादसों की संख्या ज्यादा है। वहीं अगर अलग-अलग वाहनों से होने वाले हादसों की बात करें तो सबसे ज्यादा सड़क हादसे दोपहिया वाहनों से होते हैं, जबकि सबसे कम हादसे बस द्वारा होते हैं।
केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रलय की वर्ष 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी में सबसे ज्यादा हादसे 5 साल से कम पुराने वाहनों से हुए हैं। वहीं सबसे कम हादसे 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों के कारण हुए हैं। इसका कारण यह है कि दिल्ली में 15 साल पुराना वाहन चलाने की अनुमति नहीं है। इसलिए ऐसे वाहनों की संख्या यहां कम रहती है।
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वाहनों की फिटनेस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। पुराने और जर्जर वाहनों के कारण भी सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। दिल्ली में एक करोड़ से ज्यादा वाहन पंजीकृत हैं। इतने वाहनों की जांच के लिए यहां सिर्फ दो ही फिटनेस जांच केंद्र हैं। एक जांच केंद्र बाहरी दिल्ली के बुराड़ी और दूसरा पश्चिमी दिल्ली के झुलझुली इलाके में है।
झुलझुली वाला फिटनेस केंद्र ऑटोमेटेड है। यहां मशीन द्वारा जांच होती है। दोनों ही केंद्र बाहरी इलाकों में होने के कारण अन्य इलाकों के ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को अपने वाहन की फिटनेस जांच कराने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। साथ ही वाहनों का दबाव ज्यादा होने के कारण फिटनेस के लिए कई-कई दिन तक इंतजार करना पड़ता है। हालांकि, ट्रांसपोर्ट विभाग ने पिछले साल मई में झुलझुली केंद्र से डीएल-1 जेड सीरीज की सभी टैक्सियों और अन्य वाहनों को हटाकर इनकी फिटनेस की व्यवस्था बुराड़ी में की कर दी थी। जिससे यहां पर करीब 34 हजार वाहनों का दबाव कम हो गया। इससे झुलझुली केंद्र पर फिटनेस के लिए लगने वाला 22 दिन का समय घटकर अब करीब 10 दिन रह गया है।
वाहन चालकों की मानें तो बुराड़ी जांच केंद्र पर भी फिटनेस जांच कराने के लिए इंतजार करना पड़ता है। यहां बड़ी संख्या में फायर बिग्रेड, नगर निगमों व लोक निर्माण विभाग के ट्रक, जल बोर्ड के पानी के टैंकर, सीवर साफ करने की बड़ी मशीनें, मैकेनिकल स्वीपिग मशीनें, कूड़ा उठाने वाले वाहन, भवन निर्माण के लिए उपयोग में लाए जाने वाले वाहन, इलेक्टिक वाहन व ट्रैक्टर और ऑटो आदि की फिटनेस होती है। हालांकि, फिटनेस के लिए ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट लेने की व्यवस्था है। इससे निर्धारित दिन पर ही वाहन चालक फिटनेस जांच के लिए जाते हैं। ट्रांसपोर्ट अधिकारी के मुताबिक दोनों जांच केंद्रों पर प्रतिदिन करीब 500 वाहनों की जांच की जाती है। जांच में सभी वाहनों में फॉग लाइट, हेड लाइट, बैक लाइट, पार्किंग लाइट, कलर रिफ्लेक्टर आदि सभी आवश्यक मानकों की जांच की जाती है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हुए हादसे : दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने बताया कि दिल्ली में वाहनों की फिटनेस जांच के लिए केंद्र बढ़ाए जाने की जरूरत है। अधिक वाहनों के कारण दो जांच केंद्रों पर दबाव ज्यादा रहता है। हालांकि फिटनेस एप्वाइंटमेंट की ऑनलाइन व्यवस्था होने से अब पहले से कम समय में फिटनेस प्रमाण पत्र बन जाता है।
क्या है फिटनेस जांच का नियम : नियम के मुताबिक, फिटनेस प्रमाण पत्र की आवश्यकता सिर्फ व्यावसायिक के लिए होती है। इसके अनुसार, नए वाहन की फिटनेस जांच आठ साल तक हर दो साल बाद और आठ साल से ज्यादा पुराना वाहन होने की स्थिति में हर साल कराने का नियम है। वहीं निजी वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होती है।
जुगाड़ की नहीं होती कोई फिटनेस जांच : दिल्ली में ग्रामीण इलाका काफी कम है। इसलिए यहां ट्रैक्टर, जुगाड़ और बुग्गी की संख्या कम है। परिवहन विभाग के अधिकारी के मुताबिक इनमें से ट्रैक्टर की फिटनेस जांच नियमानुसार कराने का प्रावधान है। वहीं जुगाड़ को अवैध वाहन माना जाता है, इसलिए उसकी जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। बुग्गी आदि की भी जांच नहीं की जाती है।
कोरोना महामारी के कारण दिसंबर तक मान्य है पुराना फिटनेस प्रमाण पत्र : कोरोना संकट के कारण फिलहाल दिल्ली में सरकार की ओर से दिसंबर तक सभी वाहनों के पुराने फिटनेस प्रमाण पत्र को मान्य किया गया है। इसलिए फिलहाल फिटनेस जांच केंद्रों पर अभी कोई मारामारी नहीं है। इस समय सीमित संख्या में ही लोग अपने वाहनों की फिटनेस जांच कराने के लिए केंद्रों पर पहुंच रहे हैं। हालांकि, प्रदूषण फैलाने के मामले में वाहनों को कोई छूट नहीं दी गई है और उनका चालान काटा जा रहा है।
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