इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाक से बढ़ेगा खतरा, भारत को रहना होगा सतर्क
इमरान खान पाकिस्तानी सेना का मुखौटा हैं। सेना जो चाहेगी वही होगा। ऐसी स्थिति में भारत सरकार को हमेशा सतर्क रहना होगा।
गुरुग्राम [आदित्य राज]। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी संभालने जा रहे इमरान खान को लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) जेबीएस यादव भारत की सुरक्षा के हिसाब से बेहतर नहीं मान रहे हैं। उनका मानना है कि पाकिस्तान की ओर से खतरा और अधिक बढ़ेगा। इमरान खान पाकिस्तानी सेना का मुखौटा हैं। सेना जो चाहेगी वही होगा। ऐसी स्थिति में भारत सरकार को हमेशा सतर्क रहना होगा। इमरान खान की बातों पर विश्वास करने से पहले छानबीन करनी होगी।
भारत को हराने की भूख
सेक्टर 9 स्थित ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल में दैनिक जागरण की ओर से बृहस्पतिवार को आयोजित भारत रक्षा पर्व कार्यक्रम में पहुंचे लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) जेबीएस यादव ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि इमरान खान पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान रहे हैं। उनके भीतर हमेशा ही भारत को हराने की भूख रही है। उनकी यह भूख चुनाव प्रचार के दौरान भी भाषणों में दिखाई दी।
इमरान खान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है
जेबीएस यादव ने कहा कि भारत-पाक के बीच क्रिकेट मैच नहीं खेला जाता है बल्कि सच्चाई यह है कि मैच के माध्यम से दोनों देश के बीच युद्ध होता है। इमरान खान अपने देश की ओर से कई बार क्रिकेट रूपी युद्ध के नायक रह चुके हैं। उनके ऊपर भरोसा नहीं किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो सेना का निर्णय होगा वही इमरान खान का निर्णय होगा। कागजों में ही वहां लोकतंत्र दिखाई देगा, जमीनी स्तर पर नहीं। सेना लगाम नहीं छोड़ने वाली।
घुसपैठ को मिल सकता है बढ़ावा
यह तय है कि पाक सीधी लड़ाई करने की हिम्मत नहीं रखता लेकिन पीठ पीछे अपनी हरकत से बाज नहीं आएगा। अब तक जितने भी पाक के प्रधानमंत्री बने हैं उनमें सबसे खतरनाक इमरान खान साबित हो सकते हैं। घुसपैठ को बढ़ावा मिलना तय है। पाकिस्तानी सेना घुसपैठ को बढ़ावा देकर भारत को हमेशा अशांत रखना चाहती है। उसे लगता है कि अशांति के माहौल में भारत तेजी से विकास नहीं कर सकता। आवश्यकता है पाकिस्तान के साथ किसी भी विषय पर बात करने से पहले काफी विचार करने की। जो भी सीमाएं पाकिस्तान से जुड़ी हैं, उन सभी पर और अधिक सक्रियता बरतनी होगी।
चुनाव से पाक के रुझान का पता चला
पाक में हुए इस बार के चुनाव से यह अहसास होने लगा है कि वहां की जनता अब बदलाव चाहती है। दिक्कत यह है कि जब तक सेना का राजनीतिक क्षेत्र में प्रभाव है तब तक कुछ भी बदलाव नहीं होना। सेना पर अंकुश लगाने वाला शासक जब तक पाक को नहीं मिलेगा तब तक बात नहीं बनेगी।