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SRS Group: दिल्ली-यूपी समेत कई राज्यों के निवेशकों में बंधी आस, CBI जांच से निकल सकता है हल

SRS Group 2015 तक एसआरएस में दिल्ली-एनसीआर सहित हरियाणा उत्तर प्रदेश राजस्थान सहित मुंबई तक के लोगों ने भी नकदी के रूप में निवेश किया।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 08:16 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jul 2020 08:16 AM (IST)
SRS Group: दिल्ली-यूपी समेत कई राज्यों के निवेशकों में बंधी आस, CBI जांच से निकल सकता है हल
SRS Group: दिल्ली-यूपी समेत कई राज्यों के निवेशकों में बंधी आस, CBI जांच से निकल सकता है हल

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। SRS Group: रियल एस्टेट, ज्वेलरी, सिनेमा सहित अन्य कारोबार से जुड़ी एसआरएस ग्रुप ऑफ कंपनीज के निदेशकों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के शिकंजे से निवेशकों की आस बंधी है। खासतौर पर उन निवेशकों की, जो तीन साल से चल रही स्थानीय पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय की विभिन्न जांच के बाद भी निराश थे। असल में फरीदाबाद आधारित एसआरएस ग्रुप के निदेशक अपने विभिन्न कारोबारों के लिए बैंकों के अलावा पूंजीपतियों से उनका कालाधन भी बैंक से तीन गुने ब्याज पर लेते थे।

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गौरतलब है कि 2015 तक एसआरएस में दिल्ली-एनसीआर सहित हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित मुंबई तक के लोगों ने भी नकदी के रूप में निवेश किया। निदेशकों के इस दो रुपये प्रति सौ रुपये प्रति माह ब्याज के लालच में वे लोग भी फंस गए थे जिन्होंने अपने खून-पसीने की मेहनत पूंजी एकत्र की थी। 25 नवंबर 2015 को एसआरएस ग्रुप के बारे में यह उजागर हो गया था कि अब ग्रुप की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, क्योंकि इस दिन से ग्रुप ने लोगों को जमा राशि और ब्याज राशि देने में आनकानी शुरू कर दी थी।

इस ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अनिल जिंदल जो फिलहाल अपने अन्य साथी निदेशकों के साथ जेल में हैं, ने अपनी व्यवहार कुशलता से इस आनाकानी को इनकार में बदलने में करीब ढाई साल का समय लगा दिया। आखिर फरीदाबाद पुलिस ने 6 अप्रैल 2018 को डॉ.जिंदल उसके चार साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। 54 एफआइआर पर प्रवर्तन निदेशालय ने की जांच एसआरएस ग्रुप ऑफ कंपनीज की धोखाधड़ी के खिलाफ पुलिस थानों में दर्ज 54 एफआइआर को आधार बनाकर प्रवर्तन (ईडी) ने विस्तृत जांच की।

गौरतलब है कि निदेशालय के उपनिदेशक जसमीत सिंह ने 220 पेज की रिपोर्ट में सिलसिलेवार एसआरएस में हुए घालमेल का सटीक ब्योरा तैयार किया। एसआरएस के निवेशक बताते हैं कि ईडी ने जांच के दौरान उन्हें परेशान नहीं किया, मगर स्थानीय पुलिस ने खूब पुलसिया अंदाज दिखाया। इन जांच के बाद भी जब निवेशकों को कुछ नहीं मिला तो उनकी आस टूट गई। अब सीबीआइ ने 14 जुलाई को जब केनरा बैंक के महाप्रबंधक की शिकायत पर एफआइआर दर्ज कर 135.15 करोड़ रुपये की जांच शुरू की है तो इन निवेशकों की आस एक बार फिर बंधी है। सीबीआइ बृहस्पतिवार दिल्ली, फरीदाबाद, बेंगलुरू में एसआरएस निदेशकों के यहां नौ जगह एक साथ छापेमारी भी की है।


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