दिल्ली में मास्क न पहनने पर जुर्माना राशि बढ़ते ही सड़कों पर मिली जाम से राहत
राहगीरों का कहना था कि दिल्ली सरकार ने चालान की राशि बहुत ज्यादा बढ़ा दी है। लोगों के लिए 500 रुपये दे पाना ही मुश्किल लग रहा था। अब 2000 रुपये कोई कहां से लाएगा। सरकार को आय वर्ग के हिसाब से ही चालान की राशि तय करनी चाहिए थी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली सरकार ने मास्क न पहनने पर किए जाने वाले चालान की राशि को चार गुना बढ़ाकर 500 रुपये से दो हजार रुपये किया तो लोगों को सड़क पर लगने वाले जाम से भी राहत मिल गई। दरअलस, अभी तक चालान राशि 500 रुपये थी इसलिए लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते थे अक्सर बिना मास्क के घर से निकलते थे। जो लोग मास्क पहन भी रहे थे वे मास्क नाक के नीचे रखते थे या गले में लटकाकर रखते थे। ऐसे में पुलिस व अन्य एजेंसियां ऐसे लोगों की जांच व चालान करने के लिए सड़कों पर बैरिकेड लगाकर निगरानी कर रही थीं।
इससे राहगीरों को जाम का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन अब चालान राशि बढ़ जाने के कारण ज्यादातर लोग मास्क लगाकर ही निकल रहे हैं। इसलिए अब सड़क पर रोककर जांच करने की जरूरत नहीं पड़ रही है जिससे आम राहगीरों को जाम से कुछ राहत मिल गई है।
राहगीर बोले- अब बैरिकेड भी हटा दें
शनिवार को कई जगह सड़क पर बैरिकेड लगे हुए थे, वहां चालान के लिए टीमें भी तैनात थीं लेकिन इक्का-दुक्का वाहन चालकों को ही जांच के लिए रोकना पड़ रहा था जिस कारण सड़कों पर जाम नहीं लग रहा था। ऐसे में वाहन चालकों का यह भी कहना था कि जब लोग मास्क लगाने के नियम का पालन कर ही रहे हैं तो अब सड़कों से बैरिकेड भी जल्द ही हटा दिए जाने चाहिए ताकि राहगीरों को चलने के लिए पूरा रास्ता मिल सके। शनिवार को लोगों के मास्क लगाकर घर से निकलने के कारण आउटर रिंग रोड, रिंग रोड व मथुरा रोड पर लोगों को जाम का सामना नहीं करना पड़ा।
लोगों ने कहा- बहुत ज्यादा है चालान राशि
कुछ राहगीरों का कहना था कि दिल्ली सरकार ने चालान की राशि बहुत ज्यादा बढ़ा दी है। लोगों के लिए 500 रुपये दे पाना ही मुश्किल लग रहा था। अब 2000 रुपये कोई कहां से लाएगा। सरकार को आय वर्ग के हिसाब से ही चालान की राशि तय करनी चाहिए थी। अभी लोगों की नौकरियां छूट गई हैं, लोग बेरोजगार हो गए हैं। जरूरत की चीजें ही बड़ी मुश्किल से मैनेज कर पा रहे हैं। ऐसे में यह दो हजार रुपये का चालान बहुत ज्यादा है। सरकार ने राशि जरूर बढ़ा दी है लेकिन एजेंसियों को चाहिए कि वे सामने वाले व्यक्ति की जेब व हैसियत देखकर ही चालान करें।
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