Delhi News: देश के लाखों मरीजों के लिए राहत, एम्स में 300 रुपये तक की जांच हुई मुफ्त, जानें अन्य बातें
एम्स में इलाज के लिए पहुंचने वाले आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए एक राहत की खबर है। एम्स प्रशासन ने 300 रुपये तक की सभी जांचें निशुल्क कर दी है। इस बाबत एम्स प्रशासन ने बृहस्पतिवार को आदेश जारी कर इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। एम्स में इलाज के लिए पहुंचने वाले आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए एक राहत की खबर है। एम्स प्रशासन ने 300 रुपये तक की सभी जांचें निशुल्क कर दी है। इस बाबत एम्स प्रशासन ने बृहस्पतिवार को आदेश जारी कर इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। इसका फायदा यह होगा कि कई तरह की ब्लड जांच, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड इत्यादि जांचें अब निशुल्क हो गई हैं। वहीं, एम्स प्रशासन ने प्राइवेट वार्ड का शुल्क डेढ़ से दोगुना बढ़ा दिया है।
शुल्क में क्या हुआ बदलाव
प्राइवेट वार्ड में बी श्रेणी के कमरे का शुल्क अब दो हजार रुपये से बढ़ाकर तीन हजार रुपये कर दिया है, जो वर्तमान शुल्क से डेढ़ गुना ज्यादा है। वहीं, डीलक्स श्रेणी के कमरे का शुल्क तीन हजार रुपये से बढ़ाकर छह हजार रुपये कर दिया गया है, जो वर्तमान शुल्क से दोगुना अधिक है। प्राइवेट वार्ड के लिए निर्धारित शुल्क एक जून से लागू होगा। इससे एम्स में अब प्राइवेट वार्ड में इलाज करना महंगा हो जाएगा।
मरीज का खाना 200 रुपये
मौजूदा समय में प्राइवेट वार्ड में मरीज के मरीज भोजन के लिए प्रतिदिन 200 रुपये और तीमारदार को भोजन के लिए 300 रुपये शुल्क निर्धारित है। प्राइवेट वार्ड का मौजूदा शुल्क अक्टूबर 2012 से लागू है। इसके तहत बी श्रेणी के प्राइवेट वार्ड में भर्ती होने पर मरीजों को 10 दिन का 22 हजार रुपये अग्रिम शुल्क और डीलक्स श्रेणी प्राइवेट वार्ड के लिए 32 हजार रुपये अग्रिम शुल्क जमा कराना पड़ता है।
पांच साल से लंबित थी मांग
पिछले करीब पांच सालों से प्राइवेट वार्ड का शुल्क बढ़ाने और ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों की सुविधा के लिए 500 रुपये तक की जांच मुफ्त करने की मांग लंबित थी। एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने वर्ष 2017 में इसके लिए कमेटी गठित की थी। इसके बाद पिछले साल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एम्स में चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के लिए गठित कमेटी ने भी प्राइवेट वार्ड का शुल्क बढ़ाने और 500 रुपये तक की जांच शुल्क मुफ्त करने की सिफारिश की थी। इसके पीछे तर्क यह दिया गया था कि 500 रुपये शुल्क तक की जांच मुफ्त होने से गरीब मरीजों को राहत मिलेगी।
आर्थिक बोझ कम होगा
इससे मरीजों बार-बार जांच शुल्क जमा करने के लिए काउंटर पर लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। प्राइवेट वार्ड में आर्थिक रूप से सक्षम मरीज भर्ती होते हैं। इसलिए प्राइवेट वार्ड का शुल्क बढ़ाकर घाटे की भरपाई की जा सकती है। इसके मद्देनजर करीब 10 साल बाद एम्स ने प्राइवेट वार्ड के शुल्क में बदलाव किया है। एम्स द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि पिछले 21 मार्च को संस्थान के वित्त कमेटी ने इन दोनों प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। लिहाजा, एम्स के अध्यक्ष व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से स्वीकृति मिलने से इसे लागू किया जा रहा है।
एम्स में एक जून से प्राइवेट वार्ड का नया शुल्क
- बी श्रेणी के कमरे का प्रतिदिन शुल्क- 3000 रुपये
- डिलक्स श्रेणी के कमरे का प्रतिदिन शुल्क- 6000 रुपये
- मरीज व तीमारदार के लिए प्रतिदिन भोजन का शुल्क- 300 रुपये (वैकल्पिक)
- बी श्रेणी के प्राइवेट वार्ड में भर्ती होने पर जमा करना होगा 10 दिन का अग्रिम शुल्क- 33,000 रुपये
- डीलक्स श्रेणी के प्राइवेट वार्ड में भर्ती होने पर जमा करना होगा 10 दिन का अग्रिम शुल्क- 63,000 रुपये