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Swatantrata ke sarthi: झुग्गी बस्तियों में शास्त्रीय संगीत और डांस सिखा रहीं रेखा मेहरा

रेखा कहतीं हैं कि यह सुनकर उनकी आंख डबडबा गई। उन्होंने उन बच्चियों से वादा किया कि वे शास्त्रीय संगीत व नृत्य सिखाएंगी ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 01:10 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 01:10 PM (IST)
Swatantrata ke sarthi: झुग्गी बस्तियों में शास्त्रीय संगीत और डांस सिखा रहीं रेखा मेहरा
Swatantrata ke sarthi: झुग्गी बस्तियों में शास्त्रीय संगीत और डांस सिखा रहीं रेखा मेहरा

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई बार एक छोटी सी घटना जिंदगी जीने के मायने बदल देती है। कुछ ऐसा ही हुआ कथक नृत्यांगना रेखा मेहरा के साथ। नौ साल पहले सड़क के किनारे तीन छोटी बच्चियों से हुई मुलाकात ने उनकी जिंदगी बदल दी। गरीब घर की बच्चियों ने रेखा को अपनी जिंदगी की व्यथा सुनाई तो वे भावुक हो गईं। उन्होंने बच्चियों को गरीबी के दलदल से बाहर निकालने का दृढ़ निश्चय किया और इसमें पतवार बना शास्त्रीय संगीत। रेखा अब दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में गरीब परिवारों की बच्चियों को शास्त्रीय संगीत व नृत्य सिखाती हैं। इससे बच्चियां न केवल अपनी कला संस्कृति से जुड़ रही हैं, बल्कि खुद के पैरों पर खड़ी भी हो रही हैं।

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रेखा मेहरा कहती हैं कि नौ साल पहले की बात है। उन्हें सड़क किनारे तीन बच्चियां मिलीं। उनकी हालत देख उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने बच्चियों एवं उनके परिवार के बारे में बातचीत की। बच्चियों ने बताया कि वे तीज त्योहार पर मंदिरों में फूल व पूजा सामग्री बेचकर कुछ पैसे अर्जित कर किसी तरह गुजारा करती हैं।

रेखा कहतीं हैं कि यह सुनकर उनकी आंख डबडबा गई। उन्होंने उन बच्चियों से वादा किया कि वे शास्त्रीय संगीत व नृत्य सिखाएंगी, ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। बकौल रेखा तभी से बच्चियों को सिखाने का सिलसिला शुरू हुआ। इन बच्चियों की जिंदगी में मुश्किलें कम नहीं थीं। किसी के पिता चाय की दुकान चलाते थे तो किसी के कार साफ करते थे। टेलर व सफाई कर्मचारी का काम करने वालों की बच्चियां भी सीखने आईं। ये बच्चियां सफदरजंग के पास स्थित अर्जन गढ़, कृष्णा नगर व हुमायूंपुर जैसी झुग्गी बस्तियों में रहती थीं। ये करीब तीन किलोमीटर पैदल चलकर शास्त्रीय संगीत व नृत्य सीखने आती थीं। बच्चियों के साथ तारतम्य बैठाना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं था, लेकिन रेखा मेहरा ने न केवल बच्चियों का दिल जीत कर उन्हें शास्त्रीय संगीत की दीक्षा दी, बल्कि उनकी जिंदगी के मायने बदल दिए।

राशि, सोनिया, श्वेता, तन्वी, काजल, कोमल व कमलेश ये चंद नाम उन बच्चियों के हैं, जिन्होंने अब शास्त्रीय संगीत को अपना करियर बना लिया है। ये बच्चियां दिग्गज कलाकारों के साथ मंच साझा कर रही हैं। रेखा मेहरा बच्चियों को सिखाने के साथ साथ सामाजिक मसलों पर वृतचित्र भी बनाती हैं। वे कहतीं हैं कि कोरोना वारियर्स को समर्पित एक उद्देश्य व बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, एचआइवी एडस समेत ग्लोबल वार्मिग पर फिल्में बना चुकी हैं। इन फिल्मों को संस्कृति मंत्रालय ने भी सराहा है।


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