'ब्रेक थ्रू' से हासिल हो रहा उम्मीदों का आसमां, पढ़िए- तब्बू व ग्रेसी की क्यों बदल गई सोच
ब्रेकथ्रू प्रमुख तौर पर हरियाणा राजस्थान झारखंड बिहार और उत्तर प्रदेश में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हो रही हिंसा को समाप्त करने के लिए काम कर रहा है।
नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। दुनिया भर में कई संगठन लड़कियों की शिक्षा, शीघ्र विवाह, लिंग आधारित हिंसा, पितृसत्तात्मक मानदंडों और प्रथाओं, जलवायु परिवर्तन, अतिवाद, बंदूक नियंत्रण, जातिवाद, जातिवाद और उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन आंदोलनों कर रहे हैं। ऐसे में ही राजधानी के कैलाश कॉलोनी स्थित ब्रेक थ्रू संगठन कला, मीडिया, पॉप संस्कृति और सामुदायिक विकास की शक्ति का उपयोग करके महिलाओं को सशक्त करने और उनके अधिकारों के लिए काम कर रहा है। जिससे दुनिया भर में उनके सामने आने वाली चुनौतियों का वह डट कर सामना कर सके। मानवाधिकार संगठन ब्रेकथ्रू समाज में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हो रही हिंसा और भेदभाव को खत्म करने का कार्य करता है। ब्रेकथ्रू के मुताबिक, वह महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम करते है साथ ही उनकी हर संभव मदद करते हैं।
सोहिनी भट्टाचार्या ने बताया कि उनके संगठन ने घरेलू हिंसा के खिलाफ रिंग टू द बेल और यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए शेयर योर स्टोरी अभियान चलाया। इसमें पीड़ित महिला को वीडियो बना कर भेजना था। उन्होंने कहा ब्रेकथ्रू प्रमुख तौर पर हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हो रही हिंसा को समाप्त करने के लिए काम कर रहा है।
नेशन अगेंस्ट अर्ली मैरिज (जल्द शादी के खिलाफ राष्ट्र) नाट्य ने बदला तब्बू का जीवन
झारखंड के मूरी शहर की रहनी वाली तब्बू ने जिंदगी जीने के लिए कई सपने संजोए थे, बस उन्हें व्यक्त करने में वह असमर्थ थी। तब्बू को नहीं पता था कि एक दिन ब्रेकथ्रू द्वारा दिखाया गया नाट्य उसकी जिंदगी बदल कर रख देगा। आज तब्बू 21 साल की हो गई हैं और सुनिश्चित किया कि वह उसकी बड़ी बहन की शादी बहुत कम उम्र में नहीं होगी। तब्बू अपने नौकरी के माध्यम से अपने छोटे भाई-बहनों की शिक्षा का समर्थन कर रही है।
'चंदा' से प्रभावित हुईं तब्बू
तब्बू बताती है कि उसकी परिवर्तन की यह यात्रा तब शुरू हुई जब ब्रेकथ्रू टीम के सदस्यों ने उसके स्कूल में 'चंदा पुकारे' शीर्षक से कम उम्र में शादी के बारे में एक नाटक प्रस्तुत किया। यह नाटक ब्रेकथ्रू के अभियान 'नेशन अगेंस्ट अर्ली मैरेज' का एक हिस्सा था। 'चंदा पुकारे' में चंदा की भूमिका जानने के बाद तब्बू ने अपने सपनों का पीछा करने के संकल्प को और मजबूत किया। अपने सपनों को पूरा करने के लिए तब्बू की यात्रा पूरे समुदाय और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई। वह उसकी छोटी बहन को विज्ञान की पढ़ाई करने वाली अपने गांव की पहली लड़की है। तब्बू से प्रेरणा लेकर उसके गांव की कई लड़कियां भी अपने घरों से बाहर निकल रही हैं और शिक्षा और रोजगार हासिल कर रही हैं।
ग्रेसी ने मां के हक के लिए उठाई आवाज
ग्रेसी दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा हैं। हाल हीं में ब्रेकथ्रू द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उसने बताया कि वह किस तरह कि मानसिक यातनाओं का शिकार है। उसने बताया कि उसकी मां घरेलू हिंसा का शिकार है और उन पर हुई हिंसा से वह आहत हुई है। उसने बताया कि ब्रेकथ्रू के द्वारा चलाए गए जागरूकता कार्यक्रम के बाद उसने तय किया वह अपनी मां पर पिछले 20 साल से हो रही हिंसा पर अब चुप नहीं बैठेगी और पुरजोर तरीके से आवाज उठाएगी। ग्रेसी बताती है कि उसको यह कदम काफी पहले ही उठाना चाहिए था तो आज उसकी मां को इतनी यातनाएं ना झेलनी पड़तीं।
ब्रेकथ्रू की सीईओ और अध्यक्ष सोहिनी भट्टाचार्य ने बताया कि ब्रेकथ्रू महिलाओं के अधिकार के लिए कई सालों से आवाज उठाता आ रहा है। उनके मुताबिक वह महिलाओं और लड़कियों के लिए काफी हद तक सुरक्षित स्थान बनाने के लिए कदम उठा रही है। वह बताती है कि वह महिलाओं के लिए एक ऐसा समाज चाहती है जहां लिंग आधारित भेदभाव और हिंसा का ना हो।