प्लेन की सुविधा ट्रेन में और मीठी दही का आनंद, पढ़िए तेजस में सफर का अनुभव
लोगों को उस तरह का सत्कार मिल रही था जो अमूमन विमान में मिलता है। शताब्दी और राजधानी की तरह तेजस के मेन्यू में भी वही नाश्ता था लेकिन गुणवत्ता काफी बेहतर थी।
नई दिल्ली (अभिषेक त्रिपाठी)। तेज ट्रेन ने जितनी आने से पहले सुर्खियां बटोरी उतनी ही यह अपने पहले सफर पर लोगों के निगाहों का तारा बन कर एक सुकून देने वाली जर्नी की यादगारी दे गई। लखनऊ से जब भगवा वेशभूषा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस को हरी झंडी दिखाई तो लोहे की पटरियों के साथ यात्रियों के दिलों में भी कंपन होने लगा। कभी राजधानी, शताब्दी को ही देश की लग्जरी ट्रेनों में गिना जाता था, लेकिन महामना और वंदे भारत के बाद तेजस ने भारतीय रेल को नए आयाम पर पहुंचा दिया।
यात्रियों में दिखी उत्सुकता
शुक्रवार सुबह कानपुर से नई दिल्ली के लिए पहली बार तेजस में बैठने के लिए यात्रियों की उत्सुकता देख ऐसा लग रहा था कि वे नई ट्रेन में नहीं, बल्कि नवरात्र में खुद के लिए खरीदी कार में बैठकर गाजियाबाद, दिल्ली जाने वाले हैं। जैसे ही तेजस कानपुर सेंट्रल के प्लेटफॉर्म पर पहुंची तो मीडिया ही नहीं यात्रियों, वहां खड़े दुकानदारों, रेलवे कर्मियों के कैमरे भी इस खास ट्रेन और पल को कैद करने के लिए जेबों से निकल आए। तेजस का बाहरी नारंगी आवरण आंखों को सुकून देने वाला था।
ट्रेन का इंटीरियर भी है खास
ट्रेन के अंदर पहुंचते ही अहसास हो गया कि इसका बाहरी आवरण ही बाकी ट्रेनों से अलग नहीं है, बल्कि अंदरूनी बनावट भी मीलों आगे है। ट्रेन अंदर से भी हल्की नारंगी रंग की थी और भूरी सीट के बीच में भी इस रंग का पट्टी चमक रही थी। इसी बीच ट्रेन होस्टेस सीट पर पहुंची तो ऐसा अहसास हुआ कि हवाई जहाज पटरी पर दौड़ रहा है।
विमान वाली सुविधा ट्रेन में मिलने पर खुशी
खास बात यह रही कि अधिकतर लोग ज्यादा किराये के बाद भी खुश नजर आ रहे थे। लोगों को उस तरह का सत्कार मिल रही था जो अमूमन विमान में मिलता है। शताब्दी और राजधानी की तरह तेजस के मेन्यू में भी वही नाश्ता था, लेकिन गुणवत्ता काफी बेहतर थी।
मसाला चाय और मीठी दही से आ गया सफर में मजा
खास तौर पर मसाला चाय और मीठे दही ने उसमें चार चांद लगा दिए। कभी गंदगी के कारण ट्रेनों के शौचालय में ना जाना पड़े इसके लिए यात्री तमाम जतन करते थे, लेकिन इस ट्रेन में ऐसा कोई यात्री नहीं होगा जो शौचालय की सफाई, सेंसर से चलने वाले नलों को देखने के लिए एक बार वहां ना गया हो।