Move to Jagran APP

ऑडिटर्स की रिपोर्ट में खुलासा, आखिर कैसे डूब गए आम्रपाली ग्रुप के 3000 करोड़ रुपये?

ऑडिटर्स की रिपोर्ट से साफ पता चल रहा है कि निवेशकों के पैसों को भी इस्तेमाल कंपनी के निदेशकों अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों ने अपने निजी लाभ के लिए किया था।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 29 Mar 2019 02:54 PM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 09:07 AM (IST)
ऑडिटर्स की रिपोर्ट में खुलासा, आखिर कैसे डूब गए आम्रपाली ग्रुप के 3000 करोड़ रुपये?
ऑडिटर्स की रिपोर्ट में खुलासा, आखिर कैसे डूब गए आम्रपाली ग्रुप के 3000 करोड़ रुपये?

नई दिल्ली/नोएडा, जेएनएन। दिल्ली-एनसीआर के साथ देशभर के 40000 से ज्यादा निवेशकों के 3000 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम आम्रपाली बिल्डर ग्रुप ने कैसे डुबो दी? इसका पता ऑडिटर्स की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट की मानें तो आम्रपाली ग्रुप के तबाही की कगार पर पहुंचने का सबसे बड़ा और अहम कारण हजारों निवेशकों के साथ 3000 करोड़ रुपये की हेराफेरी ही थी।

loksabha election banner

वहीं, ऑडिटर्स ने एक और बात कही है कि समूह बाजार की परिस्थितयां बदलने या निवेश का फैसला गलत होने की वजह से नहीं डूबी, बल्कि यह ग्रुप के मालिकों द्वारा जानबूझकर किए गए आपराधिक कृत्यों की वजह से डूबी। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू. यू. ललित ने अपने वकील एम. एल. लाहोटी को बृहस्पतिवार को जानकारी दी कि ऑडिटरों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और न्यायालय 9 अप्रैल को उसकी पड़ताल करेगा।

गौरतलब है कि दिसंबर, 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश जारी किया था। इस रिपोर्ट से साफ पता चल रहा है कि निवेशकों के पैसों को भी इस्तेमाल कंपनी के निदेशकों, अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों ने अपने  निजी लाभ के लिए किया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के पैसों के दुरुपयोग का पता लगाने के लिए 7 माह पूर्व फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश जारी किया था। 

मिली जानाकरी के मुताबिक,  ऑडिटर रवि भाटिया तथा पवन अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में 2000 पेज की भारी-भरकम रिपोर्ट जमा की। आइए जानते हैं ऑडिट रिपोर्ट की अहम बातेंः-

  • आम्रपाली समूह ने फंड्स की हेराफेरी के लिए 100 से भी अधिक फर्जी कंपनियां बनाईं।
  • फर्जी कंपनियां चपरासी के नाम पर भी खोली गईं थीं, जिसे कंपनी में एक वरिष्ठ पद पर बैठाया गया था।
  • निवेशकों के पैसों का इस्तेमाल कंपनी के निदेशकों, अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों ने निजी लाभ के लिए किया।

 
आम्रपाली समूह ने निवेशकों का पैसा अन्य कंपनियों में किया था ट्रांसफर

आम्रपाली समूह के निदेशकों को निवेशकों का पैसा अन्य कंपनियों में ट्रांसफर करना भारी पड़ गया। अदालत ने आम्रपाली के पांच सितारा होटल, एफएमसीजी कंपनी, कारपोरेट आफिस और मॉल जब्त करने का आदेश दिया है।

बिजनेस विस्तार में निवेशको की रकम इधर-उधर की गई

आम्रपाली समूह ने फ्लैट देने के नाम पर खरीदारों से जो रकम एकत्र की थी, उसका कई अन्य कंपनियों के जरिये इस्तेमाल किया गया। अदालत में दाखिल आम्रपाली के हलफनामे के मुताबिक नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कंपनी के 170 से ज्यादा टावर हैं, जहां 46,000 से ज्यादा लोगों ने घर बुक कराए हैं। समूह की अलग-अलग 15 कंपनियों ने इन्हीं के नाम पर फ्लैट खरीदारों से 11,573 करोड़ लिए। वहीं, मार्केट और एफडीआइ से 4,040 करोड़ हासिल किए थे। इसमें से 10,300 करोड़ हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर खर्च किए गए, जबकि करीब 3000 करोड़ रुपये की रकम बिजनेस विस्तार पर खर्च की गई थी।

आम्रपाली समूह ने जिन परियोजना में लगे पैसों को ट्रांसफर किया, उसमें स्मार्ट सिटी देव, सेंचुरियन पार्क, ड्रीम वैली, लेजर वैली, सिलिकन वैली और जोडियक देव का नाम शामिल है। फोरेंसिक आडिट के दौरान कई शेल कंपनियों का भी पता चला है, जिनकी जांच की जा रही है। इनमें से एक कंपनी के नाम पर आम्रपाली ने 1040 करोड़ खरीदारों से लिए लेकिन मकान बनाने की जगह 600 करोड़ रुपये दूसरी जगह इन्वेस्ट कर दिए।

नीलाम होने हैं ये प्रोजेक्ट

  • आम्रपाली होम्स, वृंदावन
  • आम्रपाली होम्स प्रोजेक्ट इंदौर
  • आम्रपाली होम्स भुवनेश्वर
  • संगम कॉलोनाइजर जयपुर
  • हाईटेक सिटी जयपुर
  • अल्ट्रा होम्स कंस्ट्रक्शन सिक्किम
  • अल्ट्रा होम्स कंस्ट्रक्शन उदयपुर
  • अल्ट्रा होम्स कंस्ट्रक्शन रायपुर
  • अल्ट्रा होम्स कंस्ट्रक्शन न्यू रायपुर
  • अनलॉन्च पार्ट लेजर वैली ग्रेनो वेस्ट
  • अनलॉन्च पार्ट वैली कॉमर्शियल ग्रेनो वेस्ट
  • अनलॉन्च पार्ट सेंचुरियन पार्क ग्रेनो वेस्ट
  • अनलॉन्च पार्ट सेंचुरियन पार्क कॉमर्शियल ग्रेनो वेस्ट
  • अनलॉन्च पार्ट गोल्फ होम्स ग्रेनो वेस्ट
  • अनलॉन्च पार्ट सिलिकॉन सिटी नोएडा

बता दें कि आम्रपाली ग्रुप की 20 परियोजनाओं में नोएडा-ग्रेटर नोएडा के करीब 45 हजार खरीदारों ने पैसा लगा रखा है। अब तक परियोजनाओं के तहत बनने वाले फ्लैटों में खरीदारों को कब्जा मिल जाना चाहिए था, लेकिन अधिकाश परियोजनाओं में खरीदारों को आशियाना नहीं मिल सका है। 

नेफोवा संस्थापक इंद्रिश गुप्ता ने बताया कि अधिकाश परियोजनाओं में 2007 से 2010 के बीच बुकिंग हुई है। बुकिंग के दौरान परियोजना 10 से 20 प्रतिशत तक पैसा लिया गया। इसके बाद खरीदार अब तक फ्लैटों का 90 से 95 प्रतिशत पैसा जमा कर चुके हैं। करीब आठ साल इंतजार के बाद भी खरीदार को अपना आशियना नहीं मिल सका। नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक ने बताया कि प्रदर्शन के बाद भी जब सुनवाई नहीं हुई तो शहर के विभिन्न थानों में धोखाधड़ी के एवज में मुकदमा दर्ज कराया गया। इसमें कोतवाली बिसरख, सेक्टर-58, 49, 39 में आम्रपाली के खिलाफ कई दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। यहां से काम नहीं चलने व कार्रवाई नहीं होने पर आम्रपाली के करीब 2500 खरीदारों ने सर्वोच्च न्यायालय का सहारा लिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.