पढ़िए किस मामले पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी और कहा कि कोई भी क्रिकेट के खेल पर कापीराइट का दावा नहीं कर सकता
पीठ ने आयोजकों को निर्देश दिया कि मैचों के संबंध में अपनी कमाई और खर्च का स्पष्ट लेखा-जोखा रखें। कहा कि टूर्नामेंट के पूरा होने के एक महीने के भीतर कोर्ट के समक्ष पेश करें। अगली सुनवाई 26 अप्रैल को संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष तय की है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। लीजेंड्स लीग क्रिकेट टूर्नामेंट पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि कोई भी क्रिकेट के खेल पर कापीराइट का दावा नहीं कर सकता। न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि पांच दिवसीय टेस्ट मैच से टी-20 क्रिकेट के हालिया प्रारूप में खेल के विकास पर कापीराइट नहीं हो सकता। हालांकि, पीठ ने लीग के आयोजकों को निर्देश दिया कि वे मैचों के संबंध में अपनी कमाई और खर्च का स्पष्ट लेखा-जोखा रखें। पीठ ने कहा कि टूर्नामेंट के पूरा होने के एक महीने के भीतर इसे कोर्ट के समक्ष पेश करें। पीठ ने मामले में अगली सुनवाई 26 अप्रैल को संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष तय की है।
द लीजेंड्स लीग क्रिकेट में इंडियन महाराजा, एशियन लायंस और वर्ल्ड जायंट्स टीमें प्रतियोगिता में भाग ले रही है। इसमें भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग, पाकिस्तान किक्रेटरशाहिद अफरीदी, शोएब अख्तर समेत अन्य देशों के रिटायर खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। यह प्रतियोगिता ओमान के अल अमरत क्रिकेट ग्राउंड में होगी। कोर्ट ने कहा कि मैचों के आयोजन का उद्देश्य मौद्रिक लाभ प्राप्त करना है। इसलिए यदि मैच नहीं होते हैं तो प्रतिवादी, खिलाड़ी, प्रायोजक, मीडिया पार्टनर और जनता को बड़े पैमाने पर नुकसान होगा जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती।
याचिकाकर्ता समीर कासल ने याचिका दायर कर कहा था कि टूर्नामेंट का आयोजन उनका आइडिया था और उन्होंने प्रतिवादी प्रशांत मेहता के साथ इस पर चर्चा की थी। कासल ने दलील दी कि मैचों को उन जगहों पर आयोजित करने का उनका विचार था जहां भारत की बड़ी आबादी है। हालांकि, ओमान में होने वाली लीजेंड्स लीग क्रिकेट को उनसे चुरा लिया गया है। हालांकि, पीठ ने कहा कि आवेदक के विचार और लीग के आयोजन के बीच एकमात्र मौलिक समानता यह है कि दोनों में क्रिकेट का खेल शामिल है और कोई भी क्रिकेट पर कापीराइट का दावा नहीं कर सकता है। पीठ ने कहा कि दस ओवर के क्रिकेट मैच का विचार नया नहीं है और वर्ष 1997 में न्यूजीलैंड में पेश किया गया था