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हरियाणा में बेहद दिलचस्प है पार्टियों का तिलिस्म, जिसे तोड़ने में सिर्फ कामयाब रही कांग्रेस

दुष्यंत का यह मानना रहा है कि जननायक के नाम से बनने वाली उनकी नई पार्टी इनेलो के चुनाव चिह्न से अलग हटकर नए चुनाव चिह्न से कहीं अधिक दमदार प्रदर्शन कर सकती है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 09:38 AM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 01:15 PM (IST)
हरियाणा में बेहद दिलचस्प है पार्टियों का तिलिस्म, जिसे तोड़ने में सिर्फ कामयाब रही कांग्रेस
हरियाणा में बेहद दिलचस्प है पार्टियों का तिलिस्म, जिसे तोड़ने में सिर्फ कामयाब रही कांग्रेस

नई दिल्ली [महेश कुमार वैद्यदुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (JJP) नाम के अपने नए राजनीतिक दल का एलान भले ही रविवार को पांडु पिंडारा की रैली में किया है, लेकिन नई पार्टी के गठन के पीछे अतीत के इतिहास का भी खेल है। इस पार्टी के गठन के पीछे भी रोचक स्टोरी सामने आई है। 

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एक चुनाव चिह्न पर दोबारा सत्ता में नहीं आई कोई गैर कांग्रेसी पार्टी

पार्टी गठन के पीछे निश्चित रूप से एक नहीं बल्कि कई कारण रहे हैं, किंतु एक प्रमुख व बेहद रोचक कारण यह भी है कि हरियाणा गठन के बाद आज तक जितनी भी गैर कांग्रेसी सरकारें अस्तित्व में आई है, उनमें से एक चुनाव चिह्न पर दोबारा कोई पार्टी अस्तित्व में नहीं आई। कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार दो टर्म यानी 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे। 

 

दोस्तों के बीच मन की बात शेयर कर चुके थे नई पार्टी जननायक जनता पार्टी के सुप्रीमो

इसी बात ने युवा दुष्यंत को प्रेरित किया। हौसला दिया। हिम्मत दी। दोस्तों के बीच मन की बात में दुष्यंत अपना यह गणित महीनों पहले ही शेयर कर चुके थे। उनका यह मानना रहा है कि जननायक के नाम से बनने वाली उनकी नई पार्टी इनेलो के चुनाव चिह्न से अलग हटकर नए चुनाव चिह्न से कहीं अधिक दमदार प्रदर्शन कर सकती है।

रविवार को अस्तित्व में आई पार्टी के पीछे उनकी उम्मीद हरियाणा की सत्ता हासिल करना है। देखना यह है कि नया चुनाव चिह्न और नई पार्टी दुष्यंत के सपने को पूरा करने में कितना योगदान दे पाती है। लोगों का यह भी कहना है कि यह अंक गणित नहीं बल्कि राजनीति का गणित है, लेकिन दुष्यंत समर्थक उड़ान भरने के लिए उत्साहित हैं।

हर बार नए चुनाव चिह्न का सफरनामा

सबसे पहले वर्ष 1967 में हरियाणा में कुछ समय के लिए गैर कांग्रेसी सरकार गठित हुई थी। यह संयुक्त विधायक दल की सरकार थी। राव बिरेंद्र सिंह ने इसका नेतृत्व किया था।

इसके बाद पहली पूर्ण गैर कांग्रेसी सरकार 1977 में जनता पार्टी की बनी। चौ. देवीलाल ने इस सरकार का नेतृत्व किया, लेकिन जनता परिवार में बिखराव होने के बाद वर्ष 1987 में लोकदल की सरकार बनी। इस गैर कांग्रेसी सरकार में छह बार में चार मुख्यमंत्री बने, लेकिन यह लोकदल भी दोबारा कभी सत्ता में नहीं आया।

हालांकि इस लोकदल को छोड़कर इंडियन नेशनल लोकदल का गठन करने वाले चौ. ओमप्रकाश चौटाला अपने नए चुनाव चिह्न चश्मा के साथ वर्ष 2000 में सत्ता में आने में कामयाब रहे। इसके बाद वर्ष 2014 के पिछले आम चुनावों में पहली बार भाजपा अकेले दम पर सत्ता में आने में कामयाब रही। मनोहरलाल इस सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

दुष्यंत की नई पार्टी से बनेंगे नए राजनीतिक समीकरण
सांसद दुष्यंत चौटाला की नई पार्टी जननायक जनता पार्टी के अस्तित्व में आने से प्रदेश में नए राजनीतिक समीकरण बनेंगे। पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ दल भाजपा सहित मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस व इनेलो को भी नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।

राजनीति के पंडित मान रहे हैं कि दुष्यंत चौटाला ग्रामीण पृष्ठभूमि के अपने समर्थक मतदाताओं के साथ आम आदमी पार्टी के समर्थक शहरी मतदाताओं का सहयोग भी ले सकते हैं। इससे बदले चुनावी परिदृश्य में भाजपा, कांग्रेस, इनेलो-बसपा गठबंधन के सामने ये दोनों पार्टियां मुकाबला चतुष्कोणीय बनाएंगी।

आसान नहीं है नई पार्टी की डगर
जानकार मान रहे हैं कि दुष्यंत की नई पार्टी का सफर आसान नहीं है। प्रदेश में राव वीरेंद्र सिंह, देवीलाल, बंसीलाल सहित भजनलाल ने भी अपनी अलग क्षेत्रीय पार्टी बनाई। भजनलाल को छोड़कर इन सभी ने एक सहयोगी पार्टी के दम पर राज्य में सत्ता भी पाई। बाद में इनेलो को छोड़कर किसी अन्य दल का कोई वजूद नहीं बचा। अब देखना होगा कि दुष्यंत की पार्टी में युवा जोश और आकर्षण कब तक बरकरार रहता है।

जननायक जनता पार्टी को फायदे में मान रही हैं भाजपा और कांग्रेस
माना जा रहा है कि जननायक जनता पार्टी हिसार, सिरसा, जींद, भिवानी, फतेहाबाद, पलवल से लेकर अन्य कई जिलों में मुकाबला चतुष्कोणीय बनाएगी। स्थापित पार्टियों खासतौर पर इनेलो-बसपा गठबंधन से लेकर भाजपा-कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ देगी। मगर, भाजपा और कांग्रेस के नेता कहते हैं कि इस नई पार्टी से उनकी पार्टी को सीधा फायदा मिलेगा।


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