Move to Jagran APP

जानिए- राजस्थान में SDM रही इस महिला ने क्यों दिया इस्तीफा, अब जमाना कहता है 'मैडम'

मंजू रानी ने नौकरी छोड़ शिक्षा से वंचित बच्चों की बुनियाद मजबूत करने का काम शुरू कर दिया। पिछले दो वर्षों से वह इस काम जुटी हुई हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 05:50 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 05:51 PM (IST)
जानिए- राजस्थान में SDM रही इस महिला ने क्यों दिया इस्तीफा, अब जमाना कहता है 'मैडम'
जानिए- राजस्थान में SDM रही इस महिला ने क्यों दिया इस्तीफा, अब जमाना कहता है 'मैडम'

नई दिल्ली [रितु राणा]। गरीब बच्चों से शिक्षा में भेदभाव एक महिला भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (Indian Administrative Service) को रास नहीं आया और उन्होंने नौकरी छोड़ शिक्षा से वंचित बच्चों की बुनियाद मजबूत करने का काम शुरू कर दिया। पिछले दो वर्षों से वह इस काम जुटी हुई हैं। शुरुआत खुद से नियुक्त सरकारी स्कूल में शिक्षक भेजकर बच्चों की बुनियाद मजबूत करने की कोशिश की, लेकिन जब इससे ज्यादा फर्क नहीं दिखा तो निजी स्कूल की तर्ज पर उन्होंने खुद का एजुकेशन सेंटर खोल दिया। वर्तमान में उनके संस्थान में 200 बच्चे शिक्षा ले रहे हैं वहीं, 12 शिक्षिकाएं यहां पढ़ा रही हैं।

loksabha election banner

देश की राजधानी दिल्ली स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (Maulana Azad Medical College) से एमबीबीएस (Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery) की डिग्री हासिल करने वालीं पूर्व आइएएस अधिकारी मंजू रानी 1992 में राजस्थान कैडर डुंगुरपुर जिले के सगवारा में एसडीएम नियुक्त हुई थी। इसके बाद 2009 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और अपना जीवन बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए समर्पित कर दिया।

बता दें कि इसके बाद अप्रैल 2019 से डॉ. मंजू रानी शकूर पुर गांव में ग्रीन एप्पल एजुकेशन सेंटर चला रही हैं, जहां गरीब व जरूरतमंद बच्चे ही पढ़ाई के लिए आते हैं। सुबह 8 से 12 व शाम दो से छह बजे की पाली में चलने वाले इस स्कूल में नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई होती है।

मंजू रानी ने बताया कि यह सभी बच्चे गरीब परिवारों से हैं। इस स्कूल में एक विशेष कक्षा उन बच्चों के लिए भी चलाई जाती है जिन्हें अक्षर ज्ञान नहीं है। इन बच्चों को अक्षर ज्ञान आए और यह हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी भी ठीक से पढ़ सकें। पांच महीने में 20 ऐसे बच्चों को अक्षर ज्ञान आ गया है, जिन्हें यहां आने से पहले दिक्कत होती थी। समय-समय पर बच्चों का टेस्ट भी होता है। हर महीने बच्चों की रिपोर्ट उनके परिजनों को पीटीएम कर बताई जाती है। इस सेंटर में पढ़ने वाले बच्चों से नाममात्र की फीस (200 रुपये) ली जाती है, वह भी इसलिए जिससे बच्चों और उनके परिजनों में हीन भावना न आए। बहुत से बच्चे बिना फीस दिए भी यहां पढ़ाई कर रहे हैं।

मंजू रानी अब तक बच्चों की शिक्षा पर करीब पांच लाख रुपये खर्च कर चुकी हैं। डॉ. मंजू ने बताया कि उनकी कोशिश है कि सभी बच्चों को पढ़ाई का पूरा अवसर मिले कोई बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न रहे, इसलिए यह सेंटर खोला है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.