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Dr S Padmavati: जानिये- डॉ पद्मावती को, जिन्हें कहा जाता था 'गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉजी'

Dr S Padmavati स्वास्थ्य के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए 1967 में उन्हें पद्म भूषण से व 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 05:42 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 05:42 PM (IST)
Dr S Padmavati: जानिये- डॉ पद्मावती को, जिन्हें कहा जाता था 'गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉजी'
Dr S Padmavati: जानिये- डॉ पद्मावती को, जिन्हें कहा जाता था 'गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉजी'

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Dr S Padmavati:  पद्म विभूषण से सम्मानित प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पद्मावती को भारत की गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉजी के रूप में पहचाना जाता है। उनके निधन से भारत के कार्डियोलॉजी क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। डॉ. पद्मावती का जन्म म्यांमार में 20 जून, 1917 को हुआ था। उन्होंने रंगून मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री ली थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्हें म्यांमार छोड़कर भारत आना पड़ा और दिल्ली में बस गई।

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उन्होंने ब्रिटेन में स्नातकोत्तर का अध्ययन किया और 1945 में युद्ध समाप्त होने के बाद जॉन हॉप¨कस अस्पताल और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में रहकर कार्डियोलॉजी में विशेषज्ञता हासिल की। भारत लौटने पर, वह नई दिल्ली में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में व्याख्याता के तौर पर सेवाएं देने लगीं और बाद में विभागाध्यक्ष बनीं। इसके बाद वे मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की निदेशक बनीं।

उन्होंने गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में निदेशक के तौर पर भी सेवा दी। उन्होंने 45 वर्ष तक मेडिकल के छात्रों को पढ़ाया और 1981 में राष्ट्रीय हृदय संस्थान की स्थापना की थी और इसके निदेशक और अध्यक्ष के रूप में सेवा दी।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए 1967 में उन्हें पद्म भूषण से व 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 2003 में उन्हें हार्वर्ड मेडिकल अवार्ड मिला था। 1975 में बीसी रॉय अवार्ड, 1975 में कमला मेनन रिसर्च अवार्ड और कई अन्य पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने अविवाहित रहकर खुद को देश और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए समर्पित कर दिया। वह अपने जीवन के अंतिम दिनों तक भी पूरी तरह सक्रिय थीं। 2015 के अंत तक वे दिन में 12 घंटे, सप्ताह में पांच दिन एनएचआइ में काम कर रही थीं।

देश की पहली महिला हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पद्मावती पंचतत्व में विलीन

देश की पहली महिला हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पद्मावती का बीते शनिवार रात 11 बजे हृदयघात से निधन हो गया। वे 103 वर्ष की थीं। उनका अंतिम संस्कार रविवार को पंजाबी बाग के कोविड-19 शवदाह गृह में किया गया। नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट (एनएचआइ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ओपी यादव ने बताया कि डॉ. पद्मावती का निधन से पहले 11 दिन तक एनएचआइ में कोरोना संक्रमण का इलाज हुआ था। कोरोना के संक्रमण की वजह से उन्हें निमोनिया हो गया था। हालांकि, उनका निधन हृदयाघात की वजह से हुआ।

गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉ जीडॉ. शिवरामकृष्ण अय्यर पद्मावती का जन्म म्यांमार में हुआ था, लेकिन वे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी आक्रमण के बाद भारत आ गई थीं। जीवन के अंतिम दिनों में भी पूरी तरह सक्रिय थीं। 2015 के अंत तक वे दिन में 12 घंटे, सप्ताह में पांच दिन एनएचआइ में काम कर रही थीं। 1981 में उन्होंने एनएचआइ की स्थापना की थी। उनके योगदान के कारण ही उन्हें 'गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉजी' की उपाधि दी गई थी। उन्हें भारत सरकार ने 1967 में पद्म भूषण और 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।

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