Move to Jagran APP

पढ़ें- TV-फिल्म्स में काम कर चुके इस एक्टर की रोचक स्टोरी, हुआ कुछ ऐसा कि बन गए 'योगी'

बिजय जे आनंद बताते हैं- उस समय समझ में आ गया था कि माया क्या होती है। उस समय ऐसा लगा कि इस माया से छुटकारा मिले। कहीं मन की शांति मिले। इसके लिए मैंने प्रयास किए सीखा।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 05:55 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 04:46 AM (IST)
पढ़ें- TV-फिल्म्स में काम कर चुके इस एक्टर की रोचक स्टोरी, हुआ कुछ ऐसा कि बन गए 'योगी'
पढ़ें- TV-फिल्म्स में काम कर चुके इस एक्टर की रोचक स्टोरी, हुआ कुछ ऐसा कि बन गए 'योगी'

नई दिल्ली [सुधीर कुमार पांडेय)। International Yoga Day 2019: देश की मायानगरी मुंबई की चमकीली राहें, फिल्मों की तड़क-भड़क भरी दुनिया भला किसका ध्यान नहीं खीचती हैं। अभिनय की यह नगरी उन लोगों को अपनी ओर खींच ही लाती है, जिनका मन अदाकारी में रमता है। वे मुकाम पर पहुंचना चाहते हैं, लेकिन एक कलाकार ऐसा भी है, जो उस समय इस मायावी नगरी से दूर हो गया जब उसका करियर मुकाम पर था। उसने अपने दिल की बात सुनी और अभिनेता से योगी तक का सफर तय किया और यह सफर अनवरत जारी है। हम बात कर रहे हैं अभिनेता बिजय जे आनंद की।

loksabha election banner

बिजय जे आनंद ने वर्ष 1996 में 'यश' फिल्म से फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। इसमें उन्होंने यश राय की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म के गीत 'सुबह सुबह जब खिड़की खोले' और 'यारो न जाने मुझे क्या हो गया' काफी प्रसिद्ध हुए थे। इसके बाद उन्होंने 'प्यार तो होना ही था' फिल्म में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया। इस फिल्म में वह उस दौर की सबसे कामयाबी अभिनेत्री काजोल के साथ दिखे थे। लेकिन, उनका मन इस माया नगरी में नहीं रमा और वह उसकी तलाश में चल दिए, जिससे मन को शांति मिले।

बिजय जे आनंद बताते हैं- 'उस समय समझ में आ गया था कि माया क्या होती है। उस समय ऐसा लगा कि इस माया से छुटकारा मिले। कहीं मन की शांति मिले। इसके लिए मैंने प्रयास किए, सीखा। फिर मुझे वह मिल गया, जो मैं ढूंढ़ रहा था। मैंने निर्णय किया कि जो मैं देख रहा हूं, उसे दुनिया को भी दिखाना है। मैंने जो महसूस किया, वह दुनिया भी महसूस करे। बड़े लोगों को आश्रमों में रहने में दिक्कत होती है। वह आश्रम के अनुकूल अपने को नहीं ढाल सकते हैं। वे तपस्या से डरते हैं। उनके अंदर के डर को दूर करने के लिए मैंने उन्हें योग सिखाना शुरू किया। अष्टांग, कुंडलनी और अनाहात की शिक्षा देता हूं। दुनिया के जो प्रमुख शिक्षक हैं, उन्हें बुलाता हूं। अरसे बाद टेलीविजन सीरियल 'सिया के राम' में जनक की भूमिका निभाने पर वह कहते हैं- 'मैंने अपने को इस किरदार के अनुकूल पाया। लोग भी कहते थे कि मैं जनक के रूप में फिट हूं।'

योग तो चौबीसो घंटे और पूरे साल होता है

बिजय जे आनंद कहते हैं- 'योग तो चौबीसो घंटे और पूरे साल की प्रक्रिया है। इसे महज सप्ताह में तीन घंटे की क्लास में नहीं बांधा जा सकता है। सुबह साढ़े चार बजे से उठने से लेकर रात दस बजे तक सोने तक हर चरण में योग है। मन के अंदर सात्विकता होनी चाहिए। योगासन करते हैं तो उसे रोज करें, न कि सप्ताह के दिनों में बांधें।'

दिल्ली-NCR की ताजा खबरों को पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.