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पढ़िए- क्यों मुलायम के करीबी इस परिवार ने 30 वर्ष बाद SP को कहा 'अलविदा'

समाजवादी पार्टी में मुलायम का वजूद कम होने के बाद नरेंद्र भाटी का वर्चस्व कमजोर पड़ने लगा था। एक-एक कर उनके उनके करीबियों को संगठन से दूर कर दिया गया।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 12:17 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 12:11 PM (IST)
पढ़िए- क्यों मुलायम के करीबी इस परिवार ने 30 वर्ष बाद SP को कहा 'अलविदा'
पढ़िए- क्यों मुलायम के करीबी इस परिवार ने 30 वर्ष बाद SP को कहा 'अलविदा'

नोएडा [धर्मेंद्र चंदेल]। Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव-2019 के तहत प्रथम चरण के मतदान से ठीक पहले उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। सिकंद्राबाद से तीन बार विधायक रहे और दो बार प्रदेश में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त विधान परिषद सदस्य नरेंद्र भाटी का परिवार मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गया। नरेंद्र भाटी दो बार सपा के टिकट पर गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से प्रत्याशी रह चुके हैं। गत लोकसभा चुनाव में वे सवा तीन लाख वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे थे। उनके परिवार का भाजपा में जाना सपा के लिए तगड़ा झटका है। इससे जिले में सपा के अस्तित्व पर संकट आ गया है। नरेंद्र भाटी का परिवार जिले की राजनीति में बड़ा वजूद रखता है। 30 वर्ष से उन्होंने सपा का झंडा उठा रखा था। कभी पार्टी नहीं छोड़ी, लेकिन पिछले लंबे समय से वे अपने आपको पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे थे।

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दरअसल, पार्टी में पहले नरेंद्र भाटी का एक क्षत्र राज चलता था। गत लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व सांसद सुरेंद्र नागर सपा में आ गए। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य बनाया, जबकि नरेंद्र भाटी को विधान परिषद में भेजा गया। यहीं से दोनों नेताओं में पार्टी के अंदर वर्चस्व की जंग शुरू हो गई। नरेंद्र भाटी मुलायम सिंह के करीबी माने जाते हैं। कई बार मुलायम सिंह नरेंद्र भाटी के घर आए। वहीं सुरेंद्र नागर को अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है।

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समाजवादी पार्टी में मुलायम का वजूद कम होने के बाद नरेंद्र भाटी का वर्चस्व कमजोर पड़ने लगा था। एक-एक कर उनके उनके करीबियों को संगठन से दूर कर दिया गया। उन्होंने खुले मंचों पर इसके लिए सीधे तौर पर राज्यसभा सुरेंद्र नागर को जिम्मेदार ठहराया।

सुरेंद्र नागर और नरेंद्र भाटी में वर्चस्व की जंग इतनी अधिक बढ़ गई थी कि 2017 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र भाटी के करीब रविंद्र भाटी का दादरी विधान सभा सीट से अचानक टिकट काट दिया गया। सुरेंद्र नागर के करीबी राजकुमार भाटी को टिकट मिला। रविंद्र भाटी ने टिकट कटवाने का आरोप सुरेंद्र नागर पर लगाया था। इसी तरह जेवर में बेवन नागर का टिकट काटकर सुरेंद्र नागर के करीब नरेंद्र नागर को दे दिया गया था।

तकनीकी कारणों से नरेंद्र भाटी ने नहीं ली सदस्यता

नरेंद्र भाटी के करीबी सपा के कई बड़े नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं। नरेंद्र भाटी सपा से विधान परिषद सदस्य हैं। उनका तीन वर्ष का कार्यकाल शेष है, इसलिए तकनीकी कारणों ने उन्होंने फिलहाल भाजपा की सदस्यता नहीं ली है। वहीं, उनके भाई बिजेंद्र भाटी ने तिलपता गांव में हुई चुनावी सभा में इशारों-इशारों में नरेंद्र भाटी का नाम लिए बिना स्पष्ट कर दिया कि मंच पर आपको किसी की कमी खल रही है। वे जल्द पूरी हो जाएगी। उनका इशारा नरेंद्र भाटी की तरफ था।

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