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पढ़िए- दिल्ली-NCR में रेव पार्टियों की इनसाइड स्टोरी, कम उम्र की छात्राएं भी हो रहीं शामिल

दिल्ली-एनसीआर में तकरीबन हर महीने ऐसे ही मामलों का खुलासा होता है जिसमें महंगे नशे और शराब पिए हुए युवक-युवतियां पुलिस की गिरफ्त में आते हैं। यह शरीर को नुकसान पहुंचाने के साथ अंदर से भी नुकसान पहुंचाता है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 01:27 PM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2019 02:35 PM (IST)
पढ़िए- दिल्ली-NCR में रेव पार्टियों की इनसाइड स्टोरी, कम उम्र की छात्राएं भी हो रहीं शामिल
पिछले एक दशक के दौरान रेव पार्टी का चलन बढ़ा है।

नई दिल्ली, जेएनएन। 'तेज रोशनी और धमाकेदार संगीत, बिना लय ताल के थिरकते नौजवान, लहराते और एक दूसरे से टकराते जिस्म, हर तरफ धुआं ही धुआं, फिजा में तैरती तीखी और नशीली गंध, महंगी शराब, बीयर के नशे में मदहोश युवक-युवतियां, हर टेबल पर शराब परोसती खूबसूरत युवतियां और हल्की लाइट में डीजे पर थिरकते युवक-युवतियां।' यह नजारा होता है रेव पार्टी का, जो इन दिनों आम हो गई हैं। दिल्ली-एनसीआर में तकरीबन हर महीने ऐसे ही मामलों का खुलासा होता है, जिसमें महंगे नशे और शराब पिए हुए युवक-युवतियां पुलिस की गिरफ्त में आते हैं। हैरानी की बात है कि इसमें कोई सख्त नियम न होने के चलते कोई बड़ी कानूनी कार्रवाई नहीं होती, इसलिए यह लगातार जारी है। पिछले सप्ताह ही दिल्ली से सटे गुरुग्राम के रेस्टोरेंट में रेव पार्टी का खुलासा हुआ, जिसमें 9 लड़के और 34 युवतियां नशे में झूमते पकड़ गए। वहीं, पुलिस ने वहां पर मौजूद कर्मचारियों को गिरफ्तार किया, तो लड़कों-लड़कियों को हिदायत देकर छोड़ दिया।

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कई लड़कियां मिलीं अर्धनग्न अवस्था में

इसी साल 8 जून को दिल्ली में ही आबकारी विभाग व महरौली थाना पुलिस ने छतरपुर एक्सटेंशन के कैफे में चल रही रेव पार्टी में छापा मारा तो अंदर का नजारा देखकर उसके होश उड़े गए। पार्टी में दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद व गाजियाबाद समेत एनसीआर के अन्य शहरों से 200 से ज्यादा लड़के और लड़कियां शामिल थे। इनमें से कई नाबालिग भी थे। बताया जा रहा है कि जब पुलिस पहुंची तो कई लड़कियां अर्धनग्न अवस्था में पाई गईं। वहीं, पुलिस ने मुख्य आयोजक समेत 8 लोगों को गिरफ्तार किया, जबकि दो आयोजक फरार हो गए थे। 

इससे पहले 4 मई की रात को नोएडा पुलिस ने सेक्टर-135 स्थित एक फार्म हाउस में चल रही रेव पार्टी पर छापा मारकर 192 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें फार्म हाउस के मालिक व पांच मुख्य आयोजकों समेत गाजियाबाद पुलिस का एक सिपाही और एक पूर्व विधायक का भतीजा भी शामिल था। फार्म हाउस में हो रही पार्टी में पुलिस ने भारी मात्रा में शराब, बीयर, हुक्के, तंबाकू, लैपटॉप सहित कई आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद हुई थी। पुलिस ने मौके से 31 युवतियों समेत 192 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। युवतियों में 8 प्रोफेशनल डांसर थीं।

कोड वर्ड में करते हैं बात

देश के साथ-साथ दिल्ली-NCR में भी हाई प्रोफाइल रेव पार्टियों को संचालित करने से अंजाम देने तक पूरी प्रक्रिया की भाषा में कोड व‌र्ड्स का इस्तेमाल किया जाता है। पार्टी स्थल, तारीख और नशे में इस्तेमाल होने वाली चीज, हर एक का नाम तय कर दिया जाता है। अगर इस प्रक्रिया में कुछ भी गड़बड़ होती है, तो पूरी पार्टी का भंडाफोड़ हो जाता है। 

कैसे मिलता है तस्करों को बढ़ावा

यूनाइटेड नेशन ऑन ड्रग ऐंड क्राइम (यूएनओडीसी) के मुताबिक, पूरी दुनिया में नशीले पदार्थो का सेवन करने वाले लोगों की संख्या तकरीबन 21 करोड़ तक पहुंच गई, यानी दुनिया की कुल जनसंख्या का लगभग 5 फीसद हिस्सा ड्रग्स का आदी है।  21 करोड़ में से हर साल लगभग 2 लाख लोग की मौत नशे की वजह से होती है।

कोकीन : इसे कोक, चार्ली या ब्लो भी कहा जाता है। इसके सेवन से नर्वस सिस्टम स्ट्यूमलेट होता है, जिससे एनर्जी बढ़ जाती है। इससे शरीर का तापमान और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। यह अफ्रीकी देशों, मलयेशिया और थाइलैंड से स्मगल होती है।

क्रैक : यह यूरोपियन देशों और अमेरिका से आती है लेकिन इंडिया में इसकी स्मगलिंग अफ्रीकी देशों, मलयेशिया और थाइलैंड से होती है। यह कोकीन का हलका रूप है।

 चरस : यह उत्तर भारत, पाकिस्तान और हिमालय की तराई में उगाई जाती है। यह मुंबई में सड़क के रास्ते आती है।

 हेरोइन : यह ड्रग अफगानिस्तान, पाकिस्तान और म्यामार से आती है।

 गाजा : नशे के लिए इसे तंबाकू में मिलाया जाता है।

 ऐक्सटेसी : यह ड्रग लेने से यूजर्स को काफी एनर्जी मिलती है, लेकिन इसके गलत असर भी संभव हैं। जैसे- जी मिचलाना, उल्टी आना, व्यग्रता, डिप्रेशन, दिल का तेजी से धड़कना और ब्लड प्रेशर हाई होना। यदि इस ड्रग को ज्यादा दिन लिया जाए, तो दिमाग के सेल खराब हो सकते हैं। महिलाओं में इसके दुष्परिणाम जल्द आते हैं।

 केटामाइन : इस ड्रग को या तो सूंघा जाता है, या स्मोक किया जाता है। इससे दिमाग काम करना बंद कर देता है। इस क्लब ड्रग से व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है।

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