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EXCLUSIVE: कुछ इस अंदाज में नामी एयरलाइंस ने किया फौजी के माता-पिता का सम्मान

शहीद कैप्टन विजयंत थापर की मां ने बताया कि एयरलाइंस के अधिकारी पास आए और देश के लिए विजयंत के त्याग को नमन किया।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 08:18 AM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 08:24 AM (IST)
EXCLUSIVE: कुछ इस अंदाज में नामी एयरलाइंस ने किया फौजी के माता-पिता का सम्मान
EXCLUSIVE: कुछ इस अंदाज में नामी एयरलाइंस ने किया फौजी के माता-पिता का सम्मान

नई दिल्ली [सुधीर कुमार पांडेय]। एक फौजी, जो वीर था, योद्धा भी। उसके दिल में देश के लिए असीम प्यार था। कारगिल युद्ध में इस वीर ने दुश्मनों को धूल चटाई और देश का मस्तक गर्व से ऊंचा कर दिया। मातृभूमि के लिए अपनी जान न्योछावर कर देने वाले इस कैप्टन विजयंत थापर पर उनके माता-पिता ही नहीं पूरे देश को गर्व है। पूरा देश उनके साथ खड़ा है। इसका अहसास पिता कर्नल (सेवानिवृत्त) वीएन थापर और मां तृप्ता को एक बार फिर उस समय हुआ जब वे आइजीआइ एयरपोर्ट से इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट से बडोदरा जा रहे थे। वे जब फ्लाइट में गए तो पता चला कि एयरलाइंस ने उनकी सीट स्पेशल क्लास में कर दी है।

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तृप्ता थापर ने बताया कि एयरलाइंस के अधिकारी उनके पास आए और देश के लिए विजयंत के त्याग को नमन किया। इतना ही नहीं, फ्लाइट में बैठे प्रत्येक व्यक्ति ने उनका हालचाल लिया और अच्छे स्वास्थ्य की मंगलकामना की। यह प्रेम देखकर वे भावविभोर हो गए। उनकी आंखें भर आईं।

बचपन से था मदद का भाव

विजयंत के पिता कर्नल (रिटायर्ड) वीएन थापर कहते हैं कि रॉबिन (विजयंत) के मन में मदद करने का भाव बचपन से ही था। मैं दोनों भाइयों को सप्ताह में जेब खर्च के लिए पचास रुपये देता था। एक दिन देखा कि विजयंत ने एक गरीब आदमी को अपने जेब खर्च के पूरे रुपये दे दिए। नोएडा के सेक्टर-29 में रह रहे वीएन थापर गर्व से बताते हैं कि रुखसाना कंप्यूटर चलाना सीख गई है। स्मार्ट फोन की उसकी ख्वाहिश भी पूरी हो गई है। वह बारहवीं में है। कुछ देर शांत रहने के बाद वह फिर कहते हैं, अच्छा अफसर वही होता है, जिसके मन में सहानुभूति हो, प्यार हो। दूसरों का सम्मान करे। ये गुण मेरे बेटे में थे।

नौवीं क्लास तक सारे हथियार चला चुके थे

विजयंत को बॉडी बिल्डिंग का शौक था। पलटन में पहलवानों के संग भी रहते थे। नौवीं क्लास में सारे हथियार चला चुके थे। उनका एयरफोर्स की तरफ रुझान था। फाइटर पायलट बनना चाहते थे। वह मां तृप्ता के ज्यादा करीब थे और दिल की बात मां से ही साझा करते थे। उन्हें मोगली सीरियल में शेरखान अच्छा लगता था। इस वजह से अपने को भी शेरखान कहते थे।

शाकाहारी भोजन पर देते थे जोर

वीएन थापर बताते हैं कि विजयंत शाकाहारी भोजन पर जोर देते थे। मैंने जब उनसे कहा कि फौज में हो, बिना नॉनवेज भोजन के ताकत कैसे आएगी तो उन्होंने कहा कि हमारी पलटन (राजपूताना राइफल्स) में आकर देखिए। लंबे चौड़े जवान शाकाहारी हैं, वे अगर किसी का गला पकड़ लें तो छुड़ाना मुश्किल हो जाएगा।

13 जून को तोलोलिंग फतह कर कारगिल युद्ध में पहली विजय दिलाई थी

विजयंत थापर और उनकी बटालियन ने 13 जून को तोलोलिंग रेंज से दुश्मनों को खदेड़ कर युद्ध का रुख अपनी ओर मोड़ लिया था। यह विजय सेना के लिए अहम थी। इस पहाड़ी में छिपकर दुश्मन सीधे सेना और उसे सप्लाई होने वाली रसद को निशाना बना रहा था। कारगिल विजय में यह लड़ाई निर्णायक थी। 28-29जून 1999 की रात 22 साल की उम्र में विजयंत नॉल पहाड़ी पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए।

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