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200 साल तक सही सलामत रहेगी जेएनयू में लगी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा

बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिए अनावरण करेंगे। फाइबर और कांसे के सांचे में ढली विवेकानंद की प्रतिमा के पीछे पूर्व छात्रों का लंबा संघर्ष है। प्रतिमा स्थापित करने में 1-2 नहीं बल्कि पूरे 15 साल लग गए।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 08:06 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 08:06 AM (IST)
200 साल तक सही सलामत रहेगी जेएनयू में लगी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा
जेएनयू में लगी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा।

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के एक छोर पर प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा लगी है और करीब तीन सौ मीटर दूर स्थापित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा भी हो गई है। इसका बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिए अनावरण करेंगे। फाइबर और कांसे के सांचे में ढली विवेकानंद की प्रतिमा के पीछे पूर्व छात्रों का लंबा संघर्ष है। प्रतिमा स्थापित करने में 1-2 नहीं, बल्कि  पूरे 15 साल लग गए।

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2005 में पहली बार प्रयास

स्वामी विवेकानंद की यह प्रतिमा लगवाने का श्रेय पूर्व छात्र मनोज कुमार को जाता है। मनोज कुमार कहते हैं कि उनका दाखिला सन 2001 में जेएनयू में हुआ। एमफिल, पीएचडी भी जेएनयू से ही किए। बकौल मनोज अक्सर हम लोग छात्रावास में स्वामी विवेकानंद जी के विचारों को पढ़ते एवं आपस में चर्चा करते थे। सभी सहपाठियों की राय थी कि एक प्रतिमा परिसर में लगाई जाए। 2005 में जब परिसर में जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा लगी तो हम कुलपति से मिले। उनसे स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा लगवाने की गुजारिश की, लेकिन बात बन नहीं पायी। इस बीच 2010 में मनोज कुमार की पढ़ाई पूरी हो गई, लेकिन प्रतिमा स्थापित करने की ख्वाहिश बलवती थी। 2014 में वर्तमान कुलपति प्रो एम. जगदीश कुमार की नियुक्ति हुई। 2015 में मनोज कुमार ने कुलपति से मुलाकात कर पूर्व छात्रों की मदद से स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित करने की गुजारिश की। 2017 में कार्यकारी परिषद में प्रस्ताव रखा गया, जिसे मान लिया गया। बकौल मनोज कुमार 2017 में प्रतिमा बनाने का काम शुरू हुआ। 2019 में प्रतिमा बनकर तैयार हुई।

11.5 फीट ऊंची प्रतिमा

स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा कैसे होगी? यह तय कर पाना काफी मुश्किल था। प्रतिमा उदयपुर में विश्व में सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार नरेश कुमार ने बनाई है। नरेश कुमार की मानें तो सैकड़ों स्केच बनाने के बाद अंतिम रुप दिया जा सका। विवेकानंद की मूर्ति आमतौर पर आदमकद होती है। जिसमें वह हाथ बांधे दिखते हैं। लेकिन जेएनयू में स्थापित प्रतिमा छात्रों को आगे बढ़ने का संदेश देगी। प्रतिमा में विवेकानंद का दाहिना पैर और हाथ आगे बढ़ने की मुद्रा में दिखेंगे। जैसे वह लगातार चलने के लिये कह रहे हों। इस मूर्ति की लंबाई 11.5 फीट है जबकि इसका चबूतरा 3 फीट ऊंचा है। यह मूर्ति पंडित नेहरू की मूर्ति से लगभग तीन फुट ऊंची है।

मालिनी अवस्थी की प्रस्तुति

प्रधानमंत्री द्वारा प्रतिमा के अनावरण से पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाएंगे। लोक गायिका मालिनी अवस्थी लोकगीतों से शाम सुरमयी करेंगी। साथ ही विवेकानंद मेमोरियल की वाइस प्रेसिडेंट कुमारी निवेदिता भी छात्रों को संबोधित करेंगी। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहेंगे।

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