Delhi Power Crisis: पढ़िये- बिना कटौती के दिल्ली में यह कैसा बिजली संकट है
Delhi Power Crisis जहां तहां लोग चर्चा कर रहे हैं कि न देश की राजधानी दिल्ली में बिजली संकट है और न ही किसी कटौती के आसार हैं। तब फिर नेता यह हाय तौबा क्यों मचा रहे हैं?
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति वाली दिलली में एकाएक बिजली संकट की चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल, कोयला संकट के मद्देनजर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ही नहीं, भाजपा और कांग्रेस भी एक दूसरे पर हमलावर हो गई हैं। विडंबना यह कि दिल्ली में कोई थर्मल प्लांट है ही नहीं। जो प्लांट एनसीआर में हैं, प्रदूषण की समस्या के चलते उन्हें भी बंद कराने की मांग कई साल से उठ रही है। बावजूद इसके पिछले कई दिनो से नेता आरोप प्रत्यारोप में उलझे हैं। हैरत की बात यह कि नेताओं का यह मुद्दा जनता के भी गले नहीं उतर रहा। जहां तहां लोग चर्चा कर रहे हैं कि न दिल्ली में बिजली संकट है और न ही किसी कटौती के आसार हैं। तब फिर नेता यह हाय तौबा क्यों मचा रहे हैं? बहुत से लोग तो चुटकी लेने में भी पीछे नहीं हैं कि इसे ही राजनीतिक रोटियां सेंकना कहते हैं जनाब।
जब करीब आए नेताजी
यूं भले ही विभिन्न दलों के नेता आपस में लड़ते झगड़ते रहें, लेकिन मौका मिलने पर इन्हें एक होते भी देर नहीं लगती। राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन ने होटल हयात रिजेंसी में व्यापारी सम्मेलन का आयोजन किया तो कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी.. तीनो के ही नेताओं को अतिथि बनाया। कांग्रेस से पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल और भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता व बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने शिरकत की। आम आदमी पार्टी से दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को भी बुलाया गया था, लेकिन किन्हीं कारणों से वह पहुंच नहीं पाए। अलबत्ता, जो भी नेता आए, सभी ने न केवल मंच साझा किया बल्कि आपस में भी बहुत ही गर्मजोशी और शिष्टाचार से मिले। अब इसे व्यापारियों की मुद्दों के प्रति गंभीरता कहें या वोट बैंक की चिंता.. लेकिन आश्चर्यमिश्रित रूप से इस दौरान सभी का व्यवहार भी आत्मीय रहा।
एक बार फिर जोड़ने का जरिया बनी 'बाबर आंटी'
स्व. ताजदार बाबर ने दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष रहते हुए तो कांग्रेसियों को जोड़कर रखा ही, निधन के बाद भी वे छोटे-बड़े सभी नेताओं को एकजुट करने का माध्यम बनीं। उनकी स्मृति में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ तो वहां काफी नेता उन्हें अपनी पुष्पांजलि अर्पित करने पहुंचे। प्रदेश प्रभारी एवं सांसद शक्ति ¨सह गोहिल, प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री जगदीश टाइटलर, पूर्व सांसद जेपी अग्रवाल, रमेश कुमार, एआइसीसी सचिव सीपी मित्तल, पूर्व मंत्री हारून युसुफ, पूर्व महापौर फरहाद सूरी एवं प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष अमृता धवन सहित अनेक नेता मौजूद रहे। सुभाष चोपड़ा ने तो उन्हें अपने परिवार का सदस्य बताया। ज्यादातर कांग्रेसी उन्हें बाबर आंटी कहकर बुलाते थे। अनिल चौधरी ने तो सभा में आए कांग्रेसियों से भी यही उम्मीद जताई कि स्व. बाबर की शिक्षाओं और आदर्शों को मानते हुए उनके बताए रास्ते पर चलें और पार्टी को मजबूत बनाएं।
मौन व्रत में भी नहीं घटी डीडीयू मार्ग व रायसीना रोड की दूरी
लखीमपुर खीरी हिंसा के विरोध में एआइसीसी के आह्वान पर दिल्ली में भी कांग्रेसियों ने मौन व्रत रखा, लेकिन एक नहीं बल्कि दो दो जगह। प्रदेश कांग्रेस के नेता इसके लिए उपराज्यपाल निवास पहुंचे, जबकि भारतीय युवा कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने जंतर मंतर का रुख किया। एजेंडा एक था, पार्टी एक थी लेकिन शायद या तो विचारों में भिन्नता थी या फिर अहम का टकराव। दशकों से एक कहावत प्रचलित है कि एकता में ही शक्ति है। अलग-अलग रहेंगे तो तोड़ दिए जाएंगे, साथ रहेंगे तो सभी पर भारी पड़ेंगे। लेकिन कांग्रेस इस कहावत से इतर चलने में विश्चास रखती है। इसीलिए कम से कम दिल्ली में कोई भी आयोजन दोनों का साझा नहीं होता। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मौजूदा हालात में कांग्रेस के लिए यही श्रेयस्कर होगा कि उसके नेता आपसी अहम छोड़ मिलकर चलें। उनकी यह कोशिश पार्टी के लिए संजीवनी हो सकती है।