Boycott Of Chinese Goods: पढ़िये- कैसे चीन के खिलौना बाजार को लगा जोरदार झटका
Boycott Of Chinese Goods कुछ साल पहले तक खिलौना बाजार काफी हद तक चीन पर निर्भर था लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। अब 50 फीसद से भी अधिक मौजूदगी के साथ स्वदेशी खिलौने चीनी खिलौनों को तगड़ी चुनौती दे रहे हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कुछ साल पहले तक खिलौना बाजार काफी हद तक चीन पर निर्भर था, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। अब 50 फीसद से भी अधिक मौजूदगी के साथ स्वदेशी खिलौने चीनी खिलौनों को तगड़ी चुनौती दे रहे हैं। अच्छी बात यह कि ये सुंदर, टिकाऊ और अत्याधुनिक होने के साथ ही सस्ते भी हैं। मतलब, हर मोर्चे पर चीनी खिलौनों को टक्कर देते हुए उसके पसीने छुड़ा रहे हैं। दिल्ली में सबसे बड़ा खिलौना बाजार झंडेवालान में है। यहां बच्चों और बड़ों की साइकिलें भी मिलती हैं। कुल 150 से अधिक दुकानें हैं। यहां की दुकानों पर स्वदेशी खिलौनों की उपलब्धता और बिक्री 50 फीसद से भी अधिक हो गई है। यहां के दुकानदार इसके पीछे नरेन्द्र मोदी सरकार को स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने की नीति के साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ और ‘लोकल फार वोकल’ जैसी मुहिम का असर बताते हैं। दुकानदारों ने कहा कि जब से स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने की नीति अपनाई गई है तब से इस ओर कई सारे नए उद्यमी जुड़े हैं और नई तकनीकी और डिजाइन के साथ खिलौने बना रहे हैं।
खिलौना एसोसिएशन आफ इंडिया के कोषाध्यक्ष आकाश छाबड़ा ने बताया कि पहले चीन का ही सामान बिकता था। हमारे यहां का कारोबार न के बराबर था, लेकिन जब से सरकार का साथ मिल रहा है तब से खिलौने के कारोबार में बड़ा बदलाव आ गया है। इससे कारोबार को आगे बढ़ाने में हिम्मत मिल रही है। बाजारों में 50 फीसद से अधिक देश में बने खिलौने उपलब्ध हो गए हैं। उन्होंने कहा कि कच्चा माल इस वक्त थोड़ा महंगा मिल रहा है। उसको कम करने से बाजार में और असर देखने को मिलेगा।
दुकानदार पंकज वर्मानी ने बताया कि चीन से खिलौने का आयात बहुत सीमित हो गया है। इससे देशी खिलौनों की मांग बढ़ गई है। अब चीनी उत्पादों से बेहतर गुणवत्ता वाले खिलौने बाजारों में उपलब्ध हैं। खिलौना बच्चों का मानसिक व शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। लोग ज्यादातर बेबी राइड, व्हील खिलौना, छोटी गाड़ियां, झूले और अन्य खिलौने खरीद रहे हैं। इससे यह व्यापार बढ़ता ही जा रहा है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बाजार में और तेजी आएगी।
दुकानदार नरेश ने बताया कि एक साल के हिसाब से बहुत अच्छा कारोबार है। कोरोना काल में बच्चे घरों में थे, जिससे घरेलू खिलौनों की मांग अधिक बढ़ गई है। लोग बाजारों के साथ आनलाइन खिलौनों की खरीदारी कर रहे हैं। पहले यह बाजार पूरी तरह से चीनी उत्पादों पर निर्भर था, लेकिन जब से लोगों में स्वदेशी उत्पादों के प्रति जागरूकता बढ़ी है तो देशी खिलौनों का बाजार भी चमक रहा है।