दिल्ली कांग्रेस चीफ बोले- मैं कोई ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं, जो पार्टी का ही नुकसान करूं
दिल्ली कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष अनिल चौधरी से जागरण संवाददाता ने कई मुद्दे पर बातचीत की।
नई दिल्ली। दिल्ली कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष उम्र में भले छोटे हों, लेकिन उनके पास अनुभव बड़ा है। करीब ढाई दशक से पहले पार्टी की विचारधारा से जुड़ने वाले अनिल चौधरी एनएसयूआइ, युवा कांग्रेस और एआइसीसी में भी कई जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। छात्र राजनीति से दिल्ली की राजनीति का हिस्सा बने अनिल दो बार निगम पार्षद और एक बार विधायक भी रह चुके हैं। ऐसे में आलाकमान ने जहां उन्हें बड़ा दायित्व देते हुए उनसे अपेक्षा भी बड़ी जताई है। वहीं, उनके सामने पार्टी को दोबारा खड़ा करने की चुनौती भी छोटी नहीं है। ऐसे में क्या है उनका विजन, क्या रहेंगी प्राथमिकताएं और किस तरह वह तय करेंगे सत्ता वापसी का सफर.. ऐसे ही विभिन्न सवालों को लेकर संजीव गुप्ता ने उनसे लंबी बातचीत की है। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के मुख्य अंश :
दिल्ली में कांग्रेस इस समय अपने पतन की ओर है। ऐसे में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनकर कैसा महसूस कर रहे हैं?
मैं इससे कतई सहमत नहीं हूं कि दिल्ली में कांग्रेस पतन की ओर है। चुनाव में हार स्वीकार है, लेकिन इससे अधिक कुछ नहीं। जनता जनार्दन है, कभी किसी पार्टी को जनादेश दे देती है और कभी किसी को। पार्टी ने इस बार भी मजबूती से चुनाव लड़ा और दिल्ली के मुददे उठाए। भविष्य में भी पार्टी जनहित के मुद्दे उठाती रहेगी। इतना जरूर है कि पार्टी को उसकी खोई स्थिति पुन: वापस दिलाना एक चुनौती है, लेकिन मैं सौभाग्यशाली हूं जो पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी ने इस चुनौती के लिए मुझको चुना।
नगर निगम चुनाव तो खैर अभी दूर हैं, फिर भी आपकी प्राथमिकताएं क्या रहेंगी?
मेरी पहली प्राथमिकता तो दिल्ली में संगठन की कार्यकारिणी गठित करना है। सेक्यूलर सोच और काम करने वाले पार्टी नेताओं को कार्यकारिणी का हिस्सा बनाया जाएगा। जल्द ही मैं हर विधानसभा का दौरा शुरू करूंगा, पार्टी कार्यकर्ताओं से भी स्वयं मिलने जाऊंगा। दो से तीन माह में इस कार्य को पूरा कर जनहित के विभिन्न मुद्दों को लेकर पार्टी एक बार फिर दिल्ली की सड़कों पर होगी।
अध्यक्ष पद पर आपकी नियुक्ति को लेकर पार्टी में खासी नाराजगी देखने को मिली। क्यों?
मुझे तो ऐसा कुछ नहीं लगा। न ही किसी ने मुझे फोन पर या मिलकर ऐसा जाहिर किया। मैं प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं से मिलने गया, सभी ने आशीर्वाद दिया। रोजाना ही पार्टी नेता और कार्यकर्ता मुझसे मिलने भी आ रहे हैं।
आप पर आरोप लगाया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में आपने भाजपा के लिए काम किया और अपनों को हराया?
यह आरोप बिल्कुल निराधार है। मैं ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं हूं जो अपने हित पूरे न होने पर पार्टी का ही नुकसान करने लगूं। मैंने 24 साल के राजनीतिक करियर में हमेशा कांग्रेस को मजबूत करने का काम किया है। इसीलिए पार्टी मुङो एक के बाद एक जिम्मेदारी भी देती रही है। यह सही है कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता था और टिकट भी मांग रहा था, लेकिन मेरी टिकट काट दी गई। बावजूद इसके मैं पार्टी के खिलाफ नहीं गया।
आपने कहा कि आप अपनी कार्यकारिणी में काम करने वालों को जगह देंगे। लेकिन पांच उपाध्यक्ष जो आपको एआइसीसी ने ही दे दिए हैं, उनमें से कई इस कसौटी पर खरा नहीं उतरते? उनकी नियुक्ति पर सवाल भी उठ रहे हैं?
ऐसा नहीं है। पांच उपाध्यक्षों में अनुभव और युवा जोश दोनों का मिश्रण है। समाज के कई वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। बाकी सभी का चयन पार्टी आलाकमान ने किया है तो इस पर अब मैं और कह भी क्या सकता हूं।
गुटबाजी कांग्रेस का पर्याय बन गई है और खत्म होने में नहीं आ रही। आप इस समस्या से कैसे निपटेंगे?
पहले का तो पता नहीं, लेकिन आज दिल्ली कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है। मेरी कोशिश सभी को साथ लेकर चलने की रहेगी। जो वरिष्ठ हैं, उनका मार्गदर्शन लेकर। जो हमउम्र हैं उन्हें साथ लेकर और जो नए हैं, उन्हें टीम का हिस्सा बनाकर पार्टी को मजबूत बनाया जाएगा।
दिल्ली में आप अपना प्रतिद्वंद्वी किसे मानते हैं? भाजपा को या आम आदमी पार्टी को?
दोनों ही प्रतिद्वंद्वी हैं और दोनों से ही सियासी मुकाबला है। बाकी कांग्रेस की अपनी एक अलग पहचान है, जनता को भी इस पर भरोसा है, इसीलिए लगातार तीन बार दिल्ली में सरकार बनाने का मौका दिया।
अपना वोट बैंक कैसे वापस लाएंगे? कब तक पार्टी वापस मजबूत हो पाएगी?
वोट बैंक किसी का नहीं होता। दिल्ली में मल्टीकल्चर लोग हैं। वह जिस पर भरोसा करते हैं, उसी को वोट देते हैं। हर बार दिल्ली की जनता कुछ अलग ही करती है। पहले लगातार तीन बार कांग्रेस पर भरोसा जताया और अब आम आदमी पार्टी पर जताया है। लेकिन भविष्य में सियासी हालात फिर बदलेंगे। दिल्ली का जो विकास कांग्रेस ने किया है, वह कोई नहीं भुला सकता।
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