Corona Fighter: महज 14 दिन में युवती ने दी COVID-19 को मात, पढ़ें- कोरोना के योद्धा की जुबानी
14 दिन के बाद महिला की बेटी श्वेता ने कोरोना को मात दी और अस्पताल से ठीक होकर अपने घर आ गईं। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं।
नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। कोरोना वायरस किसको कब चपेट में ले ले यह कोई नहीं जानता । खिचड़ीपुर में रहने वाली एक महिला को अस्पताल में किडनी के इलाज के दौरान कोरोना हो गया। उनके संपर्क में आने से उनकी बेटी को और पति को भी कोरोना हो गया। एक ही परिवार के तीन लोगों को कोरोना होने की वजह से जिला प्रशासन ने खिचड़ीपुर की एक गली को सील कर दिया, परिवार और गली में रहने वाले सभी अपने घरों में क्वारंटाइन हैं।
14 दिन के बाद महिला की बेटी श्वेता ने कोरोना को मात दी और अस्पताल से ठीक होकर अपने घर आ गईं। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। श्वेता की उम्र 25 वर्ष है। श्वेता ने बताया कि उनकी मां किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं। उनका इलाज पटपड़गंज मैक्स अस्पताल में चल रहा था। होली वाले दिन वह अस्पताल जा रही थीं। अचानक रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया। मैक्स वालों ने उन्हें आरएमएल अस्पताल के ट्रामा सेंटर में भेज दिया। होली वाले दिन से ही उनकी मां इलाज ट्रांमा सेंटर में चल रहा है। वह अस्पताल में रहकर मां की देखरेख कर रही थीं। मां को बुखार और जुकाम था। डॉक्टरों ने 26 को उनका कोरोना का टेस्ट किया तो वह नेगेटिव आया।
27 को दोबारा से मां का टेस्ट हुआ उसमें वह कोरोना पॉजिटिव आईं। अस्पताल वालों ने 29 को महिला की बेटी श्वेता, पति व बेट का टेस्ट किया। इसमें बेटी और पति की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। बेटी श्वेता को हरियाणा के झज्जर एम्स में भर्ती करवाया। श्वेता ने बताया कि उन्हें खांसी और जुखाम था, उन्होंने डॉक्टरों के दिशा निर्देशों का पालन किया। जिसके नजीता यह हुआ है कि वह ठीक हो गईं।
अस्पताल में किडनी के इलाज के दौरान कोरोना के चपेट में आ गईं थीं खिचड़ीपुर निवासी श्वेता
श्वेता को 11 अप्रैल को एम्स से छुट्टी मिल गई। अस्पताल से एक एंबुलेंस मिली, जिसने श्वेता को आरएमएल अस्पताल में छोड़ दिया। अब ऐसे में श्वेता के सामने चुनौती थी कि वह अपने घर कैसे जाएं। स्वास्थ्य विभाग ने उसके भाई राहुल को घर में क्वारंटाइन किया हुआ है। ऐसा कोई रिश्तेदार नहीं था जो उसे अस्पताल से घर ले आता। ऐसे में राहुल ने कल्याणपुरी में तैनात कांस्टेबल सुभाष से अपनी बहन को घर छोड़ने के लिए मदद मांगी। सुभाष ने फर्ज निभाते हुए निजी एंबुलेंस की व्यवस्था की और श्वेता को घर छोड़ा। इसमें उनका साथ उनके साथी कांस्टेबल सचिन ने दिया। परिवार ने दोनों पुलिसकर्मियों का आभार व्यक्त किया है।