पढ़िए- देश की सबसे चौंकाने वाली फांसी, फंदे पर लटकने के 2 घंटे बाद भी जिंदा था दोषी
चिकित्सक ने बिल्ला की नाड़ी जांची तो वह मर चुका था लेकिन जब रंगा की नाड़ी देखी तो वह चल रही थी। इसके बाद सर्वाधिक चर्चा में रही निर्भया कांड के चारों दोषियों मुकेश अक्षय विनय और पवन को 20 मार्च 2020 को फांसी दी गई थी।
नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्र]। फांसी के फंदे पर लटकने के चंद सेकेंड में किसी भी कैदी की जीवन लीला समाप्त हो जाती है, लेकिन 1982 में तिहाड़ जेल में फांसी दिए जाने के बाद भी एक शख्स 2 घंटे तक जिंदा रहा था। पढ़िए- इस चौंकाने वाली फांसी के बारे में, जिसके बाद फांसी से पहले कई बार ट्रायल किया जाने लगा है, ताकि इस तरह की चूक भविष्य में नहीं हो। 31 जनवरी 1982 को जब तिहाड़ जेल में जब रंगा यानी कुलजीत सिंह और बिल्ला यानी जसबीर सिंह को फांसी दी जा रही थी। इस दौरान अजब घटना हुआ। फांसी की प्रक्रिया के दौरान अपराधी रंगा तो फांसी वाले दिन नहाया था, लेकिन बिल्ला नहीं।
नियमानुसार किसी को नहाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। 31 जनवरी की सुबह तत्कालीन तिहाड़ जेल सुप्रीटेंडेंट आर्यभूषण शुक्ल ने रुमाल गिराकर फांसी के लीवर को खींचने का इशारा किया, इसके बाद जल्लाद ने ऐसा ही किया। फिर 2 घंटे बाद नियम के मुताबिक, डाक्टरों ने जांच की तो पता चला कि बिल्ला तो मर गया है, लेकिन रंगा की नाड़ी चल रही है। इसके बाद जेल के डाक्टरों ने जब रंगा की नाड़ी चलती देखी तो फिर जेल प्रशासन के किसी को फांसी के तख्ते के नीचे भेजकर रंगा के पैरों को दोबारा खींचने का आदेश दिया रंगा के पैरों को खींचा गया, तब जाकर उसकी मौत हुई।
यह भी जानकारी मिली है कि फांसी दिए जाने से पहले रंगा बिल्ला को चाय दी गई थी और उनसे पूछा गया था कि क्या वे अपनी कोई वसीयत छोड़ना चाहते हैं लेकिन दोनों ने इससे मना कर दिया था। 31 जनवरी 1982 को फांसी के दिन उनके चेहरों को ढक दिया गया और उनके गलों में फंदा डाल दिया गया।
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