बच्चों से नारे लगवाने के बाद वायरल किए जा रहे हैं वीडियो, शाहीन बाग में धरने को लेकर खुलासा
शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध के बहाने छोटे-छोटे बच्चों में हिंसा का जहर घोला जा रहा है।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) व राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (National Register of Citizens ) के विरोध के बहाने छोटे-छोटे बच्चों में हिंसा का जहर घोला जा रहा है। जिस उम्र में बच्चों को स्कूल जाना चाहिए, पढ़ाई करना चाहिए, उस उम्र के मासूमों को आजादी, हिटलरशाही, खून, गोली चलाने, लाठी चलाने, बदला लेने, मौत और ‘आजादी’ का पाठ पढ़ाया जा रहा है।
बच्चों के मन में घोला जा रहा जहर
जानकारी मिली है कि मासूमों से ‘जो हिटलर की चाल चलेगा, वो हिटलर की मौत मरेगा, जामिया तेरे खून से इंकलाब आएगा, जेएनयू तेरे खून से इंकलाब आएगा..हम लड़कर लेंगे आजादी,’ जैसे नारे लगवाए जा रहे हैं। दो-तीन साल के बच्चों के सामने भी हिंसक बातें की जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बच्चों के मन में भी हिंसा घर कर रही है।
रोज बैठ रहीं महिलाएं धरने पर
दरअसल, सीएए व एनआरसी के विरोध में शाहीन बाग में एक माह से भी अधिक समय से धरना-प्रदर्शन चल रहा है। सैकड़ों महिलाएं अपने बच्चों के साथ यहां धरने पर बैठी हैं। बहुत से अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय यहां लेकर आ रहे हैं और बच्चों से ऐसे नारे लगवा रहे हैं। मासूम बच्चे दिनभर जो देखते हैं वही दोहराते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे बच्चों की दर्जनों वीडियो वायरल हो रही हैं जिनमें वे सीएए व एनआरसी के विरोध में नारे लगाते नजर आ रहे हैं।
दरअसल, धरने में आए बच्चों को बताया जा रहा है कि धर्म विशेष के लोगों को देश से बाहर करने के लिए सीएए व एनआरसी लाया गया है। उन्हें देश में रहने नहीं दिया जाएगा। बच्चों को बताया जा रहा है कि उन्हें व उनके अपनों को कैद कर लिया जाएगा। ऐसे में बच्चों में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है।
वहीं, इस बारे में मनोविज्ञानियों का कहना है कि बालमन बहुत कोमल होता है। उन्हें ऐसी हिंसक बातों से दूर रखना चाहिए। बच्चों को शुरू से जैसी बातें सिखाई जाएंगी उनके मन में वैसे ही विचार विकसित होंगे।