Delhi MCD Politics: चुनाव से पहले जमीन तलाश रहे पार्षद, खून के छींटों वाली ये कैसी राजनीति है?
भाजपा ने वर्ष 2017 में हुए निगम चुनाव में अपने ज्यादातर पार्षद प्रत्याशियों को बदल दिया था। भाजपा के विरोधी उनके इसी दांव का फायदा उठाते दिखाई दे रहे हैं। यह बात तेजी से दौड़ रही है कि भाजपा एक बार फिर अपने पार्षद प्रत्याशियों को बदल सकती है।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। इंटरनेट मीडिया पर इन दिनों कांग्रेस नेता अलका लांबा की एक फोटो खूब वायरल हो रही है। इसमें उनका हाथ खून से रंगा हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल, शुक्रवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ किसानों के पक्ष में प्रदर्शन के दौरान उनके दाहिने हाथ की अंगुली में चोट लग गई थी। अंगुली से खून निकलने पर उन्होंने हाथ को इस कदर झटका कि खून के छींटे न सिर्फ कार्यकर्ताओं, बल्कि पुलिस और मीडियाकर्मियों के ऊपर पर भी गिर गए। इसके बाद विपक्षी दलों ने उनके इस तरह के व्यवहार को सियासत से जोड़ दिया है और आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया है, ताकि जनता की सहानुभूति मिल सके।
बहरहाल जो भी हो, लेकिन उनके इस व्यवहार से पुलिसकर्मी भी खफा दिखे उनका कहना था कि अलका ने जो किया ठीक नहीं किया। आखिर खून के छींटों से भरी ये कौन सी राजनीति कांग्रेस नेता करना चाहती हैं।
जमीन तलाश रहे पार्षद
राजनीति में कब कौन सा दांव उल्टा पड़ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है। ऐसा ही नगर निगम चुनाव की आहट के साथ भारतीय जनता पार्टी के साथ होता दिखाई दे रहा है। दरअसल, भाजपा ने वर्ष 2017 में हुए निगम चुनाव में अपने ज्यादातर पार्षद प्रत्याशियों को बदल दिया था। ऐसे में अब भाजपा के विरोधी उनके इसी दांव का फायदा उठाते दिखाई दे रहे हैं और राजधानी की सियासत में यह बात तेजी से दौड़ रही है कि भाजपा एक बार फिर अपने पार्षद प्रत्याशियों को बदल सकती है।
ऐसे में जिन पार्षदों को लग रहा है कि उनका पत्ता निगम चुनाव में साफ हो सकता है, वे अपनी जमीन तलाशने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में निगम पार्षद आरती यादव ने हाल ही में आप में ठिकाना तलाश लिया है। यह तो शुरुआत है, अभी तो कई और पार्षद दूसरे दलों के संपर्क में हैं।
सीएम साहब की दरियादिली
राजनीति में विरोध और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता ही रहता है, लेकिन जहां जनहित की बात आती है। वहां मुख्यमंत्री हर बात को दरकिनार कर सिर्फ जनता के हित की बात करते हैं। कोरोना वैक्सीन को मुफ्त लगवाने का फैसला करके केजरीवाल ने एक बार फिर ये बात साबित कर दी है। यही नहीं मुख्यमंत्री के इस निर्णय का इंटरनेट मीडिया पर वह लोग भी खुले दिल से स्वागत कर रहे हैं, जो अक्सर आम आदमी पार्टी के विरोध में झंडा उठाए देखे गए हैं।
दरअसल, दिल्ली की जनता में यह संशय था कि वैक्सीन मुफ्त में मिलेगी या इसके लिए उन्हें भुगतान अपनी जेब से करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री स्वयं इसके लिए केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि आम जनता को मुफ्त में वैक्सीन दी जाए। इसके बाद बुधवार को उन्होंने यह साफ कर दिया कि केंद्र सरकार यदि मुफ्त में वैक्सीन नहीं देगी तो दिल्ली सरकार देगी।
अभियान चलाकर कुरेद रहे लोगों के घाव
नगर निगम चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ने भाजपा को घेरने के लिए नए तरह का अभियान चलाया हुआ है। आप कार्यकर्ता गली-गली जाकर लोगों से पूछ रहे हैं कि नगर निगम उत्तरी के 25 करोड़ कहां और किसकी जेब में गए हैं? मोहल्ला सभा के नाम से हर निगम वार्ड में होने वाले कार्यक्रम में भी यह मुद्दा ही प्रमुखता से उठाया जा रहा है। इन कार्यक्रमों में जनता से भी निगमों को लेकर उनका अनुभव मांगा जा रहा है।
इसमें लोग तरह-तरह के अनुभव लेकर सामने आ रहे हैं। कोई बताता है कि उनके मकान का छज्जा गिर गया था। उसे ठीक ही कर रहे थे कि निगम का बेलदार आया और पांच हजार ले गया। इसी तरह किसी की शिकायत है कि दादी का निधन हो जाने पर नगर निगम में मृत्यु प्रमाण पत्र लेने गए थे तो उन्हें एक हजार रुपये की रिश्वत देनी पड़ी।
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