Delhi Congress: अपना सामान बिका नहीं, दूसरों की लगा रहे बोली; आम लोग भी ले रहे चुटकी
देश का सबसे पुराना राजनीतिक दल होने के बावजूद कांग्रेस की दिल्ली इकाई के नेता इन दिनों उन पिटे मोहरों की तरह हैं जिन पर जनता भी दांव नहीं लगाना चाहती। हास्यास्पद यह कि हकीकत स्वीकार करने के बजाय ये ‘मोहर’ दूसरों को दांव लगाना सिखा रहे हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। कोरोना काल में देशभर में चारों तरफ फैली नकारात्मकता के बीच प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हाल ही लंबे समय बाद एक उत्साहजनक और सकारात्मक माहौल देखने को मिला। असल में मौका था फेस्टिव सीजन की शुरुआत के दौरान महिला कांग्रेस की तरफ से आयोजित परस्पर मेल-मिलाप कार्यक्रम। गुलाबी रंग में सजावट के बीच अतिथियों का स्वागत भी गुलाबी पटका पहनाकर किया गया। चटपटे व्यंजनों का लुत्फ लेने के साथ ही कार्यकर्ताओं और महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष अमृता धवन ने खूब ठुमके लगाए। किसी के साथ अमृता ने किकली खेली, तो किसी के साथ भंगड़ा करते हुए दिखाई दीं।
यही नहीं उन्होंने घोड़ी नृत्य करने वाले कलाकारों का भी साथ दिया। यह सब इसलिए, क्योंकि महिला कार्यकर्ताओं, मीडिया कर्मियों के साथ मधुर संबंध बनाए जा सकें। इसमें गलत भी कुछ नहीं है। अब कांग्रेस को सत्ता जब मिलेगी तब मिलेगी, अलबत्ता इस अवसर का आनंद सभी ने अच्छे से लिया।
मिलकर लिखेंगे नई कहानी
‘छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी’ गीत यूं तो 59 साल पुराना है। 1961 में आई फिल्म ‘हम हिंदुस्तानी’ के लिए मुकेश ने गाया था। लेकिन, 2020 में भी कई जगह यह प्रासंगिक हो जाता है। हम बात कर रहे हैं दिल्ली कांग्रेस एवं प्रदेश भाजपा के अंदरूनी संबंधों की। भाजपा के कुछ पदाधिकारी इन दिनों प्रदेश कांग्रेस के नेताओं से खूब बतिया रहे हैं। हंसी -मजाक भी करते रहते हैं। यह सब इसलिए, क्योंकि भाजपा पदाधिकारी हाथ को मजबूत करने में लगे हैं। भाजपा जानती है कि नगर निगम चुनाव बहुत दूर नहीं है। ऐसे में अगर कांग्रेस इसी तरह मृतप्राय: पड़ी रही तो कहीं विधानसभा की तरह ही यहां भी आम आदमी पार्टी भाजपा से सत्ता न छीन ले। इसीलिए भाजपाई कांग्रेस में घुसकर उसे थोड़ा मजबूत करने में लगे हैं। शायद मिलकर ही कोई नई कहानी बन जाए।
अपना सामान बिका नहीं, दूसरों की लगा रहे बोली
देश का सबसे पुराना राजनीतिक दल होने के बावजूद कांग्रेस की दिल्ली इकाई के नेता इन दिनों उन पिटे मोहरों की तरह हैं, जिन पर जनता भी दांव नहीं लगाना चाहती। हास्यास्पद यह कि हकीकत स्वीकार करने के बजाय ये ‘मोहर’ दूसरों को दांव लगाना सिखा रहे हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि कभी मंत्री, कद्दावर विधायक एवं अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रहे इन राजनेताओं की हालत आज ऐसी है कि इनके कहने पर गली-मोहल्ले के लोग भी शायद कांग्रेस को वोट न दें। लेकिन, ये राजनेता मध्य प्रदेश, बिहार और ओडिशा के मतदाताओं से कांग्रेस को वोट देने की अपील जारी कर रहे हैं। उनकी यह अपील वाट्सएप ग्रुपों और फेसबुक पर उपहास का विषय बन रही है। राजनीनितिक ही नहीं, आम लोग भी चुटकी लेने से बाज नहीं आ रहे कि पहले अपना सामान तो बेच लो भइया, दूसरों के सामान की बोली बाद में लगा लेना।
भूरेलाल के हटने से 'काला' करने वाले हुए खुश
केंद्र सरकार ने दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 18 सदस्यीय एक नए आयोग के गठन की घोषणा क्या की, हवा में जहर घोलने वालों की तो जैसे बांछें खिल गई। दरअसल, उनकी खुशी की वजह पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) व इसके अध्यक्ष भूरेलाल का हटना रही। ऐसे लोगों की पर्यावरण विरोधी हर गतिविधि में ईपीसीए बाधक बन रहा था। जेनरेटर सेट को लेकर भी बड़े बड़े बिल्डर, उद्यमी, व्यवसायी के अलावा राजनेता तक भूरेलाल से खार खा रहे थे। लेकिन, अब उनके हटते ही सभी ने राहत की सांस ली है। इसके पीछे सोच यह भी है कि नया आयोग गठित होने और उसके कार्यभार संभालने में अभी थोड़ा समय लग सकता है। इसके अध्यक्ष और सदस्य कौन होंगे, यह भी अभी भविष्य के गर्भ में है। तब तक तो राहत मिल ही गई, आगे की आगे देखी जाएगी, कोई रास्ता तो निकलेगा ही।
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