राम मंदिर आंदोलन ने हिंदू समाज के लिए तीन 'मान्यताएं' बदल दी, पुस्तक विमोचन पर बोले आरएसएस नेता
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन ने हिंदू समाज के लिए तीन मान्यताएं बदल दी पहला यह कि जात-पात भाषा प्रांत अमीर-गरीब समेत अन्य विषयों को लेकर बंटा यह समाज कभी एकजुट नहीं हो सकता है।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन ने हिंदू समाज के लिए तीन "मान्यताएं' बदल दी, पहला यह कि जात-पात, भाषा, प्रांत, अमीर-गरीब समेत अन्य विषयों को लेकर बंटा यह समाज कभी एकजुट नहीं हो सकता है। दूसरा यह कि ये संघर्ष नहीं करते। ये कायर और डरपोक हैं। तीसरा- अंग्रेजी शिक्षा के प्रभाव में नई पीढ़ी में हिंदू का गौरव समाप्त हो गया। वास्तव में यह आंदोलन हिंदू समाज के लिए "आत्म साक्षात्कार' था, कि हम क्या हैं। वे कांस्टीट्यूशन क्लब में "सबके राम-निधि समर्पण अभियान' पुस्तक के विमोचन अवसर को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस आंदोलन ने मन पर जमी राख को हटाते हुए हिंदू समाज को धधकती आग की तरह प्रज्जवलित किया है। यह आंदोलन किसी प्रतिक्रिया के चलते नहीं बल्कि हिंदुओं की प्रतिबद्धता के कारण हुआ। हमारा सपना है समरस समाज। हमारी सहिष्णुता हमारी कायरता के कारण नहीं बल्कि हमारे पुरुषार्थ व वीरता के कारण है। उन्होंने अगले 25 साल के भारत का जिक्र करते हुए कहा कि यह राम मंदिर से हर जन और संस्थानों में राम की मर्यादा तक पहुंचाने का है।
विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डा. सुरेंद्र जैन ने कहा कि श्रीराम मंदिर निर्माण प्रारंभ होते ही भारत का नवोत्थान प्रारंभ हो गया। राममंदिर से रामराज्य की यात्रा प्रारंभ हो गई। मंदिर निर्माण पूरा होते ही भारत का भाग्योदय प्रारंभ होगा। भारत विश्व गुरु बनेगा। वर्तमान सहस्राब्दी राम की सहस्राब्दी बनेगी।
वर्ष 1947 में हमें राजनीतिक आजादी मिली थी। राममंदिर आंदोलन से हमें धार्मिक और सांस्कृतिक आजादी मिली। यह आजादी के बाद बड़ा आंदोलन था। इसमें 13 करोड़ रामभक्तों की सहभागिता रही। उन्होेंने कहा कि निधि समर्पण अभियान संपूर्ण भारत को जोड़ने वाला एक सेतु बन गया। इससे सिद्ध हो गया कि देश को केवल राम ही जोड़ सकते हैं। छद्म धर्मनिरपेक्ष राजनीति ने देश और समाज को तोड़ा है।
विहिप दिल्ली के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने कहा कि विडंबना रहीं कि हम गुलामों के भी गुलाम रहे, लेकिन अब रामराज्य का समय आ गया है। राष्ट्रनेता और समाज एक ही तारतम्यता से काम कर रहा है। पुस्तक के सह लेखक प्रभात कुमार ने बताया कि इसमें 44 दिनों तक चले विश्व के सबसे बड़े अभियान से जुड़े लोगों तथा समर्पण कर्ताओं के अनुभव संकलित हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार समेत अन्य विशिष्ट लोगों के आलेख है। कार्यक्रम में विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता व केंद्रीय प्रचार प्रसार प्रमुख विजय शंकर तिवारी व प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता समेत अन्य लोग मौजूद रहे।